प्रधानमंत्री की ‘आर्थिक सलाहकार परिषद’ के चेयरमैन बिबेक देबरॉय ने नई ग़रीबी रेखा बनाने का सुझाव दिया है. वो ‘हाउसहोल्ड कंजम्पशन एक्सपेंडिचर सर्वे’ (HCES) पर आयोजित एक वर्कशॉप में हिस्सा ले रहे थे. वहां बोले, हमारे देश में अभी जिस तरह से ग़रीबी मापी जा रही है, वो तरीक़ा आउटडेटेड हो चुका है. तो इस वीडियो में समझेंगे -
गरीबी का नया पैमाना, कैसे नापी जाती है गरीबी?
ग़रीबी वो अवस्था है, जिसमें किसी व्यक्ति या समूह के पास बुनियादी चीज़ों की पूर्ति के लिए भी पैसा नहीं होता. बुनियादी ज़रूरत देशों के हिसाब से अलग हो सकती है. उसके लिए ज़रूरी पैसा भी अलग हो सकता है. इसलिए, अलग-अलग देशों ने अपने हिसाब से नियम बनाए हैं.
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- अभी भारत में ग़रीबी कैसे तय हो रही है?
- नीति आयोग की मल्टी-डाइमेंशनल पॉवर्टी क्या है?
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- और, क्या वाकईम भारत को नई ग़रीबी रेखा की जरूरत है?