होश आया तो ख़ज़ान सिंह मैदान में औंधे पड़े थे. लेकिन अगले कुछ सेकेण्ड तक उन्हें याद न आया कि वो कहां हैं. तभी सर से बाएं तरफ दर्द उठा. अब सब याद आने लगा था. कुछ देर पहले चली गोली सीधे खजान सिंह के सर पर लगी लेकिन हेलमेट ने उनकी जान बचा ली. उन्होंने नजर उठाकर देखा, मकसद सामने था. इच्छोगिल नहर का पुल. खजान सिंह के दिमाग में भारत-पाकिस्तान बॉर्डर का पूरा नक्शा उभर आया. 3 जाट बटालियन (3 Jat) के उनके साथी एक मशीन गन से लहूलुहान हो रहे थे. जिसके पीछे पाकिस्तानी फौज का एक कमांडर निशाना लगाए हुए था. ख़ज़ान सिंह ने अपनी बन्दूक निकाली और उसे वहीं ढेर कर दिया.
1965 में लाहौर तक कैसे पहुंची भारतीय सेना?
20 से 22 सितंबर के बीच भारत-पाकिस्तान के बीच डोगराई की लड़ाई हुई थी. डोगराई लाहौर से चंद किलोमीटर की दूरी पर है.