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तारीख: फांसी देने के बाद भी कोई बेगुनाह साबित हो सकता है?

धनंजय चटर्जी को अगस्त 2004 में कोलकाता में एक 15 साल की लड़की हेतल पारेख के बलात्कार और हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया था.

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आज हम बात करेंगे उस शख्स की जिसे हत्या के लिए 21वीं सदी में भारत में न्यायिक रूप से पहली बार फांसी दी गई थी. धनंजय चटर्जी को अगस्त 2004 में कोलकाता में एक 15 साल की लड़की हेतल पारेख के बलात्कार और हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया था और उसे फांसी दे दी गई थी. पीपुल्स यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स ने 2015 में एक रिपोर्ट छापी, जिसमें धनंजय की कहानी, जांच और कोर्ट के फैसले में कमियों पर बात की गई थी. देखें वीडियो.

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