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कांग्रेसी नेता ने MODI का मतलब बताया, 'मसूद अजहर, ओसामा, दाऊद और आईएसआई'

अगर इस बयान से आपका खून उबल रहा है तो अमित शाह का ये बयान भी पढ़ लीजिए.

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ऐसा कांड पवन खेड़ा से पहले भी हो चुका है. बदजुबानी चुनावों के दौरान होती रही है. सभी एक दूसरे पर कीचड़ उछालते रहते हैं.
सब शब्दों का खेल है...
अरे! सच में. आई रिपीट - सब शब्दों का खेल है. शब्दों का खेल माने वर्ड प्ले. शुद्ध हिंदी में इसे 'श्लेष' बोलते हैं और अशुद्ध अंग्रेजी में 'पन'. न हिंदी वाला पन अलग है जो ढेर शब्दों में जुड़ जाता है. जैसे घटियापन...
घटियापन से याद आया कि अगर वर्ड प्ले अच्छा हो तो उसकी चारों ओर तारीफ होती है. लेकिन अगर वाहियात हो तो किरकिरी होना भी लाज़मी है. वर्ड प्ले भी मौका देखकर किया जाता है. यूं ही हर कहीं नहीं कर सकते ना. इस बार भी चुनाव में घटिया वर्ड प्ले का सिलसिला शुरू हो गया है. उसके बारे में भी बताएंगे, लेकिन पहले थोड़ी और बातें. ;) ---------------------------------------------------------------------------------- पर्वों-त्योहारों में रौनक रहती है. लोग आपस में मिलते-जुलते हैं. गप्पबाज़ी होती है. वर्ड प्ले होता है. आजकल देश का सियासी माहौल भी कुछ ऐसा ही है. का है कि लोकतंत्र का पर्व चल रहा है. देशभर में चुनाव हैं. तो लाज़िम है कि इस त्योहार में भी वर्ड प्ले किया जाएगा. और यहां कारकून मैं या आप नहीं, सियासतदान होंगे. ये बड़ी-बड़ी रैलियों में शब्दों से खेलेंगे. वर्ड प्ले से एक-दूसरे को नए-नए नाम दिए जाएंगे. कीचड़ उछालेंगे.
मोदी का वर्डप्ले में पुराना इतिहास है. वो ABCD, SCAM,JAM, JAM, TOP जैसे वर्डप्ले किए हैं. और स्वभाविक तौर पर इनका मतलब आम जनता की सोच से परे था.
मोदी का वर्ड प्ले में पुराना इतिहास है. उन्होंने ABCD, SCAM, JAM, MOM, TOP जैसे वर्डप्ले किए हैं. और स्वाभाविक तौर पर इनका मतलब आम जनता की सोच से परे था .(फाइल फोटो)

चुनावी रैलियों में आप देखेंगे कि नेताओं, प्रवक्ताओं के पास शब्दों का टोटा है. संसदीय भाषा में विरोध करने की जगह, सड़क छाप की तरह बयान देंगे. तोहमत लगाएंगे. और आदर्श आचार संहिता में जिन बातों का परहेज करने को कहा, हर वो काम करने को आतुर होंगे. खैर, लौटते हैं वर्ड प्ले की ओर. 2019 के चुनावों में इसकी शुरूआत हो चुकी है. ---------------------------------------------------------------------------------- पहला वर्ड प्ले हुआ है कांग्रेस की ओर से. उनके एक प्रवक्ता ने प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधा. स्तरहीन बातें कहीं. यूं तो ये कांग्रेस का सुलझा हुआ चेहरा माना जाते हैं, लेकिन इस बार गफलत कर गए. नाम है पवन खेड़ा. खेड़ा, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहाकार अजीत डोभाल के बारे में बोल रहे थे. उनके बेटे का एक पाकिस्तानी को अपना बिजनेस पार्टनर बनाने पर सवाल उठा रहे थे. लेकिन फिसलते-फिसलते मोदी पर आ पहुंचे. और ऐसा बयान दे डाला जो शायद ही किसी नेता ने देश के प्रधानमंत्री के बारे में दिया हो. खेड़ा ने MODI शब्द में आतंकियों के नाम फिट कर दिए. कह डाला कि-
"MODI का मतलब है मसूद अजहर, ओसामा, दाऊद और आईएसआई."
पवन खेड़ा को सबसे मुश्किल बहसों में पार्टी आगे करती है. टीवी पर कांग्रेस का पक्ष रखने वाले सबसे शुमार चहरों में से खेड़ा हैं. (फाइल फोटो)
पवन खेड़ा को सबसे मुश्किल बहसों में पार्टी आगे करती है. टीवी पर कांग्रेस का पक्ष रखने वाले सबसे  मशहूर चेहरों में से खेड़ा हैं. (फाइल फोटो)

इस बयान के बाद हल्ला कटना तय था. एक टीवी चैनल पर डिबेट करते वक्त खेड़ा ने ये सब कहा. भाजपा ने इसका विरोध किया और अब इसकी शिकायत चुनाव आयोग से कर दी है.
बहनजी संपत्ति पार्टी का जवाब भाजपा को नए वर्डप्ले से. बसपा ने नया नाम दिया- भारतीय जुमला पार्टी.
बहनजी संपत्ति पार्टी का जवाब भाजपा को नए वर्डप्ले से. बसपा ने नया नाम दिया- भारतीय जुमला पार्टी.

इस तरह के वर्ड प्ले का मामला पहली बार नहीं आया. प्रधानमंत्री मोदी खुद इस के लिए जाने जाते हैं. 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में विपक्षियों के खिलाफ कुछ यूं ही वर्ड प्ले कर रहे थे. मायावती की पार्टी BSP(बहुजन समाज पार्टी) को बहनजी समाज पार्टी बता रहे थे.
इस वर्डप्ले से मयावती खासा नाराज़ हुई थीं. और भाजपा को जवाब के तौर पर भारतीय जुमला पार्टी कहा था.
इस वर्डप्ले से मयावती खासा नाराज़ हुई थीं. और भाजपा को जवाब के तौर पर भारतीय जुमला पार्टी कहा था.

नई ABCD बना डाली. नई ABCD के मुताबिक A- आदर्श घोटाला, B- बोफोर्स घोटाला, C- कोल घोटाला, D- दामाद घोटाला. मोदी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलने का कोई और तरीका ना चुनकर, विरोधियों को ही स्कैम बोल दिया. 4 फरवरी, 2017 को मेरठ में हुई परिवर्तन रैली में मोदी ने समर्थकों को SCAM का मतलब समझाया था. बकौल मोदी, SCAM का अर्थ है- S से समाजवादी पार्टी, C- कांग्रेस, A- अखिलेश, और M- मायावती. इसके बाद भाजपा के कई बड़े नेताओं ने इसे अलग-अलग जगहों पर दोहराया. पूरा कैंपेन इसके इर्द-गिर्द चलाया गया.
मोदी ने विरोधियों को टारगेट करने के लिए SCAM कह डाला. भाजपाइयों ने अपने नेता की बात को लपककर पकड़ा और पूरे चुनाव में SCAM-SCAM कहते रहे.
मोदी ने विरोधियों को टारगेट करने के लिए SCAM कह डाला. भाजपाइयों ने अपने नेता की बात को लपककर पकड़ा और पूरे चुनाव में SCAM-SCAM कहते रहे.

आप कहेंगे कि मोदी के मुकाबले पवन खेड़ा ने ज्यादा गलत बात बोली है. पीएम ने तो सिर्फ भ्रष्टाचार की बात कही है. खेड़ा ने तो देश के प्रधानमंत्री की तौहीन की है. आप दुरुस्त हैं. बिल्कुल सही कह रहे हैं. लेकिन खेड़ा के बयान को दुर्भाग्यपूर्ण कहने से पहले एक और बयान जान लीजिए. ये बयान दिया था मोदी की पार्टी भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेता ने. ये बयान भी आज जैसे सियासी माहौल से निकला था. इस तरह के वर्ड प्ले में ये बयान गोल्ड स्टैंडर्ड का है.
यहां तक स्तर गिराने का सेहरा सजता है भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के सर. तारीख थी 22 फरवरी 2017. शाह उत्तर प्रदेश की एक चुनावी रैली में भाषण दे रहे थे. जनता का हुजूम उमड़ा था. शाह के भाषण से पूरे पंडाल में तालियों की गूंज थी. समर्थकों की तालियों की हिलोर कुछ ऐसी थी कि शाह डोल गए. और अपने विरोधियों के नाम को मुंबई हमले के दोषी अजमल कसाब के नाम से जोड़ दिया. समर्थकों ने तालियां बजानी शुरू कीं तो शाह तफसील से 'क' 'स' 'ब' का मतलब समझाने लगे. शाह ने कहा कि
कसाब के 'क' का मतलब है- कांग्रेस, स- समाजवादी पार्टी और ब- बहुजन समाज पार्टी.
शाह के इस बयान पर विपक्ष ने ऐतराज़ जताया और अमित शह को क्रिमिनल कहने लगे.
शाह के इस बयान पर विपक्ष ने ऐतराज़ जताया और अमित शह को क्रिमिनल कहने लगे.

2017 में ये बोल दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा करने वाली भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने बोले थे. कोई ऐरा-गैरा नत्थू खैरा नेता ऐसी स्तरहीन बात कहता तो एक बार के लिए बड़बोलापन मान भी लेते. लेकिन जिम्मेदार नेताओं के मुंह से फूटे ऐसे श्रीवचनों को कैसे छोड़ दिया जाए.
अब सवाल है कि ऐसी गिरी हुई भाषा कैसे आम हो रही है? कैसे कोई प्रधानमंत्री की खिल्ली उड़ाने के लिए आतंकियों के नाम का सहारा ले रहा है? कैसे विपक्षियों को राजनीतिक तरीके से निपटने की बजाए 'कसाब' बताया जा रहा है? कैसे ये ओछी राजनीति न्यू नॉर्मल होती जा रही है? ये सवाल जनता के बीच हैं. क्या जनता के मुद्दे गौण हो गए हैं? क्या मुद्दों पर, काम पर, चुनाव नहीं लड़ा जा सकता. खैर, अभी तो ये पूरा चुनावी सीज़न बीतना बाकी है. कीचड़ उछलना बाकी है. आप भी पैनी निगाह रखिए, हम भी रखेंगे.


वीडियो- 'मैं भी चौकीदार' कैंपेन में मोदी का ट्विटर संभालने वाले लड़के ने गड़बड़ कर दी