'रिस्क लेने से डरो मत. लेकिन उतना ही रिस्क लो, जितना अफ़ोर्ड कर सकते हो ताकि दूसरा रिस्क लेने की जगह बची रहे.'
राकेश झुनझुनवाला, जिन्होंने एक दिन में 3 करोड़ के 20 करोड़ बना दिए
राकेश झुनझुनवाला की कहानी

ये लाइन राकेश झुनझुनवाला कहा करते थे. सफलता-असफलता को लेकर उनका यही फंडा था. शेयर बाजार के दिग्गज निवेशकों में एक राकेश झुनझुनवाला का 14 अगस्त 2022 को निधन हो गया. वे 62 साल के थे. हाल ही में उन्होंने आकासा एयरलाइन की शुरुआत कर एविएशन सेक्टर में कदम रखा था. इसी महीने एयरलाइन ने अपनी पहली उड़ान भरी थी. झुनझुनवाला को 'भारत का वॉरेन बफे' भी कहा जाता था. फोर्ब्स की लिस्ट के मुताबिक, वे भारत के 36वें सबसे अमीर व्यक्ति थे. उनकी कुल संपत्ति 43 हजार करोड़ रुपये की थी.
आकासा एयरलाइन को पिछले साल अक्टूबर में केंद्र सरकार ने मंजूरी दी थी. इस मंजूरी के कुछ दिन पहले ही राकेश झुनझुनवाला अपनी पत्नी रेखा झुनझुनवाला के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले थे. पीएम से मुलाकात की उनकी तस्वीर की खूब चर्चा हुई थी. किसी ने तस्वीर में प्रधानमंत्री के खड़े रहने और किसी ने उनकी शर्ट को लेकर सवाल किए थे. तस्वीर में उनकी शर्ट मुड़ी नजर आ रही थी. हालांकि बाद में इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में उन्होंने बताया था,
"सच तो ये है कि वो शर्ट ही ऐसी थी. मैंने इस्त्री कराई थी 600 रुपए लगाकर. इसके बाद भी उसमें सिलवटें पड़ गईं तो मैं क्या कर सकता हूं? मुझे इससे क्या फर्क पड़ता है? मैं तो ऑफिस भी शॉर्ट्स पहनकर जाता हूं."
राकेश झुनझुनवाला ने उसी कॉन्क्लेव के दौरान ये भी कहा था कि शेयर मार्केट की ट्रेडिंग से रिटायर होने के बाद वे स्विमिंग करना चाहते हैं. डांस सीखना चाहते हैं और अपनी मर्जी की जिंदगी जीना चाहते हैं. बताया जाता है वे नियमित रूप से योग करते थे.
क्या है राकेश झुनझुनवाला की कहानी?एक इंटरव्यू के दौरान राकेश झुनझुनवाला ने कहा था- 'हूं तो मैं एक सीनियर ऑफ़िसर का बेटा, लेकिन मारवाड़ी अग्रवाल हूं.' 5 जुलाई, 1960 को एक मारवाड़ी फ़ैमली में जन्मे राकेश झुनझुनवाला के पिता IRS (इंडियन रेवेन्यू सर्विस) ऑफिसर थे. लेकिन राकेश के पिता को राजनीति नहीं शेयर मार्केट का शौक था. लेकिन इतना नहीं कि सब कुछ दांव पर लगा दें. बस वो शेयर मार्केट की खबरों से हमेशा अपडेटेड रहा करते थे. अपने दोस्तों के साथ डिस्कस किया करते थे, कौन सा शेयर ऊपर चढ़ा, कौन सा नीचे गया.
इनकी बातें सुनकर राकेश पर भी शेयर मार्केट का भूत सवार हो गया. तब कुछ भी ऑनलाइन तो होता नहीं था. शेयर्स के भाव अगले दिन अखबार में ही लिखे आते. ये 12 साल का लड़का रोज़ पेपर में शेयर के भाव देखता. पापा ने उसके इस शौक़ को देखकर कहा कि तुम कल के भाव प्रिडिक्ट करो.
लड़के की भविष्यवाणियां सही रहतीं या गलत, ये महत्वपूर्ण नहीं है. महत्वपूर्ण ये है कि उसका शौक बढ़ता चला गया. वह शेयर और उनकी कंपनी के फंडामेंटल्स पढ़ने और फॉलो करने लगा. एक दिन पिता से कहा कि मैं शेयर मार्केट में अपने करियर बनाना चाहता हूं. जैसा कि राकेश झुनझुनवाला ने खुद अपने एक इंटरव्यू में बताया कि उनके पिता काफी डेमोक्रेटिक थे. लेकिन फिर भी उनके पिता ने उन्हें शेयर मार्केट में अपना करियर बनाने से पहले कोई प्रोफेशनल कोर्स कर लेने की सलाह दी. साथ ही उस वक्त ट्रेडिंग करने के लिए मना कर दिया. दोस्तों से पैसे उधार लेकर न करने लग जाए, इसलिए दोस्तों को भी उधार देने से मना कर दिया.
चाल काम आई. बेटे ने अपने बड़े भाई की तरह ही सीए का कोर्स किया, और फिर पिताजी बोले, यहां मुंबई में हमारा घर है तो तुम्हें रहने की दिक्कत होगी नहीं. हालांकि पैसा, मैं तुमने एक फूटी कौड़ी नहीं देने वाला.

1985 का साल. बेटा राकेश, दलाल स्ट्रीट में अकेला. न कोई जॉब न कोई क्लाइंट. अपने भाई से संपर्क किया. भाई ने अपने क्लाइंट में से कुछ को राकेश से कनेक्ट करवाया. राकेश इन क्लाइंट्स से बोले, मैं 18% रिटर्न दूंगा. जबकि अच्छे से जानते थे कि अच्छी से अच्छी इन्वेस्टमेंट स्कीम भी 10-12% रिटर्न नहीं देती. पर फिर भी कोई नए घोड़े पर दांव क्यूं ही लगाएगा. खैर, एक लेडी क्लाइंट मिली. ढाई लाख का इन्वेस्टमेंट करने को तैयार थी. लेकिन एकमुश्त नहीं. फिर अगला क्लाइंट मिला 10 लाख रुपए इन्वेस्ट करने थे उसके. इस 10 लाख रुपए से राकेश झुनझुनवाला ने सिर्फ एक साल में 30 लाख बना डाले. और यही से उनकी गाड़ी चल पड़ी.
राकेश झुनझुनवाला 1990 का बड़ा इंट्रेस्टिंग किस्सा बताते हैं. उनकी पत्नी रेखा ने उनसे कभी किसी चीज की मांग नहीं रखी. बस पिछले कुछ सालों से चाह रही थीं कि उनके कमरे में AC लग जाए. उस साल मधु दंडवते का बजट था. लोगों को लगा कि अच्छा नहीं होगा. पर राकेश झुनझुनवाला को इससे अलग लग रहा था. उन्होंने तत्कालीन PM वीपी सिंह के निर्णयों को भी क्लोजली ऑब्जर्व किया था. तीन करोड़ रुपए थे उनके पास. बजट वाले दिन, सारे मार्केट में लगा दिए.
जैसे-जैसे बजट आता रहा, राकेश के पैसे बढ़ते रहे. रात के नौ बजे नेटवर्थ देखी तो पता चला अंटी में 20 करोड़ रुपए आ चुके. रात को 2 बजे घर पहुंचे और अपनी पत्नी रेखा से बोले- अपना AC आ गया.
‘रिस्क लेने से मत डरो’ऐसा नहीं है कि उनके पैसे हमेशा बढ़ते ही रहे. ऐसा भी नहीं है कि उन्हें सिर्फ सफलताएं ही हाथ लगीं. वो खुद कहते हैं, ‘मैंने बहुत बार शेयर बेचे हैं. सिर्फ नुकसान भरने के लिए.’ 2012 में जब उन्होंने एप्टेक में अपनी हिस्सेदारी बेचनी चाही तो अंतिम समय में डील कैन्सल हो गई. ऐसे ही A2Z कंपनी में भी उन्हें 150 करोड़ रुपए का घाटा उठाना पड़ा.
2011 में उनकी नेटवर्थ 30% तक कम हो गई थी. हालांकि उन्होंने पूरे रुपये अगले साल के खत्म होते-होते रिकवर भी कर लिए. 2020 में फिर से उनको बड़ा घाटा हुआ. लेकिन इतने सेटबैक झेल चुकने के बावजूद राकेश झुनझुनवाला शेयर मार्केट के बिग बुल कहे जाते रहे. शेयर्स की खरीद-फरोख्त करके, उनको धीरे-धीरे एक्यूमलेट कर-करके कई कंपनियों में निर्णायक भूमिका में आ गए. ’एप्टेक लिमिटेड’ और ‘हंगामा डिजिटल मीडिया लिमिटेड’ के चेयरमेन भी बने.
झुनझुनवाला की इन्वेस्टमेंट की सलाहराकेश झुनझुनवाला कुछ बढ़िया इन्वेस्टमेंट टिप्स भी गाहे बगाहे देते थे. उनमें से कुछ ऐसी टिप्स ये रहीं-
# अगर एक्सपर्ट नहीं हो तो म्यूचल फंड के रास्ते शेयर में इन्वेस्ट करो. हां अगर खेलना ही है तो 5% कैपिटल से जुआ खेलो. बाक़ी म्यूचल फंड में इन्वेस्ट करो. या फिर फुल टाइम इन्वेस्टर बन जाओ. स्टडी करो.
# टिप्स इन्वेस्टमेंट के लिए सबसे ख़तरनाक हैं. ‘मैंने क्या लिया, या किसी बड़े इन्वेस्टर ने क्या लिया’ ये सब अव्वल तो अफवाहें होती हैं. और अगर सही भी हैं तो भी मेरे इन शेयर्स को बेचने पर मैं इसकी जानकरी आपको देने थोड़ी न आऊंगा.
# केवल इन्वेस्ट ही नहीं करना, अपने इन्वेस्टमेंट को लगातर रिव्यू भी करते रहना चाहिए.
# ‘छह महीने में पैसे दुगने, एक साल में चार गुने’ हो जाने की न उम्मीद रखिए. न ही ऐसी उम्मीद दिलाने वाले के झांसे में आइए. अगर ऐसी उम्मीद है तो शेयर मार्केट नहीं घोड़ों की रेस में पैसे लगाइए. इसी लालच के चलते कोई भी कुछ समझाता है, कर लेते हैं. सच्चाई ये है कि 18-20 प्रतिशत से ज़्यादा रिटर्न आना बहुत मुश्किल है.
# मैंने शेयर मार्केट के बारे में बहुत कुछ सीखा है. लेकिन अभी जो सीखना है वो उससे भी कहीं-कहीं ज़्यादा है.
# किसी को फॉलो करके आप शेयर मार्केट नहीं सीख सकते.
राकेश झुनझुनवाला की ये प्रोफाइल लल्लनटॉप में हमारे पुराने साथी दर्पण ने जनवरी 2021 में लिखी थी.
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