हाल में पंचायत चुनाव में हुई भारी हिंसा के कारण पश्चिम बंगाल की चर्चा खूब हुई. पंचायत चुनाव खत्म हुए अब बारी है राज्यसभा चुनाव की. बंगाल से पहली बार राज्यसभा में BJP का सांसद होगा. और जो नाम पार्टी ने तय किया है उस पर विवाद हो गया है. बीजेपी ने राज्यसभा के लिए अनंत राय 'महाराज' को उम्मीदवार बनाया है. 11 जुलाई को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री निसिथ प्रमाणिक ने अनंत महाराज से मुलाकात की. उसी दिन अटकलें लगने लगीं कि बीजेपी उन्हें राज्यसभा उम्मीदवार बना सकती है. अगले दिन इसकी पुष्टि हो गई. 24 जुलाई को पश्चिम बंगाल की 6 राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव होने हैं. विधानसभा में बीजेपी के पास 70 विधायक हैं. ऐसे में अनंत राय का चुना जाना तय है.
'जिसने बंगाल के विभाजन की मांग की, BJP उसे राज्यसभा भेज रही', कहानी 'अनंत महाराज' की
अलग राज्य की मांग करने वाले अनंत राय 'महाराज' कौन हैं?

13 जुलाई को अनंत राय जब बंगाल विधानसभा में अपना नामांकन भर रहे थे, उनके साथ केंद्रीय मंत्री निसिथ प्रमाणिक और बीजेपी के बंगाल अध्यक्ष सुकांत मजूमदार भी मौजूद थे. यहां गौर करने वाली बात ये है कि नामांकन से पहले तक वे बीजेपी के सदस्य नहीं थे. पिछले साल अगस्त में अनंत राय ने दावा किया था कि 2024 लोकसभा चुनाव से पहले कूच बिहार एक केंद्रशासित प्रदेश बन जाएगा. मीडिया से बातचीत में उन्होंने यह भी कहा था कि वे इस मुद्दे को लेकर गृह मंत्री अमित शाह से बातचीत भी कर रहे हैं.
कौन हैं अनंत राय 'महाराज'?अनंत राय राजबोंगसी समुदाय से आते हैं. खुद को 'ग्रेटर कूच बिहार' का एक स्वघोषित 'महाराज' बताते हैं. लंबे समय से कूच बिहार और उत्तर बंगाल के अन्य जिलों को मिलाकर अलग राज्य बनाने की मांग के लिए लड़ रहे हैं. इस मांग के लिए बनाए गए एक संगठन 'ग्रेटर कूच बिहार पीपल्स एसोसिएशन' (GCPA) के अध्यक्ष हैं. राज्यसभा के लिए नामांकन के बाद जब अनंत राय से इस मुद्दे पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा,
"मैं राज्य का विभाजन चाहता हूं, या बंगाल का एकीकरण, इसका जवाब तो समय ही देगा. मुझे खुशी है कि उन्होंने मुझे चुना. मैं अपने क्षेत्र के विकास के लिए काम करूंगा."
अनंत राय ने राजबोंगसी समुदाय के बीच अपनी छवि एक 'गुरु' की तरह बनाई है. कूचबिहार में राजा की तरह महल बनवाया हुआ है. पश्चिम बंगाल के सीनियर पत्रकार प्रभाकर मणि तिवारी कहते हैं कि इनका कूच बिहार के राजपरिवार से कोई लेना-देना नहीं है. तिवारी के मुताबिक,
"खुद को राजबोंगसी समुदाय का राजा मानते हैं. करीब दो दशक पहले ग्रेटर कूच बिहार आंदोलन में शामिल हो गए. हिंसक आंदोलनों के कारण कई बार भूमिगत होना पड़ा. लंबे समय तक असम में भी शरण लिया था."
साल 2016 में टीएमसी ने अनंत राय पर आरोप लगाया था कि वे "नारायणी सेना" नाम से एक अलग ग्रुप बना रहे हैं. आरोप था कि इस ग्रुप को सीमा सुरक्षा बल (BSF) ट्रेनिंग दे रही है. हालांकि BSF ने इन आरोपों को खारिज कर दिया. हालांकि राज्य पुलिस ने अनंत राय और उनके समर्थकों के खिलाफ कार्रवाई करनी शुरू कर दी थी. राय के खिलाफ कई केस भी दर्ज हुए. फिलहाल वे जमानत पर हैं.

2016 में ही राष्ट्रीय राजनीतिक फलक पर पहली बार उनका नाम सामने आया था. कूच बिहार सीट पर उपचुनाव था. टीएमसी सांसद रेणुका सिंह के निधन के बाद उपचुनाव की घोषणा हुई थी. तब ये चर्चा चली थी कि बीजेपी अनंत राय को टिकट दे सकती है. बीजेपी का एक खेमा उनको सपोर्ट कर रहा था. उसी साल राज्य में विधानसभा चुनाव भी हुए थे. अनंत राय ने साफ-साफ कहा भी कहा कि "उनके लोग" बीजेपी की रैली में शामिल हुए. लोगों से कहा है कि बीजेपी के वादों पर भरोसा करें. हालांकि उन्हें टिकट नहीं मिला.
दरअसल, राज्य विधानसभा चुनाव से पहले राजनाथ सिंह ने कहा था कि कूच बिहार के लोग लंबे समय से अपनी पहचान और संस्कृति के लिए लड़ रहे हैं. ग्रेटर कूच बिहार आंदोलन के लिए जो भी संभव होगा, बीजेपी वो करेगी. राजनाथ सिंह ने ये भी कहा था कि उन्होंने 'महाराज' अनंत राय से कहा है कि सरकार आपके साथ हैं.
पश्चिम बंगाल के वरिष्ठ पत्रकार जयंतो घोषाल के मुताबिक, अनंत राय अपने महल में वो रोज लंगर करवाते हैं. पूजा पाठ करवाते हैं. इसके कारण समुदाय के भीतर उनकी पैठ अच्छी बनी है. घोषाल कहते हैं,
ग्रेटर कूच बिहार आंदोलन"अनंत महाराज मुख्य रूप से असम के रहने वाले हैं. जब उनके खिलाफ कई केस दर्ज हुए थे तो वे भागकर असम चले गए थे. चर्चा चली थी कि वे असम के जंगल में रह रहे हैं. बाद में ये भी खबरें आईं कि वे कई बार हिमंता बिस्वा सरमा से मिले. असम में ही वे अमित शाह से भी मिले थे. जब प्रधानमंत्री बंगाल में रैली करने पहुंचे थे तो वे स्टेज पर भी साथ दिखे थे. चुनावों के बाद उनका बीजेपी के साथ संबंध बेहतर हुआ."
कूच बिहार उत्तर बंगाल का हिस्सा है. असम से सटा हुआ जिला है. अलग राज्य की मांग करने वाले कूच बिहार और उत्तर बंगाल के कुछ जिलों के साथ लोअर असम के कुछ हिस्सों को भी जोड़ने की बात करते हैं. 1990 के दशक से इस आंदोलन ने जोर पकड़ा है. ग्रेटर कूच बिहार पीपल्स एसोसिएशन के भी दो गुट हैं. एक गुट को अनंत राय लीड करते हैं. दूसरे गुट के नेता बोंगसी बदन बर्मन हैं. बर्मन का गुट टीएमसी समर्थक माना जाता है.
अलग राज्य की मांग करने वालों दावा है कि कूच बिहार को "अवैध" तरीके से पश्चिम बंगाल का हिस्सा बनाया गया. यह 1949 में महाराजा जगदीपेंद्र नारायण और भारत सरकार के बीच हुई संधि के खिलाफ है. दो साल पहले द वायर से बात करते हुए बर्मन ने कहा था,
राजबोंगसी समुदाय और बीजेपी"12 सितंबर 1949 को, इस साम्राज्य का भारत के साथ विलय हुआ था. तीन संधियों के जरिये इसे सी-कैटगरी (केंद्र शासित) राज्य का दर्जा मिला था. लेकिन एक जनवरी 1950 को ब्रिटिश कानूनों और पुराने नक्शे के आधार भारत सरकार ने साम्राज्य को बांट दिया. इससे ये इलाका पश्चिम बंगाल और असम का हिस्सा बन गया. इसलिए हम वही पुरानी मांग कर रहे हैं और ग्रेटर कूच बिहार राज्य बनाना चाहते हैं."
पश्चिम बंगाल के नक्शे को जब देखेंगे तो ये वर्टिकल आकार में है. इसलिए राजनीतिक विश्लेषण के लिए इसे मोटे तौर पर उत्तर और दक्षिण बंगाल में बांटा जाता है. उत्तर बंगाल में राजबोंगसी समुदाय की आबादी करीब 30 फीसदी है. राजबोंगसी अनुसूचित जाति (SC) में आते हैं. राज्य की कुल SC आबादी का 18 फीसदी से भी ज्यादा. कूच बिहार के अलावा राजबोंगसी समुदाय की बड़ी आबादी जलपाईगुड़ी, अलीपुरद्वार, उत्तरी दिनाजपुर और दक्षिणी दिनाजपुर में भी है. इस हिस्से में कुल 8 लोकसभा क्षेत्र हैं.

पिछले कुछ सालों में, दक्षिण बंगाल की तुलना में उत्तरी बंगाल के इलाकों में बीजेपी की पकड़ बढ़ी है. साल 2016 विधानसभा चुनाव में BJP सिर्फ 3 सीटें जीती थी. लेकिन इसके बाद पार्टी ने आइडेंडिटी पॉलिटिक्स की शुरुआत की. ऊपर आपको राजनाथ सिंह का बयान पढ़वा चुका हूं. 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को राजबोंगसी समुदाय का भरपूर समर्थन मिला. उत्तर बंगाल क्षेत्र में बीजेपी को 8 में से 7 सीटें मिली थी. फिर 2021 विधानसभा चुनाव में सिर्फ उत्तर बंगाल की 54 में से 30 सीटों पर बीजेपी जीत गई थी.
प्रभाकर मणि तिवारी कहते हैं कि विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में अनंत राय ने बीजेपी का समर्थन किया था. तिवारी के मुताबिक,
"बीजेपी इनसे समर्थन तो लेती थी लेकिन इनकी मांगों पर ध्यान नहीं दे रही थी. हाल के दिनों में अनंत राय पार्टी से नाराज चल रहे थे. पंचायत चुनाव के नतीजों को देखेंगे तो जहां बीजेपी मजबूत थी उत्तर बंगाल के उन इलाकों में भी पार्टी की हार हुई. इसलिए चुनाव नतीजों के एक दिन बाद ही बीजेपी ने उनके नाम की घोषणा कर दी."
उन्होंने बताया कि यहां से सुवेंदु अधिकारी और सुकांत मजूमदार ने पार्टी नेतृत्व को राज्यसभा के लिए नामों की सूची भेजी थी. दोनों की लिस्ट में अनंत राय का नाम कॉमन था. हिमंता बिस्वा सरमा ने भी समर्थन किया था. लेकिन पंचायत चुनाव में हार सबसे बड़ा कारण है.
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