भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी. एक बेहतरीन राजनीतिज्ञ. पूरा देश जिन्हें दादा कहता है उनका बचपन का नाम पोल्टू था. ये नाम उनकी बहन अन्नपूर्णा ने कॉमिक्स के एक कैरेक्टर के नाम पर उनका नाम पर रख दिया था.
जब इंदिरा गांधी ने प्रणब मुखर्जी से इंग्लिश का टीचर रखने को कहा था
मामूली क्लर्क से लेकर भारत का प्रथम नागरिक बनने तक का सफर.

प्रणब दा दो विषयों में एमए हैं- इतिहास और पॉलिटिकल साइंस. इसके अलावा इनके पास एलएलबी की डिग्री भी है. इतनी पढ़े-लिखे होने के बावजूद भी इनके कैरियर की शुरुआत कोलकाता में डिप्टी एकाउंटेट जनरल (टेलीग्राफ एंड पोस्ट) के ऑफिस में क्लर्क के रूप में हुई. इसके बाद इन्होंने विद्यानगर कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में पॉलिटिकल साइंस पढ़ाना शुरू कर दिया. इतना ही नहीं राजनीति में आने से पहले उन्होंने देशेर डाक (मातृभूमि की पुकार) में पत्रकारिता भी की.
राजनीति मे इनकी एंट्री 1969 में हुई जब इंदिरा गांधी ने इन्हें राज्य सभा में सांसद बना के भेजा. एक बार इंदिरा गांधी ने इनका इंग्लिश का ऐक्सेन्ट सुन के कहा कि आप इंग्लिश का कोई टीचर कर लीजिए ताकि आपका बोलने का तरीका सुधर सके. हालांकि प्रणब जी ने इस पर ध्यान नहीं दिया और अपनी बंगाली ऐक्सेन्ट से गुंथी हुई अंग्रेजी़ बोलते रहे. इमरजेन्सी के दौरान प्रणब मुखर्जी के ऊपर आरोप लगे कि उन्होंने लोगों के साथ काफी ज़्यादतियां कीं.
हमेशा इंदिरा गांधी का साथ देने वाले प्रणब मुखर्जी ने उनकी मौत के बाद अपनी पार्टी बना ली. काऱण था राजीव गांधी का प्रधानमंत्री बनना. दरअसल प्रणब मुखर्जी को लगता था कि इंदिरा जी के बाद वो सबसे ज्यादा सीनियर हैं इसलिए उनकी मौत के बाद प्रधानमंत्री बनने का हक उन्हीं का है. पार्टी का नाम था राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस. लेकिन 1991 में नरसिम्हा राव के प्रधानमंत्री बनने के बाद वे फिर से कांग्रेस में आ गये. और योजना आयोग डिप्टी चेयरमैन के रूप में कार्यभार संभाला.
एक खास बात ये भी है कि इतने लंबे पॉलिटिकल कैरियर के दौरान प्रणब मुखर्जी ने पहली बार सन् 2004 में पश्चिम बंगाल के जंगीपुर से इलेक्शन लड़ा. इस बार कांग्रेस सत्ता में आयी लेकिन सीनियर मोस्ट होने के बावजूद वह प्रधानमंत्री नहीं बन पाए. प्रणब मुखर्जी को डिफेंस मिनिस्टर बनाया गया. और प्रधानमंत्री बने मनमोहन सिंह. खास बात यह है कि 1982 में जब प्रणब मुखर्जी वित्त मंत्री थे उस वक़्त मनमोहन सिंह आऱबीआई के गवर्नर थे और इन्हें रिपोर्ट करते थे.
प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने एक बार बताया था कि पिछले 20 सालों में उन्होंने कभी छुट्टी नहीं ली सिवाय दुर्गा पूजा के जब वे गांव जाते हैं और पंडित की तरह कपड़े पहनकर चार दिनों तक पूजा करते हैं.
मछली करी प्रणब मुखर्जी को काफी पसंद है जिसे वह मंगलवार को छोड़कर लगभग हर दूसरे दिन खाते हैं. पोस्तो भी उनकी पसंदीदा डिश में से एक है.
कभी अपनी स्पेशल ब्रांड डनहिल पाइप की स्मोकिंग के लिये मशहूर प्रणब दा ने सालों पहले स्मोकिंग छोड़ दी, और अब वह स्मोकिंग न करने के लिए लोगों में जागरुकता फैलाते हैं.
चायनीज़ पॉलिटिशियन डेंग ज़ियोपिंग से प्रेरित प्रणब मुखर्जी काफी धार्मिक व्यक्ति हैं. संस्कृत के श्लोक और चंडी पाठ उन्हें कंठस्थ हैं.
ये स्टोरी शिव ने की है.
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