एक वायुसेना की ताकत तब दिल दहलाने वाली होती है, जब इसका विरोध करने के लिए कुछ भी नहीं होता.रफाल भारत पहुंच रहा है. पहली खेप में 5 रफाल विमान 29 जुलाई यानी बुधवार को देश पहुंच रहे हैं. जैसे ही ये देश की धरती को छुएंगे, यह भारतीय वायुसेना के इतिहास में एक नया चैप्टर होगा. क्योंकि पश्चिम से आखिरी लड़ाकू जहाज़ भारत ने 1982 में खरीदा था - दासौ का मिराज 2000. भारत का अग्रिम पंक्ति का लड़ाकू विमान सुखोई 30 एमकेआई 1996 में आया था, लेकिन वो रूस से था. इसीलिए रफाल का आना ऐतिहासिक है तो. लेकिन क्या ऐसा कहा जा सकता है कि रफाल के आने से भारतीय वायुसेना की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी, पड़ोसी पाकिस्तान और चीन की बेचैनी बढ़ेगी? ऐसी तुलनाओं की भरमार है जिनमें रफाल को पाकिस्तान और चीन के सुपरस्टार लड़ाकू विमानों से बीस बताया गया है. आइए आमने-सामने रखकर देखें भारत के रफाल, पाकिस्तान के एफ-16 और चीन के जे-20 की ताकत को.
- विंस्टन चर्चिल, द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान ब्रिटिश प्रधानमंत्री

रफाल विमानों का पहला बेड़ा 29 जुलाई को भारत पहुंचा.
कौन किस जनरेशन का है? लड़ाकू विमानों को अलग-अलग जनरेशन्स में बांटा जाता है. वैसे ही जैसे हमारे घरों में होती हैं - दादी की पीढ़ी, मम्मी-पापा की पीढ़ी और आपकी पीढ़ी. विमानों में रिश्तेदारी नहीं होती, लेकिन ये ज़रूर है कि जितनी बाद की पीढ़ी का होगा, उतना आधुनिक माना जाएगा. जैसे भारत के सुखोई 30 एमकेआई और मिग 29 चौथी पीढ़ी के लड़ाकू विमान माने जाते हैं. लेटेस्ट जनरेशन है 'फिफ्थ जनरेशन' माने पांचवी पीढ़ी. अब आते हैं तुलना पर -
रफाल - 4.5 या 4++ जनरेशन पाकिस्तान का F16 - 4 जनरेशन चीन का J20 - 5 जनरेशन
लड़ाकू विमानों की पीढ़ियां कैसे बांटी जाएं इसपर अलग अलग मत हैं. लेकिन इससे एक अंदाज़ा लगता है कि रफाल एफ 16 से बेहतर है. इसकी सबसे बड़ी वजह है रफाल में लगा रडार और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट. रडार बेहतर हो तो आप बेहतर जानकारी के साथ दुश्मन पर निशाना लगा सकते हैं. इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट दुश्मन से तकनीक के सहारे लड़ता है. जैसे सिग्नल जैम कर देना. इसीलिए रफाल को 4.5 जनरेशन का माना जाता है. लेकिन क्या J20 रफाल से बेहतर है? इसपर आगे बात की जाएगी. पहले आपको एफ 16 और जे 20 के बारे में थोड़ी जानकारी देते हैं.
10 साल पहले पाकिस्तान ने खरीदे थे F16 विमान
एफ 16 दुनिया के सबसे कामयाब फाइटर जेट्स में से है. 1974 में (माने 46 साल पहले) इस विमान ने पहली उड़ान भरी थी. चार दशक से अमेरिकी वायुसेना इसका इस्तेमाल कर रही है और इसे दो दर्जन देशों को बेचा जा चुका है. अब तक साढ़े चार हज़ार से ज़्यादा एफ 16 बनाए जा चुके हैं. चूंकि इसमें लगातार सुधार किया जाता रहा है, इसलिए दुनिया भर की वायुसेनाएं इसे पसंद करती हैं. इनका निर्माण आज भी जारी है. लॉकहीड मार्टिन तो भारत को भी एफ 16 बेचना चाहती है. जब वहां बात नहीं बनी तो लॉकहीड ने एफ 21 का प्रस्ताव दिया. कंपनी ने कहा कि वो खास भारतीय वायुसेना की ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए इसे बनाएगी. इसके लिए कंपनी भारत में टाटा के साथ साझेदारी करेगी. 2019 के एयरो इंडिया में कंपनी ने इसका खूब प्रचार भी किया. एफ 21 दरअसल एक उन्नत एफ 16 ही है.
अब आते हैं पाकिस्तान के एफ 16 पर. पाकिस्तान ने पहले एफ 16 खरीदे थे 1982 में. पाकिस्तान के सबसे नए एफ 16 थे F-16 C/D Block 52, जो 2009-10 में आए थे.
चीन के J20 की स्टेल्थ तकनीक पर उठ चुके हैं सवाल
चेंगदू जे 20 दुनिया का तीसरा लड़ाकू विमान है जिसमें स्टेल्थ तकनीक का इस्तेमाल किया गया है. स्टेल्थ तकनीक वाले विमान दुश्मन के रडार में बड़ी मुश्किल से पकड़ में आते हैं. जब रडार इन्हें पकड़ भी ले तो ठीक ठीक अंदाज़ा नहीं लगा पाता कि विमान है किस तरह का. इसीलिए जे 20 को पांचवी पीढ़ी का लड़ाकू विमान माना जाता है. जे 20 से पहले सिर्फ दो लड़ाकू विमान ऐसे हुए जिनमें स्टेल्थ तकनीक का इस्तेमाल हुआ और जिन्होंने अपनी सेवाएं शुरू कीं - अमेरिकी वायुसेना के 'एफ 22 रैप्टर' और 'एफ 35'. जे 20 के बारे में सार्वजनिक रूप से बहुत कम जानकारी उपलब्ध है. चीन ने इस लड़ाकू विमान को दुनिया की नज़र से बचाकर रखा है. लेकिन दुनियाभर के विशेषज्ञों ने इस बात की तरफ इशारा किया है कि जे 20 न एफ 22 और न ही एफ 35 से मुकाबले में ठहरता है. इसके तमाम उपकरणों, इंजन और खास तौर पर इसकी स्टेल्थ तकनीक पर सवाल उठाए गए हैं. भारतीय वायुसेना के कई सेवानिवृत्त अधिकारियों ने दावा किया है कि सुखोई 30 एमकेआई का रडार जे 20 को आसानी से ट्रैक कर लेता है.
ये माना जा रहा है कि चीन सही मायने में पांचवी पीढ़ी का लड़ाकू विमान नहीं बना पाया है. लेकिन वो इस तरफ बढ़ रहा है. हो सकता है कि 'शेंगयांग एफसी 31' वो जहाज़ हो. लेकिन इसे पूरी तरह तैयार होने में अभी वक्त है.
किसे लड़ाई का कितना अनुभव है
लड़ाकू विमानों के बारे में ये भी देखा जाता है कि उन्होंने कितने मोर्चों पर लड़ाई लड़ी है और मिशन पूरे किए हैं. इस मामले में एफ 16 और रफाल दोनों अपना लोहा मनवा चुके हैं. रफाल को अफगानिस्तान, लीबिया, माली, इराक और सीरिया में आजमाया गया है. और यहां इसका प्रदर्शन अच्छा रहा था. एफ 16 ने भी दुनियाभर में कामयाब मिशन्स में हिस्सा लिया है. अमेरिका इसे मध्यपूर्व में खाड़ी युद्ध के बाद से आज तक इस्तेमाल करता आ रहा है. इसके अलावा इसने अफ्रीका, यूरोप और दक्षिण अमेरिका में भी मिशन पूरे किए हैं. जे 20 काफी नया है, इसे अभी तक किसी लड़ाई में इस्तेमाल नहीं किया गया है. तो हम नहीं जानते कि एक असली मिशन में जे 20 का प्रदर्शन कैसा रहा है/रहेगा.
एफ 16, रफाल और जे 20. ये तीनों मल्टीरोल फाइटर जेट हैं. मतलब इन्हें अलग अलग मिशन्स के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. रफाल बनाने वाली दासौ इसे ओमनीरोल फाइटर जेट कहती है. ओमनीरोल का मतलब भी इस संदर्भ में मल्टीरोल से ही लिया जाएगा. आमने सामने ये कैसा प्रदर्शन करेंगे, ये बताना मुश्किल है. क्योंकि रफाल को ज़्यादातर एफ 16 के साथ इस्तेमाल किया गया है, न कि खिलाफ. और जे 20 को तो चीन ने छुपा रखा है, तो उसके बारे में जानकारी नहीं है.
फुल मिसाइल पावर से लैस
रफाल चार तरह की मिसाइल ले जा सकता है. यह हैमर (HAMMER) मिसाइल के साथ मेटियोर (Meteor) , स्कैल्प (Scalp) के साथ मीका (MICA) मिसाइल से लैस रहता है. मेटियोर जहां 150 किलोमीटर तक बिना देखे हवा से हवा में मार कर सकती है, वहीं स्कैल्प 200 किलोमीटर तक हवा या पानी में स्थिर ठिकाने को नेस्तनाबूद कर सकती है. इसके बाद नंबर आता है मीका मिसाइल का. यह मिसाइल 500 मीटर से लेकर 80 किलोमीटर तक के टारगेट को हवा से हवा या हवा से जमीन पर पलक झपकते स्ट्राइक कर सकती है.
F16 में मुख्यतः दो तरह की मिसाइलें इस्तेमाल होती हैं - साइडवाइंडर और एमरैम. एमरैम का इस्तेमाल ही बालाकोट स्ट्राइक के अगले दिन भारत के खिलाफ हुआ था. ये 100 किमी तक मार करती है. जे-20 में दो मिसाइलें ले जाई जा सकती हैं. इसमें से पीएल -15 लगभग 300 किमी तक मार करती है, तो पीएल-21 400 किलोमीटर तक मार करती है.
तुलना के लिए कुछ और पैरामीटर्स पर ध्यान दिया जा सकता है
कॉम्बैट रेडियसकॉम्बैट रेडियस का मतलब, जितनी दूर तक जाकर विमान तबाही मचाकर वापस आ जाएगा.
रफाल - 3700 किमी एफ16 - 4220 किमी जे 20 - 3400 किमी
सर्विस सीलिंग
जिस अधिकतम ऊंचाई पर विमान उड़ सकता है.
रफाल - 15240 मीटर एफ-16 - 15235 मीटर जे-20 -18000 मीटर
मैक्सिमम स्पीड
रफाल - 2020 किमी/घंटे एफ 16 - 2414 किमी/घंटे जे20 - 2100 किमी/घंटे
मैक्सिमम टेकऑफ वेट
विमान कितना वज़न लेकर उड़ सकता है. ज़्यादा होगा, तो ज़्यादा ईंधन और हथियारों के साथ मिशन पर जा पाएंगे.
रफाल - 24.5 टन एफ 16 - 16.8 टन जे 20 - 36 टन
तो ये तीनों विमान अलग अलग खांचों में एक दूसरे से आगे पीछे हैं. आमने सामने की लड़ाई में कौन जीतेगा, ये सिर्फ विमान की क्षमता के साथ साथ उसे उड़ा रहे पायलट के कौशल पर भी निर्भर होता है. जो सबसे अच्छी तैयारी के साथ आएगा, वही जीतेगा.
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