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बोटॉक्स इलाज 800 रोगों का करता है, पर इसका 1 किलो पूरे इंडिया को मार देगा

बिल्कुल रामबाण है ये दवा.

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फोटो - thelallantop
किस्से-कहानियों से लेकर अपने दैनिक जीवन में हम हमेशा एक ऐसी दवाई खोजते हैं जो हर रोग में काम आये. ये एक अलग तरह का रोग है. तभी तो लोग पैरासिटामॉल और ब्रूफेन तक को रामबाण की तरह इस्तेमाल करने लगते हैं. उत्तराखंड सरकार ने तो बाकायदा 25 करोड़ रुपये लगा दिये संजीवनी बूटी की खोज करने में.
पर एक ऐसी दवा आई है जो लगभग 800 रोगों में काम कर रही है. ताज्जुब की बात है कि जिस चीज से ये दवा बनती है, वो जहर ही है इंसान के लिए. फिर इसका इस्तेमाल अभी तक चेहरे की झुर्रियों को मिटाने में होता था. बोटॉक्स कहते हैं इसको. दस साल से ये नाम हमेशा चर्चा में रहा है. क्योंकि अक्सर मीडिया में एक्टर-एक्ट्रेसों के बोटॉक्स कराने की खबर आती रहती है. कि उम्र से कम दिखने में ये दवा बड़ी हेल्प करती है. पर इसका नया वाला रूप तो जनता में कम ही आया है.
बोटॉक्स एक बैक्टीरिया क्लॉस्ट्रीडियम बॉटुलिनम से बनता है. अगर इस बैक्टीरिया को खा लिया जाए तो फूड पॉइजनिंग हो जाएगी. जब ये ड्रग शरीर में प्रवेश करता है तो मांसपेशियों और स्नायुओं के बीच का कम्युनिकेशन काट देता है. इसी वजह से बोटॉक्स कराने के बाद झुर्रियां खत्म हो जाती हैं, क्योंकि मांसपेशियों को आराम मिल जाता है. वो सिकुड़ती नहीं. पर अगर ये ज्यादा हो जाए तो इसके साइड इफेक्ट खतरनाक होते हैं.
टाइम मैगजीन के मुताबिक अमेरिका के एक साइकियाट्रिस्ट नॉर्मन रोजेनथल के पेशेंट ने कहा कि सुसाइड करने का मन कर रहा है. तो डॉक्टर ने बोटॉक्स कराने की सलाह दे दी. पेशेंट तो सरप्राइज्ड हो गया. पर बोटॉक्स कराने के बाद फायदा हुआ उसे. यहां डिप्रेशन में काम आई थी ये दवा.
70 के दशक में ऑप्थैल्मोलॉजिस्ट एलन ने इस बैक्टीरिया के बारे में पढ़ना शुरू किया था. वो क्रॉस-आइज के इलाज के बारे में रिसर्च कर रहे थे.
क्रॉस-आइज (Symbolic Image)
क्रॉस-आइज (Symbolic Image)

उन्होंने पाया कि ये तो बड़ा फायदा कर रहा है इस समस्या में. उन्होंने इस ड्रग को नाम दिया ऑकुलिनम. 1978 में इसी नाम से कंपनी बना ली. 1989 में उनको अनुमति मिल गई क्रॉस-आइज के इलाज के लिए. दो साल बाद कंपनी एलर्जन ने ऑकुलिनम को खरीद लिया. और ड्रग का नाम बदलकर बोटॉक्स कर दिया गया. एलर्जन उस वक्त कॉन्टैक्ट लेंस और ड्राय आइज की दवाइयां बनाती थीं.
Pfizer-Allergan
Allergan co.

1998 में एलर्जन का नया सीईओ आया. डेविड. बोटॉक्स की झुर्रियों को मिटाने वाली काबिलियत इसे बहुत पसंद आई. इस पर डेविड ने बहुत मेहनत की. 2001 में बोटॉक्स को इस इलाज में इस्तेमाल के लिए अनुमति मिल गई. फिर कुछ दिन बाद बोटॉक्स कराने वाले लोगों ने बताया कि इसके बाद माइग्रेन का दर्द भी कम हो जा रहा है. तो पता चला कि माइग्रेन का भी इलाज कर सकता है ये. धीरे-धीरे पता चलने लगा कि बैक पेन, प्रीमेचर इजैकुलेशन, डिप्रेशन, क्लेफ्ट लिप सबमें बोटॉक्स फायदा करता है.
एलर्जन बोटॉक्स से जुड़ी रिसर्च पर 90 हजार करोड़ रुपये सालाना खर्च करती है. 150 हजार करोड़ तो इनका सालाना फायदा है बोटॉक्स के बिजनेस में. बोटॉक्स से जुड़े 800 पेटेंट करा चुकी है ये कंपनी.
कमाल की बात ये है कि बोटॉक्स इतनी जहरीली चीज से बनता है कि उसके कुछ किलो से ही दुनिया के सारे लोगों को मारा जा सकता है. पर इसको डायल्यूट कर इंजेक्शन दे दिया जाता है लोगों को. तो ये अमृत बन जाता है. अगर ऐसी ही कुछ और चीजें मिल जाएं तो मजा आ जाए.


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