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कोरोना से बचने के लिए पटना वाले गले में ये क्या लटकाए घूम रहे हैं!

इस 'यूनीक' प्रॉडक्ट से पूरी तरह पट चुके हैं पटना के बाजार.

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कुछ लोगों को लगता है कि ये जापानी कार्ड शायद उन्हें कोरोना वायरस से बचा लेगा. (फोटो क्रेडिट: दी लल्लनटॉप)
कोरोना वायरस से बचने के लिए भले ही पूरी दुनिया वैक्सीन आने की बाट जोह रही हो, लेकिन पटना वाले संक्रमण से बचने का एक यूनीक तरीका अपना रहे हैं. शहर में कई लोग अपने गले में एक कार्ड लटकाए नजर आते हैं. ये कार्ड पहली नजर में किसी आई-कार्ड जैसा दिखता है. लोग पूछने पर बताते हैं कि ये 'एंटी वायरस' कार्ड है, इसे इस्तेमाल करने पर कोरोना पास नहीं फटकता है.

कौन इस्तेमाल कर रहा है कार्ड

पटना में कई लोग हैं, जो इसे खुलेआम गले में टांगकर बाजार या अपने काम पर जा रहे हैं. इनमें कॉलेज स्टूडेंट भी हैं और दफ्तर के बाबू भी. कुछ वैसे लोग भी हैं, जिनके मन में इसे इस्तेमाल करने की प्रबल इच्छा तो है, लेकिन कार्ड की करामात पर थोड़ा शक है या लगता है कि लोग क्या कहेंगे इस 'यूनिक' कार्ड को देखकर. ऐसे लोग इस कार्ड को शर्ट के अंदर ढककर यूज कर रहे हैं. मकसद बस एक ही है. कोरोना को हराना है. हर हाल में हराना है, भले ही खबरों में रोज-रोज चल रही रिसर्च की बातों को नजरअंदाज करना पड़ जाए.

कहां-कहां बिक रहा है

घर से निकलते ही, कुछ दूर चलते ही.. माने कि पटना में हर जगह पट चुका है ये प्रॉडक्ट. पटना में दवा के सबसे बड़े होलसेल मार्केट गोविंद मित्रा रोड से लेकर रेहड़ी-पटरी तक आसानी से उपलब्ध है 'एंटी वायरस कार्ड'. कीमत करीब 70-80 रुपए. मोल-मोलई करने पर या ज्यादा कार्ड लेने पर रेट और 'ठीक-ठीक' लग जाएगा.

ई-कॉमर्स वेबसाइट पर भी है

अब इसमें बताने वाली कौन-सी बात है. जहां अंतिम संस्कार के लिए बांस और मिट्टी के बर्तन तक हर घड़ी तैयार मिल जाते हों, वहां 'जीवन रक्षक' कार्ड न बिके, ये कैसे हो सकता है. हमने चेक किया, तो इसी से मिलते-जुलते कई कार्ड उपलब्ध हैं. एक जोड़े की कीमत 105 रुपए. ये 80 फीसदी डिस्काउंट के बाद का रेट है. कुछ कंपनियां इससे दोगुने-तीगुने दाम पर भी बेच रही हैं. पटना-800014 पिन कोड डालकर ट्राय किया, तो पता चला कि दो से तीन दिन के भीतर डिलिवरी हो जाएगी.
कार्ड के पीछे की तकनीक ये बताई जा रही है कि इसमें डाला गया केमिकल हवा में आसपास मौजूद वायरस और बैक्टीरिया को खत्म कर देता है.

बेचने वाले क्या कहते हैं

दुकानदारों का कहना है कि कोरोना से बचाव के लिए जैसे मास्क और सैनिटाइजर आदि चीजें खरीदी-बेची जा रही हैं, वैसे ही एक नया प्रॉडक्ट ये भी है. लोग खरीद रहे हैं, तो वो बेच रहे हैं.
पटना के अति व्यस्त बेली रोड पर है राजाबाजार. पटना जंक्शन से करीब छह किलोमीटर पश्चिम. यहां केवल 200 मीटर के दायरे में ही दसियों जगह वायरस भगाने वाले कार्ड बिक हैं. यहां के एक दुकानदार विकास से जब ये पूछा गया कि ये कैसा कार्ड है, तो उसने बताया-
कोरोना से बचाव के लिए इसका इस्तेमाल होता है. इसको लगा लेंगे, तो छह फुट दूर तक कोरोना नहीं फटकेगा. जापान ने निकाला है. हमें तो ऐसा ही बताया गया है.
जब विकास से ये पूछा गया कि क्या कार्ड सचमुच काम करता है, तो उसने बड़े ही साफगोई से जवाब दिया, 'हमको क्या पता? कार्ड बनाने वाले से पूछिए.'
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पटना के राजाबाजार में जापानी कार्ड ठेलों पर भी बिक रहे हैं (फोटो क्रेडिट: दी लल्लनटॉप)

इस बाजार के अन्य दुकानदार भी अपनी ओर से कुछ दावा करने से बचते नजर आए.

क्या कहते हैं इस्तेमाल करने वाले

इसी बाजार से लगते अपार्टमेंट में रहने वाले नृपेंद्र कुमार से हमारी बात हुई, जो इस कार्ड का इस्तेमाल करीब एक पखवाड़े से कर रहे हैं. कार्ड के बारे में कैसे पता चला, इसका इस्तेमाल क्यों कर रहे हैं, जैसे सवालों के जवाब में नृपेंद्र ने कहा-
मुझे कई संचार माध्यमों के इस कार्ड के बारे में पता चला. शुरुआत में इसकी कीमत 500 रुपए थी, लेकिन मुझे 250 रुपए में ही मिल गया. कार्ड पर 'मेड इन जापान' लिखा देखा, तो मुझे भरोसा हो गया कि ये सही चीज हो सकती है. वैसे अभी कोरोना को लेकर कई तरह की बातें चल रही हैं. कोई आयुर्वेद को ज्यादा कारगर बता रहा है, कोई होमियोपैथ को, तो कोई अंग्रेजी दवा को बेहतर बता रहा है. जहां तक कार्ड की बात है, मैं इसे लगाता हूं, तो मुझे मानसिक तौर पर मजबूती मिलती है.
बीएन कॉलेज के इंग्लिश ऑनर्स के छात्र अभिजीत का तर्क थोड़ा अलग है. उन्होंने कहा-
कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. वैक्सीन कब आएगी, इसका कुछ पता नहीं है. हम मास्क लगा रहे हैं, गमछा भी लपेट ही रहे हैं. कोरोना से बचना सबसे जरूरी है. ऐसे में अब हमें इस कार्ड के बारे में पता चला. अगर हम कार्ड का इस्तेमाल कर ही रहे हैं, तो इसमें हर्ज क्या है?
शास्त्रीनगर में रहने वाले संजीत भी इस कार्ड का इस्तेमाल कर रहे हैं. किसी प्राइवेट फर्म में काम करते हैं. जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें इस बात का पूरा भरोसा है कि ये कार्ड कोरोना से बचाने में कारगर है, तो उन्होंने कहा-
अभी कोरोना के बारे में ठीक-ठीक किसी को कुछ नहीं मालूम है. हर दिन मीडिया में नई-नई बातें सामने आ रही हैं. पक्के तौर पर तो मास्क के बारे में भी नहीं कहा जा सकता है कि वो कोरोना से बचा ही लेगा. बस अनुमान के आधार पर ही तो सारे लोग चल रहे हैं. इन्हीं में से ये एक कार्ड भी है.
राजाबाजार में एक जनरल स्टोर चलाने वाले देवेंद्र भी कार्ड पहने नजर आए. हालांकि कार्ड कितना काम कर रहा है, इसको लेकर वो खुद भी संशय में हैं. उन्होंने कहा-
कार्ड मार्केट में सस्ता ही मिल रहा है, तो इसे लगा ले रहे हैं. वैसे कार्ड कितना काम करेगा, पता नहीं. अगर ये सब इतना ही कारगर होता, तो देश में बड़े-बड़े लोगों की जान क्यों जा रही है कोरोना से?
कुल मिलाकर, बाजार में धड़ल्ले से कोरोना कार्ड 'दिख रहा है, तो बिक रहा है'.

कार्ड पर संदेह क्यों है

सबसे पहली बात तो ये कि कार्ड पर सिर्फ दो लाइनें ही अंग्रेजी में लिखी हैं- MADE IN JAPAN, VIRUS SHUT OUT. बाकी पूरी जानकारी जापानी में है. अगर कोई विदेशी प्रॉडक्ट भारत में बिकने के लिए आया, तो कम से कम उस कार्ड के बारे में मोटी-मोटी जानकारी उस भाषा में तो होनी ही चाहिए, जिसे यहां की बड़ी आबादी पढ़-समझ सके. कानून भी यही कहता है और व्यावहारिक बात भी यही है.
दूसरी बात ये कि अब तक किसी भी शोध में इस तरह के कार्ड को कोरोना या अन्य वायरस से बचाव में उपयोगी होने की बात सामने नहीं आई है. अगर उपयोगी होता, तो हमारी सरकारें और हमारे डॉक्टर हमें सोते से जगाकर इसके बारे में जरूर बता देते.
हम तो बस यही कहेंगे- सावधान रहिए, सतर्क रहिए, सुरक्षित रहिए.


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