बिहार में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने अपनी पत्नी का उदाहरण देते हुए चुनाव आयोग के नियमों पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा है कि वोटर लिस्ट को लेकर जो चुनाव आयोग ने बदलाव किए हैं उससे उनकी पत्नी के मताधिकार पर भी खतरा मंडरा रहा है. तेजस्वी यादव ने बताया कि उनकी पत्नी दिल्ली की रहने वाली हैं, इसलिए अब उनका नाम वोटर लिस्ट में दोबारा नाम शामिल कराना पड़ेगा.
तेजस्वी यादव की पत्नी बिहार चुनाव में वोट नहीं डाल पाएंगी?
तेजस्वी ने कहा कि जब उनकी पत्नी के साथ ऐसा हो सकता है तो आम जनता को नए नियमों से कितनी परेशानियां हो सकती हैं.

आरजेडी नेता ने एक वीडियो में कहा,
सबको पता है मेरी धर्मपत्नी दिल्ली की रहने वाली हैं. दो-तीन महीने पहले ही हमने आईडी बनवाया है. उनका वोटर आईडी बनवाने के लिए आधार कार्ड दिया गया था. तब उन्होंने आधार कार्ड का इस्तेमाल करके वोटर लिस्ट में नाम शामिल करवा लिया था. लेकिन इनका स्थाई पता तो बिहार का था नहीं, अब हमको सोचना पड़ रहा है कि कौन सा डॉक्यूमेंट लगाएं. अब हमको भी पत्नी के लिए नया डॉक्यूमेंट बनवाना पड़ेगा. फिर जो दो महीने पहले वोटर बनी है, उनको फिर से वोटर बनवाना पड़ेगा.
तेजस्वी ने कहा कि जब उनकी पत्नी के साथ ऐसा हो सकता है तो आम जनता को नए नियमों से भारी परेशानियां हो सकती हैं.
चुनाव आयोग ने क्या बदलाव किए हैं?बिहार में अक्तूबर-नवंबर में चुनाव होने हैं. इससे कुछ ही महीने पहले चुनाव आयोग ने मतदाता सूची को लेकर बड़े बदलाव किए हैं. चुनाव आयोग 2003 के बाद राज्य में पहली बार मतदाता सूची का रिविज़न करने जा रहा है. इसके लिए आयोग ने कहा है कि जिन लोगों के नाम 2003 में वोटर लिस्ट में थे, उन्हें इसका प्रमाण देना होगा.
वहीं जिनके नाम 2003 की वोटर लिस्ट में नहीं हैं और 1 जुलाई, 1987 के पहले उनका जन्म हुआ है, उन्हें अपना जन्म प्रमाणपत्र दिखाना होगा. जिनका जन्म 1 जुलाई, 1987 से 2 दिसंबर, 2004 के बीच हुआ है उन्हें अपना और अपने माता या पिता का जन्म प्रमाणपत्र दिखाना होगा. वहीं जिनका जन्म 2 दिसंबर, 2004 के बाद हुआ है उन्हें अपना और अपने माता और पिता दोनों का जन्म प्रमाणपत्र दिखाना होगा.
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