
अब तक ये सीरियल 22 देशों में प्रसारित हो चुका है.
एपिसोड्स इतने कि देखने का सोचने भर से कलेजा हकबका जाए. ओरिजिनल में दो से ढाई घंटे के 150 एपिसोड्स. माइंड इट, इतनी या इससे छोटी समूची फ़िल्में हुआ करती हैं. नेटफ्लिक्स ने इसे टुकड़ों में तोड़ा तो है लेकिन फिर एपिसोड्स की संख्या बढ़ गई है. कुल जमा 448 एपिसोड्स हैं. देखना शुरू कर देने से पहले ही दिमाग को थका देने वाली संख्या. लेकिन देखने वालों का दावा है कि शुरू करेंगे तो छोड़ नहीं पाएंगे.
# क्या है अर्तुगुल?
इसके बारे में एक लाइन में कहा जाए तो 'ऑटोमन एम्पायर' यानी 'उस्मानिया सल्तनत' के उभरने की गौरव गाथा है. इस तुर्की साम्राज्य की टाइमलाइन लगभग सवा छह सौ साल की है. तेरहवीं शताब्दी के अंत से लेकर 1923 में तुर्की रिपब्लिक के बनने तक. ऑटोमन एम्पायर सोलहवीं-सत्रहवीं शताब्दी तक इतना ताकतवर हो चुका था कि कई भाषाओं वाले भूभाग पर राज करता था. एशिया से लेकर योरोप और उत्तरी अफ्रीका के कई हिस्सों तक फैला हुआ था. इसी एम्पायर के स्थापकों और शासकों की रोमांचक कहानियों का बहुत विशाल कैनवास है 'दिरिलिस अर्तुगुल'. बेसिकली मुस्लिम तुर्कों की आक्रमणकारी मंगोलों से लेकर बाइज़ेंटाइन (पूर्वी रोमन) साम्राज्य वालों से हुई लड़ाइयां. अभी तो फिलहाल सीरियल में इस एम्पायर की नींव में पत्थर ही भरे जा रहे हैं. पांच सीज़न की कहानी अर्तुगुल ग़ाज़ी को केंद्र में रखकर है, जो ऑटोमन एम्पायर के संस्थापक उस्मान के पिता थे.
टाइटल रोल निभाने वाले एन्गिन अल्तान दुज़यातान तुर्की टीवी के बड़े स्टार हैं.
दरअसल ये सीरियल काई कबीले की कहानी है. महज़ चार हज़ार की आबादी वाला कबीला. लेकिन बहादुरी और स्किल्स में बाकी कबीलों से मीलों आगे. चाहे कालीन बनाने का काम हो या फाइटिंग स्पिरिट. कहानियां बताई जाती हैं कि एक-एक योद्धा दस-दस से निपटने की क्षमता रखता था. इसी कबीले के अविश्वसनीय उत्थान की कहानी है ये, जिसने आखिरकार एक विशाल सल्तनत की नींव रखी.
# प्रमुख किरदार कौन हैं?
बड़ा लंबा चौड़ा कबीला है यार! सबके बारे में बताएंगे 2020 बीत जाएगा. कुछेक मेन किरदार जान लेते हैं.1. अर्तुगुल ग़ाज़ी - काई कबीले का जांबाज़ सरदार. सीरियल का सेंट्रल कैरेक्टर. 2. हलीमा सुलतान - अर्तुगुल ग़ाज़ी की पत्नी. अपने पति के साथ कई लड़ाइयों में कंधे से कंधा मिलाकर लड़ने वाली योद्धा. 3. सुलेमान शाह - अर्तुगुल के पिता. पहले सीज़न में प्रॉमिनेंट रोल. 4. हायमा हातून - अर्तुगुल की मां. सुलेमान शाह की मौत के बाद कई सालों तक कबीला खुद चलाया. इनकी फौज में महिलाएं भी होती थी. 5. गुलदारो - अर्तुगुल का भाई. कभी बाग़ी तो कभी साथी. 6. इब्न-ए-अरबी - सूफी संत और अर्तुगुल के उस्ताद कम सलाहकार. 7. तुर्गुत - अर्तुगुल का सबसे वफादार सैनिक. बेख़ौफ़ योद्धा. 8. बामसी - तुर्गुत की तरह ही एक और वफादार सैनिक. 9. दोगान - एक और विश्वासपात्र सैनिक. तुर्गुत, बामसी और दोगान साए की तरह अर्तुगुल के साथ रहते थे. 10. कुर्दोगलू - सुलेमान शाह का ख़ास आदमी. जिसने कबीले को बहुत नुकसान पहुंचाया. खुद को लीडर बनाने के लिए षड्यंत्र रचने वाला आदमी. 11. देली देमिर - कबीले के लिए तलवारें बनाने वाला शख्स. सुलेमान शाह का वफादार.
# क्यों इतना कामयाब है ये सीरियल?
चार वजहें गिनाते हैं.1. सीना चौड़ा करने वाला इतिहास
दार्शनिक होकर कहा जाए तो टेररिज़्म से अक्सर ही जोड़े जाने से खफा मुस्लिम यूथ के हाथ गर्व करने लायक इतिहास का कोई टुकड़ा लगा है. भावुक होना लाज़मी है. ये वही भावना है, जो जूलियस सीज़र से लेकर महाराणा प्रताप जैसे योद्धाओं के रोमांचक किस्सों में प्राइड तलाशती है. ये इतिहास के प्रति कृतज्ञता है या मरीचिका में भटकन, इस पर हम टिप्पणी नहीं कर रहे. बस उस भाव को रेखांकित करने की कोशिश कर रहे हैं, जो 'अर्तुगुल' के सदके मुस्लिम युवाओं तक आन पहुंचा है. मुस्लिम शासक अक्सर जंगली, असभ्य, आक्रांताओं के रूप में पेश किए गए. ये वो पश्चिमी देशों का नज़रिया है, जो रिपीट होते रहने से अंतिम सत्य टाइप बन गया है. मुस्लिम समाज मोटे तौर पर इससे राज़ी नहीं. तो ऐसे में इस नैरेटिव से अलग एक हिम्मती, बेख़ौफ़, इंसाफ-पसंद हीरो देखना मुस्लिम समाज को काफी भा रहा है.

हायमा हातून का किरदार बेहद पावरफुल है, ख़ास तौर से उनके फलसफाई डायलॉग्स.
2. करिश्माई अभिनय और प्रॉडक्शन का हाई स्टैण्डर्ड
पहले नंबर पर थी मुस्लिम समाज की बात. मुस्लिम वर्ल्ड से इतर भी इसकी तगड़ी फैन फॉलोइंग है. वजह है इस सीरियल का शानदार लैंडस्केप. प्रॉडक्शन टॉप क्वालिटी का है. लोकेशंस से लेकर स्पेशल इफेक्ट्स तक, कहीं भी कोई समझौता नहीं किया गया है. यूएसपी है फाइट सीन्स. इसके लिए नोमाड नाम की एक स्पेशल हॉलीवुड स्टंट टीम हायर की गई, जिसने हैरान करने वाले नतीजे दिए. इसके अलावा टैलेंटेड एक्टर्स की पूरी फ़ौज खड़ी कर दी है मेकर्स ने. जिन्होंने डूबकर काम किया है. बेहद संजीदगी से. चाहे अर्तुगुल को प्ले करने वाले एन्गिन अल्तान दुज़यातान हो, या हलीमा का रोल करने वाली एसरा बिलीच. प्रड्यूसर मेहमत बोज्दाग और डायरेक्टर मतिन गुनाई ने इसे ग्रैंड बनाने में अपना सब कुछ झोंक दिया है. साथ ही इसे इतिहास की गौरवगाथा के साथ-साथ एक थ्रिलर ट्रीटमेंट भी दिया है. लोग चिपके रहते हैं. एडिक्ट हो गए हैं.
3. फील होता कनेक्शन
'अर्तुगुल' सिर्फ कबीलाई मारधाड़ नहीं है. मानवीय मूल्यों को इस सीरीज में कदम-कदम पर अहमियत दी गई है. और इस वजह से दर्शकों का कनेक्शन भी एपिसोड-दर-एपिसोड तगड़ा होता जाता है. चाहे आध्यात्मिक सीख हो या सिंपल लाइफ लेसन्स. जैसे हमेशा इंसाफ को तरजीह दो. बेगुनाहों, कमज़ोरों की हिफाज़त करो. ईश्वर पर भरोसा रखो और कभी भी हार मत मानो. इसके किरदार सभी आम इंसानों की तरह सही-ग़लत की ज़हनी कशमकश से उलझते रहते हैं. यकीन करने लायक ये सेटअप इस सीरीज़ की ताकत है.
4. पोस्टर बन रहे संवाद
इसके अलावा इसके गहरे, मुतमईन करने वाले डायलॉग्स भी हैं जिन्हें पब्लिक कोट्स की तरह इस्तेमाल कर रही है. कुछेक डायलॉग्स आपको पढ़ाते हैं. कुछ तो ऐसे हैं, जो इस दौर पर भी फिट लगेंगे आपको.
# शासक का दिल उसकी ज़िम्मेदारियों जितना ही बड़ा होना चाहिए - हायमा हातून # अगर हमें जो हासिल है हम उसमें शुक्र मना लें, तो हमारे दिल में सुकून रहेगा - अर्तुगुल ग़ाज़ी # सब्र कड़वा होता है लेकिन इसका फल मीठा - तुर्गुत # ज़ालिमों को आपके दिल में घृणा के बीज बोने की इजाज़त मत दो - इब्न-ए-अरबी # मुश्किलें हमेशा नहीं रहतीं, न ही ज़िंदगी - हायमा हातून # निर्दयी लोगों के लिए कोई दया नहीं होनी चाहिए - हायमा हातून # बहादुरों को जंग के दौरान पहचाना जाता है और दोस्तों को उनकी दी गई सलाह से - अर्तुगुल # दुनिया की तमाम बुराइयों के बावजूद हमें उम्मीदों के बीज बोते रहने चाहिए - देली देमिर # हमें लोगों की धार्मिक श्रद्धा या उनके मुल्क की परवाह किए बिना उनकी मदद करनी चाहिए - हायमा खातून # जो आंसू हम बहाते हैं, वो हमारे दिल के बगीचे को सींचते हैं - इब्न-ए-अरबी # इंसान की मंज़िल उसकी कोशिशों पर निर्भर करती है - इब्न-ए-अरबी # ज़ुबान दिल की संदेशवाहक है - देली देमिर # जो बड़े सपने देखते हैं वो ही विजयपथ की तरफ आगे बढ़ सकते हैं - अर्तुगुल # अपनी मातृभूमि से प्यार करना आपकी धार्मिक श्रद्धा का हिस्सा है - इब्न-ए-अरबी
# कंट्रोवर्सिज़ और ट्रोलिंग
ट्रिविया के खाते में ये बताते चलें कि इस सीरीज़ के साथ सब कुछ मीठा-मीठा ही नहीं है. यूएई, सऊदी अरब और इजिप्त में ये बैन भी है. इजिप्त के ऑफिशियल फतवा ऑर्गेनाईजेशन दारुल-इफ्ता ने एक स्टेटमेंट जारी कर कहा था कि ये तुर्की की इतिहास को इस्तेमाल कर मिडल ईस्ट पर प्रभाव डालने की चाल है. इसके अलावा एक कंट्रोवर्सी पाकिस्तान से भी आई. सीरियल की प्रमुख पात्र एसरा बिलीच इन्स्टाग्राम पर खूब पॉपुलर हैं. कुछ पाकिस्तानी वहां जाकर उनको गरिया आए. कि उनके कपड़े उनके निभाए किरदार हलीमा सुलतान की गरिमा कम कर रहे हैं. टिपिकल इंडियन सब-कॉन्टिनेंट वाली पंचायत.एसरा बिलीच की वो इन्स्टा पोस्ट:
हम आपकी सुविधा के लिए यहां इसका एक एपिसोड लगा रहे हैं. पहला. देख डालिए. पसंद आए तो 448 एपिसोड्स के समंदर में कूद जाइए.