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इंडियन आर्मी को मिले अपाचे हेलीकॉप्टर, घातक इतना कि 'ब्लैक डेथ' का नाम मिला

Apache AH-64E एक अटैक यानी हमलावर कैटेगरी का Helicopter है. 1999 में Kargil War के दौरान भारत ने अपने Mi-17 हेलीकॉप्टर्स को ही Rocket Pod लगा कर अटैक हेलीकॉप्टर बना दिया था. लेकिन अपाचे के आने के बाद से भारत को एक एडवांस Attack Helicopter मिल जाएगा.

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इंडियन एयरफोर्स का अपाचे हेलीकॉप्टर (PHOTO-Indian Air Force/X)

लगभग 15 महीनों की देरी के बाद आखिरकार इंडियन आर्मी को अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर (Apache AH-64E) की पहली खेप मिल गई है. 22 जुलाई 2025 को 3 हेलीकॉप्टर सेना की आर्मी एविएशन कोर (AAC) को डिलीवर कर दिए गए. आर्मी ने एक्स पर पोस्ट कर इसकी जानकारी दी. अपाचे को ऑपरेट करने के लिए AAC ने मार्च 2024 में ही स्क्वाड्रन का गठन कर दिया था. पायलट्स की ट्रेनिंग से लेकर सारी चीजें पूरी कर ली गईं. बस इंतजार था हेलीकॉप्टर का. तो जानते हैं क्या खासियत है इस हेलीकॉप्टर की और इसके आने से कैसे इंडियन आर्मी की ताकत में इजाफा होगा.

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पहले एयरफोर्स, अब आर्मी में शामिल

साल 1984 में दुनिया पहली बार अपाचे हेलीकॉप्टर से रूबरू हुई. इस साल इसे अमेरिकन आर्मी में शामिल किया गया. इस हेलीकॉप्टर को तब मैक्डॉनल डगलस (McDonnell Douglas) बनाती थी. आगे चलकर 1997 में McDonnell Douglas का बोइंग (Boeing) में विलय हो गया. तब से इसे बोइंग ही बना रही है. हम ये जानते हैं कि हेलीकॉप्टर कई तरह के होते हैं. सबका काम अलग-अलग होता है. कुछ हमला करने के काम आते हैं. कुछ ट्रांसपोर्ट में तो कुछ सर्च, रेस्क्यू और जासूसी में. 

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अपाचे एक अटैक यानी हमलावर कैटेगरी का हेलीकॉप्टर है. 1999 में कारगिल की जंग के दौरान भारत ने अपने Mi-17 हेलीकॉप्टर्स को ही रॉकेट पॉड लगा कर अटैक हेलीकॉप्टर बना दिया था. लेकिन अपाचे के आने के बाद से भारत को एक एडवांस अटैक हेलीकॉप्टर मिल जाएगा. इंडियन एयरफोर्स में 2015 से ही 22 अपाचे इंडक्ट हैं. उनकी ऑपरेशनल काबिलियत को देखते हुए ही आर्मी के लिए भी 2020 में 6 अपाचे की डील की गई थी. इस डील की कीमत 600 मिलियन डॉलर थी. अब नजर डालते हैं इस हेलीकॉप्टर के कुछ फीचर्स पर.

घातक हथियार, उन्नत सेंसर्स

एयरफोर्स के विमानों के हमले खतरनाक तो होते हैं, लेकिन वो काफी ऊंचाई से हमला करते हैं. ऐसे में कई बार टारगेट पर सटीक हमला नहीं हो पाता. और फाइटर जेट ज्यादा नीचे आकर इसे देख भी नहीं सकते. ऐसे में काम आते हैं अटैक हेलीकॉप्टर्स. अपाचे मिसाइल्स, रॉकेट्स और चेन राउंड से लैस है. ये दुश्मन पर घातक हमला करता है. ये हमला इतना तेज होता है कि दुश्मन को संभलने का मौका ही नहीं मिलता. इस हेलीकॉप्टर को दो पायलट मिलकर उड़ाते हैं. एक का काम हेलीकॉप्टर को कंट्रोल करना होता है जबकि दूसरे का काम हथियारों को कंट्रोल करना. पायलट की सीट पीछे, जबकि गनर की सीट आगे की होती है. बोइंग के मुताबिक अपाचे में लगे हथियारों को देखें तो-

हेलफायर मिसाइल्स: हेलफायर (Hellfire Missile) एक हवा से जमीन (Air to Surface) पर मार करने वाली मिसाइल है. इसमें लेजर और रडार, दोनों का इस्तेमाल कर टारगेट पर हमला किया जाता है. 11 किलोमीटर रेंज वाली ये मिसाइल टैंक, बंकर्स और दूसरे हेलीकॉप्टर्स को तबाह कर सकती है. 

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हाइड्रा रॉकेट: हाइड्रा रॉकेट (Hydra Rocket) का हमला दुश्मन को न सिर्फ तितर-बितर कर देता है, बल्कि भारी नुकसान भी पहुंचाता है. अपाचे के दोनों तरफ लॉन्चर लगे होते हैं. हर लॉन्चर में 19 रॉकेट होते हैं जिनके फिन यानी पंख फोल्ड हो सकते हैं. इन्हीं फिन की वजह से ये रॉकेट अपने टारगेट पर सटीक वार कर पाते हैं. 

apache hydra rocket
अपाचे के हाइड्रा रॉकेट (PHOTO- US Army Aviation and Missile Command)

मशीनगन: अपाचे के निचले हिस्से में एक मशीनगन लगी हुई है. इसमें पट्टी/चेन वाली गोलियां लगती हैं जिसे एक मोटर से पावर मिलती है. इसकी मैगजीन में 1200 राउंड गोलियों की क्षमता है. ये गन एक मिनट में 600 से 650 राउंड तक फायर कर सकती है. 

M230 chain gun - Wikipedia
अपाचे की M230 चेन गन (PHOTO-Wikipedia)

सेंसर: अपाचे में लगे सेंसर इसे अटैक हेलीकॉप्टर्स के बीच एक खास जगह दिलाते हैं. इसके रोटर (पंख) के ऊपर लगा गोल हिस्सा दरअसल एक सेंसर है. साथ ही इसमें गनर की बेहतर विजिब्लिटी के लिए आगे के हिस्से (नोज) में भी नाईट विजन सेंसर लगे हैं. उसके साथ ही इसमें टारगेट सेट करने के लिए लेजर रेंजफाइंडर टारगेट डेजिगनेटर लगा है. 

Apache Helicopter Nose
अपाचे का नोज सेंसर (PHOTO-Wikipedia)

रडार जैमर: युद्ध के मैदान में संभव है कि हेलीकॉप्टर को कोई मिसाइल लॉक कर ले. ऐसी स्थिति के लिए इसमें रडार जैमर लगा है जो दुश्मन को कंफ्यूज करता है. साथ ही इसमें इंफ्रारेड जैमर भी है जो गर्मी पकड़ कर टारगेट करने वाली मिसाइल्स को कन्फ्यूज करता है.

हथियारों और सेंसर्स के बाद जानते हैं अपाचे के कुछ कॉमन फीचर्स जिनकी वजह से इस हेलीकॉप्टर को अपने सेंसर्स से लेकर हथियार, सब कुछ संभालने में मदद मिलती है. जैसे-

  • क्रू: 2 - पायलट और गनर
  • लंबाई: 48.16 फीटहाईट: 15.49 फीट
  • रोटर (पंख) डायमीटर: 48 फीट
  • अधिकतम ऑपरेटिंग वजन: 10, 432 किलोग्राम
  • क्लाइंब रेट: 2,800 फीट प्रति सेकेंड
  • अधिकतम स्पीड: 280किलोमीटर प्रति घंटा 
  • अधिकतम ऑपरेशनल ऊंचाई: 20 हजार फीट
शानदार इतिहास 

इसमें कोई शक नहीं कि अपाचे एक शानदार जंगी हेलीकॉप्टर है. 1984 में AH-64A मॉडल लॉन्च हुआ था. समय के साथ इसमें तकनीकी प्रगति हुई और आज अपाचे का सबसे लेटेस्ट E वर्जन इस्तेमाल हो रहा है. बोइंग की वेबसाइट के मुताबिक फिलहाल अमेरिका, भारत समेत 17 देश अपाचे का इस्तेमाल कर रहे हैं. एक खास बात और है कि इस हेलीकॉप्टर का फ्यूसलाज (Fuselage) भारत में बनता है. इसे टाटा एडवांस सिस्टम्स द्वारा बनाया जाता है. ऐसे में मेंटेनेंस के लिहाज से भी ये चॉपर भारत के लिए मुफीद है. अब देखना ये है कि बाकी के बचे 3 चॉपर्स की डिलीवरी कब होती है ताकि भारत की स्क्वाड्रन पूरी हो सके.

साल 1991 में ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म के दौरान अपाचे ने इराक में जमकर तबाही मचाई. इराकियों को लगने लगा कि वे कभी भी कहीं से भी निशाना बनाए जा सकते हैं. उन्होंने अपने टैंकों से लोगों को बाहर निकाल लिया और सरेंडर कर दिया. इराकियों ने इसका नाम दिया था, ब्लैक डेथ. युद्ध खत्म होने के बाद पता चला कि अपाचे ने 500 से ज्यादा टैंक और सैकड़ों दूसरे वाहनों को तबाह कर दिया था. इसके अलावा अपाचे पनामा में चलाए गए 'ऑपरेशन जस्ट कॉज़', 2003 में गल्फ वॉर और फिर अफगानिस्तान में हुई लड़ाई में भी हिस्सा लिया.

वीडियो: रखवाले: सेना के पहले 'अपाचे' पर काम हुआ शुरू, ये नई राइफल भी आ रही है

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