विद्याताई पहले अपने पति के साथ पार्टी के लिए काम किया करती थीं. फिर उनकी एक सहेली जो डॉक्टर थीं, ने उन्हें सजेस्ट किया कि अगर वो नर्सिंग का कोर्स कर इसी काम में लग जाएं, तो आर्थिक रूप से परिवार के लिए बेहतर होगा. तब उनकी बड़ी बेटी अनीता पैदा हो चुकी थी, और स्मिता उनके गर्भ में थीं. वो विद्याताई के नर्सिंग कोर्स के आखिरी के दिनों की बात है जब स्मिता पैदा हुई. पर स्मिता का पैदा होना भी उनके जीवन और उनके निभाये हुए किरदारों की तरह आसान नहीं था.

मां विद्या की गोद में स्मिता, बहन अनीता और पिता शिवाजीराव के साथ
विद्याताई प्रेगनेंसी के छठे महीने तक साइकिल से हॉस्पिटल जाया करती थीं जिससे वो समय पर पहुंच सकें. फिर हॉस्पिटल की एक डॉक्टर ने उन्हें फटकार लगायी. जिस दिन स्मिता की डिलीवरी होनी थी, विद्या सुबह घर पर हड़बड़ी में सफाई करते हुए फिसल गयीं जिससे गर्भ में बच्चे को रखने वाली एम्निओटिक थैली फट गयी. उस हालत में भी वो ड्यूटी करने अस्पताल पहुंचीं क्योंकि अपने काम का एक दिन वो खोना नहीं चाहती थीं. उनका लेबर शुरू हो चुका था. विद्या ने डिलीवरी के लिए किसी अस्पताल में बुकिंग भी नहीं करायी थी. सहकर्मियों की डाट खा कर विद्या ने रिक्शा लिया और बिना कुछ सोचे निकल पड़ीं. रास्ते में सरस्वती लक्ष्मी मैटरनिटी अस्पताल को देख कर रिक्शा रोक लिया.
उसी दिन लगभग शाम के 5 बजे एक नन्हीं, दबे रंग की, अंडरवेट बच्ची पैदा हुई. मां को लगता था बच्ची मुस्कुरा रही है. इसलिए उसका नाम हुआ स्मिता.
(स्मिता पाटिल की बायोग्राफी A Brief Incandescence से)
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