कैसे दी भगवान कृष्ण ने अपने टीचर जी को गुरुदक्षिणा?
गुरु दक्षिणा के रूप में गुरु संदीपनि ने बालक कृष्ण से ऐसा काम करवाया जो वह खुद नहीं कर सकते थे.
Advertisement

फोटो - thelallantop
भगवान कृष्ण ने बलराम और सुदामा के साथ गुरु संदीपनि के आश्रम में सारी पढाई-लिखाई की. समय आया गुरु-दक्षिणा का. तब 'टीचर्स डे' पर पार्कर पेन गिफ्ट करने का रिवाज नहीं था. गुरु लोग चेलों से बड़ी-बड़ी डिमांड करते थे. गुरु संदीपनि को आइडिया लग चुका था कि कृष्ण कोई मामूली बालक नहीं है. उन्होंने कृष्ण से कहा कि उनका एक बेटा समंदर में डूब गया था. अगर उसे जिंदा कर लाओ, तो यही मेरी गुरु दक्षिणा होगी. कृष्ण ने एक समुद्री नाव का जुगाड़ किया और उसे लेकर नागकन्याओं के देश की ओर चल पड़े. यह कृष्ण के बचपन के सबसे एडवेंचरस सफर में से था. वहां जाकर सागर से कहा, भइया सीधे-सीधे हमारे गुरुजी के लड़के को वापस कर दो तो खून-खराबा होने से बच जाएगा. सागर ने कहा, यहां तो कोई लड़का नहीं डूबा. उसे जरूर पानी का राक्षस पंचजन हजम कर गया होगा. कृष्ण फुर्ती से पानी में कूदे, दो सेकेंड में राक्षस को खोज निकाला और उसका पेट चीर दिया. पर उसमें गुरु जी का बेटा तो निकला नहीं, बस मिला एक शंख. वे बलराम के साथ तुरंत यमराज के पास पहुंचे. यमराज को पूरी कहानी सुनाई और रिक्वेस्ट की कि गुरुपुत्र को वापस कर दें. यमराज से पूछकर वहां उन्होंने शंख बजाया और राक्षस ने जित्ते भी लोग मारे थे, सब जिंदा हो गए. इस तरह भगवान कृष्ण से अपने गुरु को गुरुदक्षिणा दी. (श्रीमद्भागवत महापुराण)
Advertisement
Advertisement
Advertisement