the mystery of cicada 3301 puzzle the one who solved it gone missing
इस पहेली को जिसने भी सुलझाया, गायब हो गया; क्या आप सुलझाना चाहेंगे?
Cicada 3301 Puzzle: दावा किया गया कि जिन लोगों ने इस पहेली को सुलझा लिया, वे सब एक-एक करके अचानक गायब होने लगे. 2015 तक ये पहेली लगातार दुनिया के सामने आती रही. जो इसे सुलझा लेता वो गायब हो जाता.
इस पहेली को कई लोग आधे पर ही छोड़कर भाग गए (PHOTO- Freepik AI)
साल 2012, जनवरी की एक शाम. स्वीडन में रहने वाले कंप्यूटर एनालिस्ट जोएल एरिक्सन की उंगलियां कीबोर्ड पर खटाखट दौड़ रही थीं. एरिक्सन इंटरनेट पर कुछ तलाश रहे थे. अचानक उन्हें एक मैसेज मिला. काले बैकग्राउंड पर, सफेद रंग के टेक्सट से लिखा गया मैसेज. लिखा था- एक एजेंसी को कुछ बुद्धिमान लोगों की तलाश है. हमने एक पहेली तैयार की है. इस पहेली में एक मैसेज छिपा हुआ है. जो भी इस पहेली को सुलझा लेगा, वो हम तक पहुंच जाएगा.
खुद को ‘आईटी सिक्योरिटी का सनकी’ समझने वाले, एरिक्सन की दिलचस्पी तुरंत जाग गई. उनको लगा कि ये डिजिटल स्टेग्नोग्राफ़ी का एक नमूना है. माने एक डिजिटल फ़ाइल के भीतर सीक्रेट इनफॉर्मेशन को छिपाना. यह एक ऐसी तकनीक है, जो आमतौर पर गलत मकसदों से जुड़ी होती है. जैसे कि चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी को छिपाना. इस तकनीक के मिस्यूज का अंदाजा इस बात से लगाइए कि अल-कायदा के गुर्गों ने डिजिटल तस्वीरों के अंदर कई संदेशों को एन्क्रिप्ट करके 9/11 के हमलों की योजना बनाई थी.
एरिक्सन को मिला मैसेज कोई आम संदेश नहीं, बल्कि एक पहेली थी. कई टुकड़ों और कई लेवल्स में बंटी हुई पहेली. हर टुकड़े का सिरा दूसरे टुकड़े से जुड़ा हुआ. एक हिस्सा खुलता, तो दूसरा हिस्सा सामने आ जाता. थी तो टेढ़ी खीर ही लेकिन समझने वाले इस खास पहेली का मतलब समझ चुके थे. दावा किया गया कि जिन लोगों ने इस पहेली को सुलझा लिया, वे सब एक-एक करके अचानक गायब होने लगे. 2015 तक ये पहेली लगातार दुनिया के सामने आती रही. जो इसे सुलझा लेता वो गायब हो जाता.
4Chan वेबसाइट पर प्रसारित मैसेज (PHOTO-Social Media)
इंटरनेट पर 4chan नाम की एक वेबसाइट है. ये एक इमेजबोर्ड वेबसाइट है. जिस पर मजे के लिए लोग मीम्स और तस्वीरें पोस्ट किया करते हैं. ऐसी ही एक तस्वीर 4 जनवरी, 2012 को एक अनजान आईडी से पोस्ट की गई. तस्वीर पर लिखा था,
"नमस्ते. हम अक्लमंद लोगों की तलाश कर रहे हैं. उन्हें ढूंढ़ने के लिए, हमने एक पहेली तैयार की है. इस तस्वीर में एक मैसेज छिपा है. इसे क्रैक कीजिए. यह आपको हम तक पहुंचने में मदद करेगा. हम उन चंद लोगों से मिलने के लिए एक्साइटेड हैं जो इसे पूरा कर लेंगे. आपको शुभकामनाएं."
इस मैसेज पर ‘3301’ डिजिट से सिग्नेचर भी थे. वैकेंसी निकालते वक्त कंपनियों के इस तरह के मैसेज आपने खूब पढ़े होंगे. शुरू में ये पोस्ट भी लोगों को उसी तरह की लगी. लेकिन लोगों ने जब इसे सुलझाना शुरू किया तो उनके होश उड़ गए. धीरे-धीरे इस पहेली ने दुनिया भर में हंगामा काटा. लोगों ने इस पहेली को नाम दिया सिकाडा 3301.
सिकाडा 3301 का लोगो (PHOTO-Wikipedia)क्या था पहेली में?
शुरुआती पोस्ट में केवल एक तस्वीर थी. जिस पर मैसेज लिखा था. वो हम आपको बता ही चुके हैं. लोगों ने इसे हल करने की कोशिश शुरू की. समस्या ये थी कि इसे सुलझाया कैसे जाए. क्योंकि इस पोस्ट में तस्वीर के अलावा तो कुछ था नहीं. कुछ लोगों की बुद्धि दौड़ी और उन्होंने इस तस्वीर को टेक्स्ट एडिटर में ओपन किया. टेक्स्ट एडिटर एक कंप्यूटर प्रोग्राम है. जिसमें टेक्स्ट फॉर्मेट में फाइलें ओपन होती हैं. तस्वीर को टेक्स्ट एडिटर में ओपन करने पर उनके सामने खुला एक लिंक. ये लिंक उन्हें एक दूसरी तस्वीर में लेकर गया. उस तस्वीर को आप नीचे देख सकते हैं. इस तस्वीर पर लिखा था-
“ऊप्स! ऐसा लगता है कि आप अंदाजा नहीं लगा सकते कि मैसेज को कैसे बाहर निकाला जाए.”
टेक्स्ट एडिटर में ओपन करने पर सामने आई दूसरी तस्वीर (PHOT0- Social Media)
लोग ये तस्वीर देखकर हैरान रह गए. मतलब ये कि अब तक जो मेहनत वो करते आए थे वो किसी काम की नहीं थी. आधे लोग इस खेल को यहीं छोड़कर चले गए. लेकिन कुछ के सिर पर ये पहेली जुनून की तरह अब भी सवार थी. उन्होंने एक कंप्यूटर सॉफ्टवेयर की मदद से इस तस्वीर को डिकोड कर लिया. ये तस्वीर उन्हें एक किताब तक लेकर गई. जिसका नाम था- द मेबिनोगियन.
पहेली अभी खत्म नहीं हुई थी. जो लोग इसे हल करके आगे बढ़ रहे थे, उनमें रोमांच बढ़ता चला जा रहा था. वो पूरी ताकत के साथ इसे सुलझाने की कोशिश कर रहे थे. किताब और एक दूसरे कोड की मदद से वो एक मोबाइल नंबर तक पहुंचे. नंबर पर कॉल लगाया गया. उधर से पहले से ही रिकॉर्डेड एक ऑडियो मैसेज चलाया गया-
“बहुत अच्छा, आपने अच्छा किया. आखिरी तस्वीर के साथ तीन अभाज्य संख्याएं यानी प्राइम नंबर जुड़े हुए हैं. 3301 उनमें से एक है, आपको और दो संख्याओं की तलाश करनी है. इन तीनों डिजिट को गुणा करने पर आपको एक डिजिट मिलेगा. जिसके लास्ट में .com जोड़ने पर आप अगले लेवल पर पहुंच जाएंगे. शुभकामनाएं, अलविदा!”
ये पहेली, थकेली थी. इसने लोगों को थका दिया था. कोई नहीं जानता था कि इसका सिर-पैर कहां है. लेकिन जो इसे हल कर रहे थे, उन्हें गजब मजा आ रहा था. एक डिजिट यानी 3301 मैसेज में मिल ही गया था. लेकिन अब ये दो और डिजिट कहां से आएंगे. जैसे-जैसे लेवल्स आगे बढ़ रहे थे, लोग भी कम होते जा रहे थे. सिर्फ मुट्ठी भर लोग ही ये लेवल पार कर पाए. लेकिन कैसे? दरअसल जो पहली तस्वीर थी, जहां से खेल शुरू हुआ था, उसी के पिक्सल डाइमेंशन को निकाला गया. जो थे 509 और 503. पिक्सल डाइमेंशन मतलब तस्वीर की ऊंचाई और चौड़ाई. तीनों डिजिट का गुणा किया गया. रिजल्ट आया- 845145127. इसके आगे जोड़ा गया .com. ये एक वेबसाइट थी. जिसे पहेली बनाने वाली एजेंसी ने बनाया था.
अगर अब आप सोच रहे हैं कि पहेली हल हो गई. तो आप गलत हैं. क्योंकि पिक्चर अभी बाकी थी मेरे दोस्त. लोग URL से वेबसाइट पर पहुंचे. वेबसाइट पर उन्हें अलग-अलग देशों की 14 अलग-अलग लोकेशन दिखाई दीं. पहेली को जारी रखने के लिए अब ये उन लोगों पर डिपेंड करता था कि वो उन लोकेशन पर जाते हैं या नहीं.
अब तक एक बात तो क्लियर हो चुकी थी. कि इन सबके पीछे जरूर किसी बड़ी एजेंसी का हाथ था. ये कोई मजाक भर नहीं था. बल्कि इंटरनेशनल लेवल पर की गई प्लानिंग थी. जिन्हें भरोसा था वो इन लोकेशन पर पहुंचे. यहां उन्हें बिजली के खंभों और दीवारों पर चस्पा मिले पोस्टर. उन पर चिह्न के तौर पर सिकाडा बना था. सिकाडा एक कीड़ा है, जो ज्यादातर जमीन के अंदर रहता है. यहीं से इस पहेली को नाम दिया गया था- सिकाडा 3301.
इस पोस्टर पर सिकाडा के नीचे एक क्यूआर कोड भी था. कोड को स्कैन करने पर फिर एक लिंक खुला. लिंक फिर एक URL पर ले गया. और अब था ये आखिरी लेवल जिसका पार्टिसिपेंट्स को बेसब्री से इंतजार था. लेकिन यहां कहानी में आया एक ट्विस्ट. ‘पहले आओ पहले पाओ’ की तर्ज पर यहां सिर्फ कुछ चुनिंदा पार्टिसिपेंट्स को ही एंट्री मिली. वेबसाइट पर देर से पहुंचने वालों के लिए एक मैसेज छोड़ा गया
“हमें लीडर्स चाहिए, फॉलोअर्स नहीं.”
एक महीने बाद, उसी आईडी से एक पोस्ट की गई कि हमारी तलाश खत्म हो चुकी है. कई लोग जो इस पहेली को आखिर तक नहीं सुलझा पाए, उन्होंने इस पहेली को लेकर खूब भला-बुरा कहा. ये पहेली अनगिनत सवाल अपने पीछे छोड़ गई. मसलन, इस पहेली का कंक्लुजन क्या था, जो लोग सिलेक्ट हुए उनका क्या हुआ वगैरा-वगैरा. कुछ दिनों बाद ये दावा किया जाने लगा कि जिन लोगों ने इस पहेली को हल कर लिया. वे सब एक-एक करके गायब होने लगे. हालांकि इसका कोई ठोस सबूत नहीं मिला और बात आई-गई हो गई.
ठीक एक साल बाद. 4 जनवरी, 2013 को उसी अनजान आईडी से फिर एक तस्वीर पोस्ट की गई. इस तस्वीर में लिखा गया- बुद्धिमान लोगों की हमारी तलाश अभी जारी है. फिर वही अलग-अलग लेवल्स. अलग-अलग हिस्से. ये पहेली अब तक दुनिया भर में फेमस हो चुकी थी. न्यूज चैनलों पर लगातार इसकी चर्चा हो रही थी.
2014 में भी पहेली की ये सीरीज आई. लेकिन 2015 में अनोखी पहेली की ये सीरीज आना बंद हो गई. फिर 2016 में ट्विटर पर एक मैसेज फ्लैश हुआ, Beware false paths. Always verify PGP signature from 7A35090F. इसका मतलब था कि फर्जी पाथ से बचें. सिग्नेचर की जांच के बाद ही आगे बढ़ें. इसका मतलब ये था कि कुछ दूसरे हैकर और एजेंसी भी ऐसा ही मैसेज चला रही थीं.
अब सवाल ये कि आखिर इस पहेली के पीछे था कौन. कुछ लोगों का मानना है कि इसमें सीआईए, एनएसए और एमआई सिक्स जैसी खुफिया एजेंसियों का हाथ हो सकता है, जो कई देशों में सीक्रेट मिशन चलाती हैं. लेकिन ये सिर्फ हवा-हवाई बातें ही थीं.
कहानी सामने आई तब, जब 2012 के एक विनर ने सोशल मीडिया पर एक ईमेल शेयर किया. इस दौरान उसने अपनी पहचान गुप्त रखी. ईमेल में लिखा था - "यह जानकारी किसी को शेयर ना करें. आप सभी ने सोचा होगा कि हम कौन हैं, और इसलिए अब हम आपको बताएंगे. हम एक इंटरनेशनल ग्रुप हैं. हमारा कोई नाम नहीं है. हमारा कोई सिम्बल नहीं है. हमारे पास कोई मेंबरशिप रोस्टर नहीं है. हमारी कोई पब्लिक वेबसाइट नहीं है, और हम अपना एडवरटाइजमेंट नहीं करते हैं.
“हम इंसानों का एक समूह हैं जिन्होंने इस भर्ती प्रतियोगिता को पूरा करके, आपकी तरह ही खुद को साबित किया है. किसी भी तरह का अत्याचार और उत्पीड़न खत्म होना चाहिए. सेंसरशिप गलत है और गोपनीयता एक इंडीविजुअल राइट है.”
हालांकि इस ईमेल की पुष्टि आज तक नहीं हो पाई है. ऐसे ही एक और विनर ने इस पहेली के पीछे की कहानी के बारे में बताया. इस विनर का नाम था मार्कस वानर. 15 साल का एक दुबला-पतला, भूरे बाल का तेज-तर्रार लड़का और 2012 की पहेली को हल करने वाला पहला विनर. उसने दावा किया कि पहेली को हल करने वालों से सूचना स्वतंत्रता, ऑनलाइन गोपनीयता और सेंसरशिप रिजेक्शन के बारे में राय मांगी गई थी.
2012 की पहेली को हल करने वाला पहला विनर मार्कस (PHOTO- Jim Group)
जिन लोगों ने सफलतापूर्वक प्रतिक्रिया दी, उन्हें एक सीक्रेट जगह पर इनवाइट किया गया, जहां उन्हें ग्रुप के प्रिंसिपल को आगे बढ़ाने वाले प्रोजेक्ट के बारे में बताया गया. साथ ही ग्रुप में शामिल होने के लिए के लिए कहा गया. ये पहेली आज भी अनसुलझी है. इसे इंटरनेट के इतिहास की सबसे कठिन और अनसुलझी पहेली माना जाता है.
वीडियो: तारीख: इस पहेली को जिसने भी सुलझाया वो गायब हो गए, क्या थी ये सीक्रेट पहेली?