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फेसबुक वाला अज्ञात: फेसबुकिया शायरी पार्ट- 3

सुना था लाइक मिलते हैं, लाइक के बदले, हमारी बारी आई तो रिवाज ही बदल गए.

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फोटो - thelallantop
डूबी हैं मेरी उंगलियां मेरे ही खून में, ये स्क्रीनशॉट लेने वाले दोस्तों पर भरोसे की सजा है.
ये इस दौर का सच है. शेर किसका है हमें नहीं पता. हो किसी का भी अब बिगड़ चुका है. तमाम बिगड़ी चीजें 'अज्ञात' की होती हैं. ये शेर भी अज्ञात का है, आगे के तमाम शेर अज्ञात के हैं. फेसबुकिया शायरी में नत्थी हैं सो अज्ञात #‎FacebookWaalaAgyaat‬ होगा. हैशटैग समेत.
  रात देर तक तेरे चैटबॉक्स को तकती रही आंखें मेरी, मैसेज न आना था तो ऑफलाइन ही कर दिया होता.
  अब वहां यादों का बिखरा हुआ मलबा ही तो है, इनबॉक्स में काले नाम के आगे डीपी तक नहीं दिखती.
  तूने मेरी मोहब्बत की इंतिहा को समझा ही नहीं, तेरी फोटो भी टैग होती है तो हम नजरें झुका लेते हैं.
  सुना था लाइक मिलते हैं, लाइक के बदले, हमारी बारी आई तो रिवाज ही बदल गए.
  अपने लाइक्स पर इतना न इतरा जिंदगी, तुझसे ज्यादा तो एंजल प्रिया की 'kesi dikh rahi hu me' पर शेयर आ जाते हैं.
  बेपनाह मुहब्बत का एक ही उसूल है, सिंगल डीपी वाली लड़की से जो प्यार करे वो पक्का फूल है.
  इस दुनिया में अजनबी रहना ही ठीक है, लोग बहुत तकलीफ देते हैं फ्रेंडलिस्ट में आने के बाद.
  इश्क में इसलिए भी धोखा खाने लगे हैं लोग, खुद की जगह डीपी में आलिया भट्ट लगाने लगे हैं लोग.
ये भी पढ़ें फेसबुक जयंती पर फेसबुक शायरी फेसबुकिया शायरी पार्ट- 2  

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