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अपने हक़ में बने इन कानूनों को जरूर जाने औरतें

आप घर पर रहती हों, या नौकरीपेशा हों. स्टूडेंट हों या सेक्स वर्कर. ये कानून आपके लिए हैं.

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फोटो - thelallantop
आप ऑफिस जाती हैं. घर पर रहती हैं. स्कूल टीचर हैं. बस-रिक्शा में जाने वाली औरत हैं. आप एक आम औरत से लेकर वीआईपी तक हो सकती हैं. अभी साउथ दिल्ली के एक पीजी में एक घटना हुई. आदमी लड़कियों के पीजी में घुस गया. किचन में खड़ी लड़की के पीछे जाकर मास्टरबेट करने लगा. लैंडलॉर्ड ने लड़की को कोई स्टेप नहीं लेने दिया. देखा जाए तो ऐसा कुछ हर दिन होता है. गाड़ियों में बैठे लड़के कमेंट्स पास करके चले जाते हैं. कोई मेट्रो में पीछे से छेड़ देता है. हम कभी बोल देते हैं तो कभी चुप रहते हैं. पर लड़ते जरूर हैं. बाहर-भीतर. किसी न किसी तरीके से लड़ते हैं. इस लड़ाई में कानून ने कुछ नियम बनाएं हैं जो शायद हर लड़की को नहीं पता. जिन्हें पता हैं, वो या तो इतने अच्छे से जानते नहीं हैं या उनके दिमाग से निकल गए. तो आज हम आपका रिवीजन करवाते हैं ऐसे कानूनों का, जो औरतों के लिए बनाए गए हैं. जरूरी नहीं कि जब पुलिस स्टेशन देखना पड़े तभी हम ये कानून रटें. इसलिए ये लॉ हमेशा ध्यान रखने चाहिए:

1. कंप्लेंट लिखवाने के लिए जरूरी नहीं पुलिस स्टेशन जाना:

दिल्ली पुलिस की गाइड लाइन्स के हिसाब से एक औरत ईमेल के जरिये भी कंम्पलेंट लिखवा सकती है. इसके लिए उसका पुलिस स्टेशन जाना जरूरी नहीं. तो आगे से आलस न करें. अपने साथ हुई छोटी से छोटी घटनाओं की शिकायत करें. ताकि जब उन चीजों का सर्वे हो तो आपका छोटा सा कदम भी गिना जाए और जाना जाए कि आज भी समाज औरतों के लिए कितना सेफ है.

2. लिव-इन रिलेशनशिप अवैध नहीं है:

बजरंग दल वाले आपको आपके कमरों से नहीं निकाल सकते, जैसा कि वो वैलेंटाइन डे पर कर देते हैं. आप किसी से प्यार करती हैं तो उसके साथ लिव-इन में भी रह सकती हैं. जो लड़कियां लिव-इन रिलेशनशिप में रह रही हैं, उनके राइट्स के प्रोटेक्शन के लिए डोमेस्टिक वायलेंस एक्ट, 2005 बनाया गया है. आपको न पता हो तो बता दें कि ऐसे रिलेशनशिप में पैदा होने वाले बच्चों को भी विरासत में हिस्सा मिलता है.

3. रात में अरेस्ट नहीं कर सकती पुलिस:

सुप्रीम कोर्ट के रूल के हिसाब से सूरज उगने से पहले और सूरज छिपने के बाद किसी औरत को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता. चाहे महिला कॉन्स्टेबल साथ हो या न हो. रात के समय किसी भी हालत में एक महिला को अरेस्ट नहीं कर सकते. बहुत बार ऐसा हुआ है कि औरतों के साथ पुलिस कस्टडी में छेड़खानी हुई. ऐसे केसों से बचने के लिए ही ये नियम बनाया गया है. अगर औरत को रात को ही अरेस्ट करना बहुत जरूरी है, तो पुलिस को किसी मजिस्ट्रेट से लिखवाकर लाना पड़ेगा कि ऐसा क्यों जरूरी है. तब जाकर महिला को अरेस्ट किया जा सकता है.

4. पूछताछ के नाम पर पुलिस स्टेशन नहीं बुला सकते अधिकारी:

क्रिमिनल प्रोसीजर कोड के सेक्शन 160 के तहत एक महिला को पूछताछ के लिए पुलिस स्टेशन नहीं बुलाया जा सकता. "पुलिस को एक महिला से पूछताछ करने के लिए उसके घर जाना पड़ेगा. अकेली औरत से भी पूछताछ नहीं की जा सकती. या तो कोई महिला कॉन्स्टेबल साथ में हो या फैमिली/फ्रेंड्स घर पर हों. पुलिस उनके सामने ही पूछताछ कर सकती है." आप ध्यान रखिए कि अगर कोई आपको पुलिस स्टेशन पूछताछ के लिए बुलाए तो आप उन्हें ये गाइडलाइन जरूर पढ़ा दें.

5. नहीं लगा सकते औरतों की अश्लील तस्वीरें:

द इनडीसेंट रिप्रेजेंटेशन ऑफ़ विमेन (प्रोहिबिशन) एक्ट, 1986 के तहत कोई भी आदमी या ऑर्गेनाइजेशन किसी औरत की मर्ज़ी के खिलाफ उसकी कोई तस्वीर यूज़ करता है तो यह अपराध है. चाहे वो ऑफलाइन हो या ऑनलाइन. आप तस्वीर या किसी और तरीके से औरत की गरिमा को खराब नहीं कर सकते. तो जब भी कोई आपकी डीपी शेयर करें या फोटो इधर-उधर गलत तरीके से फैलाएं, तो उसका दिमाग अच्छे से ठिकाने लगाएं.

6. राह चलतों के कमेंट्स नहीं सहेंगे:

आईपीसी के सेक्शन 294 और 509 के हिसाब से अगर कोई राह चलता आदमी कमेंट करता है या गंदे इशारे करता है तो आप उस आदमी के खिलाफ कंप्लेंट कर सकती हैं. आंख मारने और पप्पियां उड़ाने वालों को इग्नोर नहीं करना है. इन छोटी-छोटी हरकतों से ही बड़ी-बड़ी घटनाएं करने की हिम्मत बढ़ती है. हमेशा कोशिश करें कि राह चलतों को ये धाराएं याद रहें.

7. अपनी पहचान खुद तक रखने का अधिकार :

अगर एक औरत पुलिस में रेप की कंप्लेंट लिखवाती है तो पुलिस ऑफिसर्स की ये ड्यूटी है कि उसकी आइडेंटिटी बाहर न बताएं. सेक्शन 228-A के हिसाब से बहुत सारे केसों में यह दंडनीय है. सेक्शन 228-A (3) कहता है कि कोई भी व्यक्ति कोर्ट में चल रहे केस के बारे में न तो कुछ बोल सकता है और न ही कुछ छाप सकता है. यहां तक कि अगर किसी की पहचान छिपाई गई है तो उसे जाहिर करने का आपके पास कोई अधिकार नहीं है. ऐसा करने पर आपको दो साल की जेल और जुर्माना हो सकती है.

8. काम करने वाली जगहों पर जरूरी है सेक्सुअल हरैसमेंट कमेटी:

विशाखा गाइडलाइन्स के हिसाब से प्राइवेट हो या सरकारी, काम करने वाली जगहों पर  सेक्सुअल हरैसमेंट कमेटी होनी जरूरी है. अगर किसी ऑफिस में ऐसी कोई कमेटी नहीं है तो वहां काम करने वाली औरतें अपने बॉसेज के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ सकती हैं. आपके ऑफिस में है ऐसी कमेटी? नहीं है तो बात करिए.

9. बराबर का काम, बराबर की तनख्वाह:

इक्वल रीमनएरेशन एक्ट 1976 ने इस मामले में एकदम सख्ती की है.  किसी औरत को औरत होने के नाम पर कम सैलरी नहीं दी जा सकती. इक्वल पे फॉर इक्वल वर्क को अपना उसूल बना लें. अपनी मेहनत के हिसाब से सैलरी लें. अगर कोई आपको आदमियों के मुकाबले कम सैलरी दे रहा है तो कानून के दरवाजे खुले हैं.
ये स्टोरी ज्योति ने की है.