पश्चिमी देशों में मृतकों की याद में एक त्योहार मनाया जाता है. अक्टूबर के महीने में. हैलोवीन नाम का. लोग भूत-प्रेत आदि का भेष बनाकर घूमते हैं. और कुछ मुश्ताक़ तो भूत प्रेत आत्मा बुलाने के खेल भी करते हैं.
मौत के चकमा देने वाला दुनिया का सबसे बड़ा जादूगर जिसने फर्जी बाबाओं की पोल खोलकर रख दी थी!
जीते-जी दुनिया की कोई जंजीर, कोई ताला, कोई तहखाना उसे बांधकर नहीं रख पाया. कौन था दुनिया का सबसे बड़ा जादूगर जो मरने के बाद भी फ़र्ज़ी बाबाओं की पोल खोलता रहा.
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साल 1936 की बात है. हैलोवीन की रात एक अमेरिकी होटल में आत्मा बुलाने की एक ऐसी ही कोशिश चल रही थी. हालांकि ये खेल नहीं था. एक वादे की आजमाइश हो रही थी. वादा एक पति का अपनी पत्नी से. वो लौटकर आएगा. मरने के बाद. अन्धविश्वास की बात है. लेकिन मरने वाला कोई आम आदमी नहीं था. जीते-जी दुनिया की कोई जंजीर, कोई ताला, कोई तहखाना उसे बांधकर नहीं रख पाया. 6 फुट जमीन में गाड़ दो या हथकड़ी बांधकर नदी में डुबा दो. हर बार लोगों को लगता कि वापिस नहीं आएगा. लेकिन हर बार ये अंदाज़ा गलत साबित होता. इस शख्स का नाम था हैरी हुडिनी. दुनिया का सबसे महान जादूगर. सिर्फ मौत ही उसे बांधकर रख पाई. हुडिनी वापिस नहीं आया. लेकिन मरने के बाद भी अपना आख़िरी जादू दिखा गया.

मैं जादूगर, है मेरा नाम हुडिनी
हैरी हुडिनी का जन्म 24 मार्च 1874 को हुआ था. हालांकि शुरुआत यहां से नहीं करेंगे. बंधन तोड़ने वाले हुडिनी की कहानी की एक ही वाजिब शुरुआत हो सकती है. जेल से. 20 वीं सदी की शुरुआत भर हुई थी. गर्मियों का एक सामान्य दिन. हुडिनी लन्दन में एक जेलर से मिलने पहुंचा और उसके सामने एक चैलेंज रखा.
"मुझे हथकड़ी लगाओ और अपनी सबसे सुरक्षित जेल में डाल दो. मैं बाहर निकल आऊंगा”.
एक मजबूत हथकड़ी लाकर हुडिनी को पहनाई गई और सबसे मजबूत सलाखों के पीछे उसे डाल दिया गया. मिनटों के अंदर हुडिनी बाहर निकल आया. खेल रोचक था. लोग चकित हुए. लेकिन शक की गुंजाइश अभी बाकी थी. लोगों ने कहा, हुडिनी अपने कपड़ों में डुप्लीकेट चाभी रखता है. हुडिनी ने जेलर को एक और चैलेंज दिया. अबकी बार उसके कपड़े लत्ते सब उतार लिए गए. एक खास हथकड़ी लाई गई, जिसे चाभी से भी खोलने में मुश्किल आती थी. इस बार उसे जिस जेल में बंद किया गया. वो तीन तालों से लॉक होती थी. बाहर एक और दरवाज़ा था, जिसमें सात घिर्रियों वाला एक मजबूत ताला लगा हुआ था. अब बस करतब शुरू होने की बारी थी. लोग एक दो मिनट तक देखते रहे. हुडिनी की हालत ख़राब थी. वो पसीने-पसीने हो रहा था. एक बार तो उसने सलाखों को पकड़कर झनझनाने की कोशिश भी की. सबको लगा, निकल गई हुडिनी की हेकड़ी. तमाशबीन अपने अपने कामों पर लौटने लगे. लेकिन लोग नीचे वाले फ्लोर तक पहुंचे ही थे कि वहां उन्हें हुडिनी खड़ा हुआ मिला. उसके चेहरे पर मुस्कराहट थी. सब भौचक्के थे.
हालांकि खेल अभी भी ख़त्म न हुआ. जेलर हुडिनी की जेल को जांचने पहुंचे तो पता चला कि हुडिनी सिर्फ अकेला फरार नहीं हुआ था. उसने आसपास के सात कैदियों के ताले भी खोल दिए थे. इस कलाबाज़ी ने हुडिनी को रातों-रात स्टार बना दिया. उसने यूरोप की तमाम जेलों में अपना हुनर दिखाया. यहां तक कि जर्मनी में भी. जर्मनी पर स्ट्रेस इसलिए डाल रहे हैं क्योंकि हुडिनी एक यहूदी था. और वहां के एंटी सेमिटिक यानी यहूदियों से नफरत करने वाले अधिकारी उसकी जान के दुश्मन बने हुए थे. जर्मनी में हुडिनी ने अपना कौशल दिखाया, तो उस पर फ्रॉड होने का आरोप लगाकर केस कर दिया गया. जज ने हुडिनी से उसकी बेगुनाही का सबूत मांगा तो उसने जज का ही लॉकर खोलकर दिखा दिया.

फ़र्ज़ी बाबाओं की पोल खोलता हूं मैं
इन कारनामों ने हुडिनी को दुनिया का सबसे बड़ा एस्केप आर्टिस्ट बना दिया था. दुनिया उसकी मुरीद हो गई थी. इनमें शामिल था एक खास नाम. आर्थर कॉनन डॉयल. जासूस शरलॉक होम्स जैसे कालजयी किरदार की रचना करने वाले लेखक.
डॉयल खुद को हुडिनी का सबसे बड़ा फैन बताते थे. उन्हें पक्का यकीन था कि हुडिनी दिव्य शक्तियों के बल पर जादू करता है. उन्होंने हुडिनी से मुलाक़ात की. और एक राज उनके साथ साझा किया. उन्होंने हुडिनी को बताया कि उनकी पत्नी में भी जादुई शक्ति है. जिसके बल पर वो मरे हुए लोगों की आत्मा से बात कर सकती है. एक वक्त में हुडिनी खुद ऐसी बातों पर विश्वास करता था. अपनी मरी हुई मां से बात करने के लिए उसने सैकड़ों ओझाओं, तांत्रिकों के दरों की ख़ाक छानी थी. लेकिन कहीं सफलता नहीं मिली. जिसके बाद दिव्य शक्तियों पर से उसका विश्वास पूरी तरह उठ गया था. हालांकि डॉयल के कहने पर वो एक आख़िरी कोशिश के लिए तैयार हो गया.
साल 1922. एक होटल में हुडिनी, डॉयल, उनकी पत्नी और कुछ लोग बैठे हुए हैं. पूरा तंत्र-मंत्र का सीन है. मोमबत्तियां जल रही हैं. डॉयल की पत्नी सबको हाथ से हाथ मिलाने के लिए कहती है. कुछ देर में उसकी आंखों की पुतलियां पलटने लगीं. उसने सर ऊंचा कर कुछ बुदबुदाया और एक कलम हाथ में उठा ली. अब बस वो थी और उसके सामने रखी नोटबुक. कलम की नोक अगले कई मिनट तक घिसती रही. और कुछ ही देर में संदेश तैयार हो गया. हुडिनी की मां का उसके लिए एक आख़िरी बयान. हुडिनी अब तक पत्थर बना बैठा हुआ था. कंपकपाते हुए हाथों से उसने नोटबुक उठाई. देखकर उसका चेहरा फीका पड़ गया. ये असर नोटबुक पर लिखे सन्देश का नहीं था. बल्कि उसकी भाषा का था. सन्देश अंग्रेज़ी में लिखा था. और हुडिनी की मां अंग्रेज़ी जानती ही नहीं थी. नोटबुक पर एक क्रॉस भी बना हुआ था. और उसकी मां यहूदी थी. हुडिनी निराश हुआ. लेकिन निराशा से ज्यादा उसमें एक और बार ठगे जाने का गुस्सा था.
डॉयल ने हुडिनी को मनाने की बहुत कोशिश की. उसे समझाया कि क्या पता उसकी मां ने अंग्रेज़ी सीख ली हो. लेकिन हुडिनी कुछ सुनने को तैयार नहीं था. डॉयल और उसकी दोस्ती का ये आख़िरी दिन था. बल्कि इसके बाद डॉयल उसे अपना दुश्मन समझने लगे थे. हुडिनी को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ा. उसने जादू के बहाने अंधविश्वास के खिलाफ मुहिम जारी रखी.

पर्दा हटा और हाथी गायब
जादूगर होने के साथ-साथ हुडिनी एक कमाल का आविष्कारक भी था. उसकी ईजाद की हुई तकनीकें और उसके बनाए यंत्र कमाल के थे. अपने शुरुआती सालों में वो हथकड़ी से आजाद होकर दिखाता था. धीरे-धीरे उसने जादू की पेचीदगियों को बढ़ाया. उसका सबसे फेमस करतब था, शीशे के बक्से में कैद होकर पानी में डुबाए जाने का. जिसमें से वो पल भर में आजाद होकर निकल आता. ये शो इतना फेमस है कि 21 वीं सदी में भी इसे दोहराया जाता है. साल 2019 में मशहूर जादूगर चंचल लाहिड़ी ने हुगली नदी के किनारे ये ट्रिक दिखाने की कोशिश की. लेकिन इस दौरान नदी में डूबने से उनकी मौत हो गई. खुद हुडिनी के दौर में लोग उसकी नकल करने लगे थे. इसलिए एक वक्त बाद हुडिनी ने इस ट्रिक को त्याग दिया था. इसके बदले वो एक दूसरी ट्रिक दिखाने लगा था. उसके नए शो का नाम था, चाइनीज़ टॉर्चर चैंबर.
ऊपर दी हुई तस्वीर में देखिए. हुडिनी उल्टा लटका हुआ है. उसके नीचे शीशे का एक बक्सा है. बक्सा पानी से भरा हुआ है. और हुडिनी के हाथ बंधे हुए हैं. हुडिनी को इस बक्से में उल्टा डाला जाता था. इस ट्रिक में जोखिम अधिक था क्योंकि पानी के अंदर वो एक तय समय तक ही सांस रोक सकता था. और उतने ही समय में उसे हथकड़ी खोलनी होती थी. जब ये शो हिट हुआ तो हुडिनी ने इसके नए वर्जन निकाले. उसने लोगों को चैलेंज दिया कि वो किसी भी बंद चीज से बाहर निकल सकता है. एक बार तो हुडिनी को एक मरी हुई व्हेल मछली में डाला गया. हथकड़ियों के साथ. वो उसमें से भी बाहर निकल आया. इसके बाद उसे जमीन में 6 फ़ीट गहरे गड्ढे में डाला गया. लेकिन वो भी हुडिनी को रोक न सका.
हुडिनी हालांकि अपनी एस्केप ट्रिक्स के लिए सबसे फेमस हुआ था. लेकिन उसके कुछ करतब और भी हैरान करने वाले था. मसलन एक बार उसने भरे थिएटर में एक हाथी को गायब करके दिखा दिया था. उसकी इस ट्रिक का राज़ कोई नहीं खोल पाया. जादू की ट्रिक्स के अलावा हुडिनी से जुड़ा एक और राज था, जो उसके साथ ही चला गया. उसकी मौत का राज़. हुडिनी की मौत को लेकर कई कहानियां चलती हैं. कई लोग मानते हैं कि उसने जिन फ्रॉड गुरुओं की पोल खोली थी, उन्होंने उसकी हत्या कर दी. दूसरी और ज्यादा मान्य थियोरी ये है कि उसका जादू ही उसकी मौत का कारण बन गया.

जादूगर की मौत भी रहस्य
साल 1926 की बात है. हुडिनी थिएटर के पीछे वाले कमरे में शो शुरू होने का इंतज़ार कर रहा था. तभी दो लोग उससे मिलने आए. इनमें से एक ने उससे पूछा, क्या ये सच है कि तुम पर मुक्के का असर नहीं होता? पेट पर मुक्के मरवाना हुडिनी के शो का हिस्सा था. उसने हां में जवाब दिया. सामने वाले ने चार तेज़ मुक्के उसके पेट पर जड़ दिए. हुडिनी तैयार नहीं था. मुक्के की चोट तेज़ लगी थी. उसके पेट में जोरों का दर्द हुआ. बावजूद इसके, उसने शो पूरा किया. आने वाले दिनों में पेट में दर्द बढ़ता गया. मजबूर होकर उसने डॉक्टर को दिखाया. डॉक्टर ने बताया उसका अपेंडिक्स फट गया है. ऐसे में उसे जल्द से जल्द इलाज कराना होगा. हुडिनी ने फिर भी डॉक्टर की नहीं सुनी. उसने अपने शो जारी रखे.
आखिर में जब हालत बहुत ख़राब हो गई तो हुडिनी ऑपरेशन कराने के लिए राजी हुआ. लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी. 31 अक्टूबर को उसकी मौत हो गई. इत्तेफाक ऐसा था कि उस रोज़ हैलोवीन था. जिस अन्धविश्वास का हुडिनी उम्रभर खंडन करता रहा, मौत के बाद वही उसके नाम से जुड़ गया. लोग कहने लगे हुडिनी ने खुद अपनी मौत के लिए हैलोवीन का दिन चुना है. वो वापिस आएगा.
ऐसी अफवाहों को और भी बल मिला, एक दूसरी वजह से. दरअसल हुडिनी ने अपनी पत्नी के साथ एक करार किया था. जो पहले मरेगा वो मौत के बाद मिलने आएगा. भूतों की असलियत जानने का हुडिनी का ये आख़िरी तरीका था. उसकी पत्नी 10 साल तक उसकी तस्वीर के सामने एक मोमबत्ती जलाए रखती थी. हर साल हैलोवीन के दिन उसकी आत्मा को बुलाने की कोशिश होती. आख़िरी कोशिश साल 1936 में हुई थी. हुडिनी नहीं आया. अंत में उसकी पत्नी ने मोमबत्ती बुझा दी. ये हुडिनी का आख़िरी जादू था. असली जादू जैसा कुछ नहीं होता, ये हुडिनी ने मरने के बाद भी प्रूव कर दिया.
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