ये रेसिस्ट शब्द थे ड्यूक ऑफ़ एडेनबर्ग, प्रिंस फ़िलिप के. और ये उन्होंने कहे थे 1966 में चीन में आयोजित एक सभा में. कुछ ब्रिटिश छात्रों को संबोधित करते हुए. इंग्लैंड की महारानी एलिज़ाबेथ के पति प्रिंस फ़िलिप. जिनका 2021 में करीब 100 साल की उम्र में निधन हो गया था. उनके साथ जुड़ी ये कॉन्ट्रोवर्सी न पहली थी, न इकलौती. मसलन उन्होंने एक 13 साल के बच्चे से भी एक बार कुछ ऐसा ही कहा, लड़का एस्ट्रोनॉट बनना चाहता था. प्रिंस बोले, 'तुम कभी अंतरिक्ष यान नहीं उड़ा सकते. तुम बहुत मोटे हो.'अगर तुम लोग ज्यादा दिन यहां रहे तो इन लोगों जैसी छोटी आंखों वाले बन जाओगे.
प्रिंस फिलिप और क्वीन एलिज़ाबेथ का साथ सात दशक से भी लंबा रहा. आखिरी सांस तक वो महारानी की परछाईं बनकर रहे, इसीलिए क्वीन उन्हें अपनी ताकत बताती थीं. लेकिन फ़िलिप पर ‘पॉलिटिकली इनकरेक्ट’ और ‘रेसिस्ट’ होने के आरोप भी लगते रहे. प्रिंस के साथ जुड़ी ऐसी ही एक कॉन्ट्रोवर्सी तब हुई जब वो अपने पूरे परिवार के साथ भारत आए हुए थे.

प्रिंस फ़िलिप ऑफर एलिजाबेथ द्वितीय (फोटो सोर्स- gettyimages)
आज 21 जनवरी है. और आज बात करेंगे ब्रिटेन के शाही परिवार की भारत यात्रा की. जब क्वीन एलिजाबेथ, उनके पति ड्यूक ऑफ एडिनबर्ग प्रिंस फिलिप और इन दोनों के साहबज़ादे प्रिंस एंड्र्यू भारत आए थे. साल था 1961. देश आज़ाद हुए 13 साल बीत चुके थे. और मौका था गणतंत्र दिवस समारोह का. महारानी और ड्यूक उस साल भारत के गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि थे. प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 21 जनवरी को शाही परिवार का दिल्ली एयरपोर्ट पर स्वागत किया. प्रिंस की आज़ाद भारत में यात्रा- शाही परिवार के लिए ये कॉमनवेल्थ देशों की 36000 मील लंबी यात्रा का पहला पड़ाव था. कॉमनवेल्थ देश यानी वो देश जो कभी न कभी ब्रिटिश क्राउन के आधिपत्य में रहे हों. ये यात्रा 21 जनवरी को भारत से शुरू होकर 2 मार्च को भारत में ही खत्म होनी थी. इसी दौरान शाही परिवार को नेपाल और पाकिस्तान का भी दौरा करना था.
भारत में इस यात्रा की शुरुआत हुई जयपुर से. जयपुर के महाराजा मान सिंह द्वितीय एवं उनकी पत्नी महारानी गायत्री देवी ने रॉयल फैमिली की खूब आवभगत की. ब्रिटिश डेली न्यूज़पेपर ‘द गार्डियन’ ने छापा,
जयपुर के रामबाग महल में हाथ मुंह धोने और नाश्ते के बाद महारानी एलिजाबेथ जयपुर की सैर पर निकलीं, सैर के दौरान जयपुर के शाही हाथी की सवारी भी की गई.'उत्साह, शोर, रंग, गर्मी और धूल से भरे दिन में रानी आज अतीत के भारत और आज के भारत की मन ही मन परिकल्पना करने लगीं. आज उनका स्वागत खूब गाजे-बाजे के साथ जयपुर के सिटी पैलेस में हुआ. जो कभी ब्रिटिश रियासत का हिस्सा हुआ करता था.'

हाथी की सवारी करती महारानी एलिजाबेथ द्वितीय (फोटो सोर्स- AFP)
इसके बाद जयपुर के राज परिवार ने शाही परिवार को शिकार खेलने के लिए आमंत्रित किया. प्रिंस फ़िलिप ने जयपुर में एक मगरमच्छ, छह पहाड़ी भैंसों के साथ-साथ एक टाइगर (Tiger) का भी शिकार किया. और इसके बाद शुरू हुई कॉन्ट्रोवर्सी. ठीक जिस दिन ये महारानी गणतंत्र दिवस समारोह में हिस्सा लेने पहुंचीं, उसी दिन के अखबार में एक बड़ी फोटो छपी. कैप्शन था-'कल शिकार किए गए टाइगर के साथ प्रिंस फिलिप.' ये कैसा जीव संरक्षण? दरअसल, उसी साल प्रिंस फिलिप ने एक 'वाइल्ड लाइफ फंड' की नींव रखी थी. ये एक गैर सरकारी संस्था थी जो वन्य जीवों के संरक्षण के लिए काम करती थी. प्रिंस फिलिप पर हिपोक्रेसी यानी पाखंड के आरोप लगे. ब्रिटिश मीडिया से उनको काफ़ी आलोचना झेलनी पड़ी. न सिर्फ शिकार करने के लिए, बल्कि इसलिए भी कि शिकार के लिए बाघ को रिझाने के लिए उन्हें भैंसे को चारे के रूप में इस्तेमाल किया था.
रॉयल बायोग्राफर रॉबर्ट हार्डमैन अपनी किताब "Queen of the World" में लिखते हैं,
माने उस दौर में मांसाहारी जानवरों का शिकार करना बड़ी शान का काम समझा जाता था, भारतीय राजा हों अंग्रेज़ अधिकारी चीते, बाघ और दूसरे ,मांसाहारी जानवर इन लोगों के मनोरंजन की विषयवस्तु बन गए थे. भारतीय चीता तो आज़ादी के पहले तक स्पोर्ट हंटिंग के चलते ही विलुप्त हो गया था.'जयपुर के महाराजा पहले से ही इस यात्रा के ‘मुख्य उद्देश्य’ के बारे में श्योर थे कि ड्यूक ऑफ एडिनबर्ग, टाइगर को शूट करने ही यहां आए हैं. उस समय ड्यूक ऑफ एडिनबर्ग 'वर्ल्ड वाइल्ड-लाइफ फंड की स्थापना की प्रक्रिया में थे. उस दौर के भारत में टाइगर को एक उम्दा ट्रॉफी के रूप में देखा जाता था. शिकार के बारे में निश्चित ही कोई गोपनीयता नहीं थी. दिन रात महारानी एलिजाबेथ, ड्यूक ऑफ एडिनबर्ग और उनके मेजबान पेड़ पर बने मंच से इंतजार करते रहे थे.'
जयपुर के बाद शाही परिवार उदयपुर, दिल्ली, आगरा, मुंबई, बेंगलुरु, अहमदाबाद, चेन्नई, कोलकाता और बनारस सहित तमाम जगह घूमा. रॉयल फैमिली जहां-जहां गई भीड़ स्वागत करने को आतुर दिखी. बेंगलुरु (बैंगलोर) में तो उनके सम्मान और उनकी स्वागत की तैयारी के वास्ते एक दिन की छुट्टी भी घोषित कर दी गई थी. लेकिन फिर भी 2 मार्च तक चली पूरी यात्रा के दौरान प्रिंस फिलिप को लेकर ब्रिटिश मीडिया क्रिटिकल ही रहा.

भाषण देती हुईं क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय (फोटो सोर्स- AFP)
अखबारों ने क्या लिखा? प्रिंस फिलिप की मृत्यु 9 अप्रैल, 2021 को हुई तब उनके शोक समाचार के बतौर अंग्रेज़ी अख़बार द गार्डियन ने लिखा था,
'वह धर्म और संरक्षण में गहरी रुचि रखते थे. भारत में अपनी यात्रा के दौरान एक ही शॉट में 8 फीट के टाइगर को मारने के बाद वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फंड के प्रेसिडेंट बने.'न जाने ये शोक समाचार था या कोई व्यंग्य. जो भी हो, प्रिंस का कॉन्ट्रोवर्सी से चोली-दामन का साथ था. अभी कुछ साल पहले मलाला यूसुफजई से जुड़े एक मामले पर फ़िलिप ने एक भद्दी टिप्पणी कर डाली थी. बोले,
'वो बच्चे इसलिए स्कूल जाते हैं क्योंकि उनके मां बाप उन्हें घर में नहीं देखना चाहते.'