असीम समंदर के बीच हिलोरे खाती एक नाव. नाव के अंदर पांच लोग. चार समुद्री लुटेरे, या जिन्हें अंग्रेज़ी में पाइरेट कहते हैं. पांचवा आदमी- एक समुद्री जहाज का कप्तान. जिसे अगवा कर लिया गया है. जहाज अमेरिका का है और कप्तान भी. जिन्हें समुद्री लुटेरे कहा जा रहा है, बित्ती भर के चार छोरे हैं, अंग्रेज़ी में बोले तो टीनएजर. सीन सेट है. कुछ ही देर में अमेरिका की नौसेना के जहाज , हेलीकॉप्टर सब आ जाते हैं. एकदम फ़िल्मी स्टाइल में स्नाइपर से तीन गोली चलती हैं और तीन लुटेरे ढेर हो जाते हैं. कप्तान बचा लिया जाता है. घर पहुंचकर उसका स्वागत एकदम हीरो की तरह होता है. बाकायदा किताब छपती है. फिल्म बनती है. सब ताली बजाते हैं और घर चले जाते हैं.
समुद्री डाकुओं ने शिप का कैप्टन किडनैप किया, फिर आई नेवी!
सोमालिया के ख़तरनाक समुद्री डाकुओं द्वारा अगवा किए गए कप्तान नेवी ने कैसे बचाया? क्यों होते हैं सोमालिया में इतने समुद्री डाकू?
.webp?width=360)
पीछे छूट जाती है एक तस्वीर. उस चौथे लुटेरे की, जो बच गया था. जो 33 साल जेल की सजा पाने के बाद भी हथकड़ियों में बंधा, खड़ा-खड़ा मुस्कुरा रहा था. ये कहानी है सोमालिया के समुद्री डाकुओं की. (Captain Phillips)
अमेरिकी जहाज और समुद्री डाकूसाल 2009, अप्रैल महीने की बात है. मर्स्क ऐलाबामा नाम की एक अमेरिकी कम्पनी का समुद्री जहाज ओमान से निकलता है. जहाज में राहत सामग्री है. UN की विभिन्न संस्थाओं की तरफ से. इसे पहुंचना है केन्या, जहां से ये राहत सामग्री यूगांडा, रवांडा आदि देशों में भेजी जाएगी. इस रुट से जाते हुए उन्हें सोमालिया के बगल से होकर जाना था. (Somalia Pirates)

सोमालिया, जिसका नाम सुनते ही एक ही चीज याद आती है- समुद्री लुटेरे. सोमालिया का नक्शा देखिए. अरब देश यमन के एकदम क़रीब, अफ़्रीकी महाद्वीप के उस हिस्से में बसा एक मुल्क जिसे हॉर्न ऑफ़ अफ़्रीक़ा कहा जाता है. ठीक बगल में विशाल समंदर है. हमले की स्थिति में जहाज की सुरक्षा के इंतज़ाम न के बराबर थे. जहाज के कप्तान रिचर्ड फिलिप्स ने क्रू और कम्पनी का ध्यान इस तरफ खींचा. लेकिन अमेरिकी कंपनी अपनी चौड़ में थी. उन्होंने फिलिप्स की एक न सुनी. इस चौड़ के दो कारण थे.
पहला- समंदर की सतह और जहाज के डेक के बीच 50 फ़ीट की ऊंचाई थी. 15 नॉट या लगभग 28 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से चल रहे जहाज में इतनी ऊंचाई पर चढ़ना लगभग नामुमकिन जान पड़ता था. दूसरा कारण- किसी अमेरिकी जहाज पर आख़िरी बार 1815 में समुद्री लुटेरों का हमला हुआ था. यानी लगभग 2 सदियों में किसी ने अमेरिकी जहाज पर हाथ डालने की हिम्मत न की थी.
सुरक्षा की इस थियोरी का सामना जल्द ही प्रैक्टिकल असलियत से हुआ. 8 अप्रैल के रोज़ क्रू ने देखा कि मछली पकड़ने वाली दो नावें जहाज के पीछे लग गई हैं. जिस पर सवार थे सोमालिया के समुद्री लुटेरे. लुटेरे कहने से बात भारी भरकम लगती है. असल में ये 15 से 18 साल की उम्र के लड़के थे.
कप्तान फिलिप्स ने फोन पर मदद मांगने की कोशिश की. लेकिन यहां से सिर्फ निराशा हाथ लगी. इसके बाद उन्होंने यूनिवर्सल फ्रीक्वेंसी पर एक संदेश प्रसारित किया. ये नाटक था, ये दिखाने के लिए कि मदद आ रही है. फिलिप्स का एक सन्देश सुनकर दो में से एक नाव ने अपना रास्ता बदल लिया. दूसरी फिर भी पीछे लगी रही. उससे छुटकारा पाने के लिए क्रू ने जहाज से पानी के तेज़ फव्वारे मारे. काफी कोशिशों के बाद जब सुमद्री लुटेरों की नाव, जहाज के नजदीक न पहुंच पाई, उसने भी पीछा छोड़ दिया.

फिलिप्स और उनके क्रू की सांस में सांस आई. लगा मुसीबत टल गई. रात भर जहाज अपनी गति से रास्ते पर बढ़ता रहा. अगली सुबह सूरज उगा और अपने साथ एक बुरी खबर लेकर आया. फिलिप्स ने दूरबीन से देखा कि लुटेरों की नाव अब भी उनके पीछे है. फिर एक बार एक रोज़ पहले का घटनाक्रम दोहराया गया. लुटेरों की नाव जहाज के नजदीक आने की कोशिश करती रही. और जहाज का क्रू उन पर फव्वारे मारता था. कुछ घंटे बाद लुटेरों ने एक सीढ़ी निकाली और जहाज के किनारे से सटा दी. इसके बाद बंदूकधारी चार लुटेरे जहाज पर चढ़ गए.
जहाज पर चढ़े इन चार लुटेरों का एक लीडर था. नाम - अबदुवाली मुसे. चारों में सबसे ज्यादा अनुभवी वही था. उसने बन्दूक की नोंक पर फिलिप्स से पहला सवाल पूछा,
ये जहाज कहां का है? फिलिप्स ने जवाब दिया- अमेरिका से.
ये सुनते ही चारों लड़के खुशी से खिलखिलाने लगे. अमेरिकी जहाज का मतलब था, जहाज की रिहाई के बदले बड़ी रकम मिलेगी. इसके बाद उन्होंने जहाज के कंट्रोल्स चेक किए. पता चला कि कंट्रोल्स काम ही नहीं कर रहे हैं. ये फिलिप्स और क्रू की चालाकी थी. उन्हें पता था लुटेरे जहाज को सोमालिया ले जाने की कोशिश करेंगे. इसलिए उन्होंने जहाज के कंट्रोल्स बंद कर दिए और बहाना किया कि कंट्रोल ख़राब हो गए हैं. लुटेरों के सरदार ने फिलिप्स से पूछा, बाकी लोग कहां हैं?
दरअसल फिलिप्स ने क्रू के 14 सदस्यों को इंजन रूम में भेज कर अंदर से ताला लगाने को कह दिया था. ताकि लुटेरे वहां न घुस सकें. फिलिप्स के बताते ही लुटेरों का लीडर, उन 14 लोगों की खोज में निकला. लेकिन जैसे ही वो इंजन रूम में पहुंचा, वहां मौजूद लोगों ने उसे कब्ज़े में ले लिया. इसके बाद क्रू और बाकी लुटेरों के बीच बार्गेनिंग शुरू हुई. क्रू ने प्रस्ताव रखा कि अगर वो कप्तान फिलिप्स को छोड़ दें तो वो अबदुवाली को जाने देंगे. इतना ही नहीं, वो 30हजार डॉलर और एक लाइफ बोट देने को राजी हो गए. सब कुछ ठीक से निपटता दिखाई दे रहा था कि तभी कप्तान फिलिप्स से एक गलती हो गई. रिहा किए जाने से पहले फिलिप्स लाइफ बोट में घुसे ताकि लुटेरों को उसे चलाने का तरीका सिखा सकें. लेकिन जैसे ही वो अंदर दाखिल हुए, एक लुटेरे ने फिलिप्स की कांख में बन्दूक के बट से वार किया और दरवाज़ा बंद कर दिया. लुटेरों ने फिलिप्स को किडनैप कर किया था और अब वो उन्हें अपने साथ सोमालिया लेकर जा रहे थे.
सोमालिया में इतने डाकू कहां से आए?फिलिप्स की रिहाई कैसे हुई उससे पहले एक और बात है, जिसका जिक्र किए बिना ये कहानी अधूरी है. सोमालिया वो मुल्क है जिसके समंदर में मछलियों का अथाह भंडार है. बाकायदा 1990 तक सोमालिया की अर्थव्यवस्था मछलियों के शिकार से ही चलती थी. तब यहां समुद्री लुटेरों का कोई डर न था. अधिकतर लोग मछली का व्यापार करते थे. फिर ऐसा क्या हुआ की सन 2000 आते-आते सोमालिया समुद्री लुटेरों का दूसरा पर्याय बन गया?

इस सवाल का जवाब जानने के लिए लिए हमें 1990 के दशक में चलना होता. हुआ यूं कि इस दौरान सोमालिया गृहयुद्ध की भेंट चढ़ गया. सरकार जैसी कोई चीज न रही तो नौसेना भी खत्म हो गई. जिसका फायदा उठाया विदेशी कंपनियों ने. सोमालिया के लोग छोटी नावों में मछली पकड़ते थे. उनके सामने विदेशी कंपनियों के बड़े-बड़े ट्रॉलर आकर खड़े हो गए. लोगों का रोजगार छिनने लगा. जैसे ही ये चीज व्यापक पैमाने पर हुई, सोमालिया के लोगों ने हथियार उठा लिए. और समुद्री लुटेरे बन गए. समुद्री मालवाहक जहाजों का एक बड़ा जखीरा सोमालिया की तट रेखा के बगल से होकर गुजरता था. मछुआरे से लुटेरे बने लोगों ने इन जहाजों को निशाना बनाना शुरू किया. इसका फायदा भी हुआ. फिरौती की एक बड़ी रकम सोमालिया पहुंचने लगी.
और साल 2005 तक ये धंधा इतना बड़ा हो गया कि एक पाइरेट स्टॉक एक्सचेंज बना दिया गया. यानी लुटेरों के अभियान को फंड करने के लिए आप उनमें इन्वेस्ट कर सकते थे. और बदले में आपको लूटी हुई रकम का एक बड़ा हिस्सा मिलता. ये बिजनेस कितना बड़ा था इस आंकड़े से समझिए कि साल 2006 से 2013 के बीच लुटेरों को 27 हजार करोड़ रुपए की रकम फिरौती के रूप में चुकाई गई.
फिरौती का ये लालच ऐसा था कि सोमालिया में 15 -17 साल के लड़कों ने समुद्री लुटेरों के ऐसे गैंग बन लिए जो मालवाहक जहाजों को निशाना बनाते थे. 8 अप्रैल के रोज़ जिन 4 लड़कों ने अमेरिकी जहाज को लूटने की कोशिश की थी, वो भी ऐसे ही एक गुट का हिस्सा थे. जहाज अपहरण कर सोमालिया ले जाने का प्लान जब फेल हो गया वो जहाज को कप्तान को अपने साथ लेकर चले गए.
नौसेना का ऑपरेशनलाइफबोट में कप्तान फिलिप्स को लेकर चारों समुद्री लुटेरे सोमालिया की तरफ जा रहे थे. वक्त काफी लगना था क्योंकि लाइफबोट की स्पीड काफी कम थी और फिलिप्स का अपना जहाज उनका पीछा कर रहा था. करीब एक दिन बाद 11 अप्रैल को अमेरिकी नेवी एक नौसैनिक जहाज भी वहां पहुंच गया. उन्होंने लुटेरों से लीडर अबदुवाली से बातचीत की कोशिश की. लुटेरे करोड़ों डॉलर फिरौती की मांग कर रहे थे. अमेरिकी नेवी सील्स ने उन्हें बातों में उलझाए रखा और साथ ही फिलिप्स की रिहाई का प्लान भी बनाते रहे. 11 अप्रैल की रात फिलिप्स को भागने का मौका मिला. उन्होंने एक लुटेरे को धक्का दिया और खुद समंदर में छलांग लगा दी. लेकिन इससे पहले कि वो अपने जहाज तक पहुंच पाते, लुटेरों ने उन्हें दुबारा पकड़ लिया. फिलिप्स की जान अब खतरे में थी. अमेरिकी नेवी सील्स के जवानों को जल्द से जल्द कदम उठाना था.

लुटेरों की लाइफबोट अब तक एक रस्सी के सहारे नौसैनिक जहाज से बांधी जा चुकी थी. जिसकी मदद से नौसैनिक जहाज धीरे-धीरे लाइफ बोट के नजदीक आया और 12 अप्रैल की रात मौका पाकर स्नाइपर्स ने तीन लुटेरों को अपना निशाना बना लिया. और कप्तान फिलिप्स को सकुशल रिहा कर लिया गया. इस ऑपरेशन में चौथे लुटेरे अबदुवाली मुसे की जान बच गई. उसे अमेरिका लाया गया. नीचे तस्वीर में दिख रहा अबदुवाली पुलिस में गिरफ्त में मुस्कुराता हुआ दिखाई दे रहा है. इस तस्वीर के चलते अमेरिकी मीडिया ने उसे द स्माइलिंग पाइरेट का नाम दिया.
इस घटना पर एक फिल्म भी बनी, जिसमें मशहूर अभिनेता टॉम हैंक्स ने कैप्टन फिलिप्स की भूमिका निभाई थी. फिल्म हिट रही और उसने काफी अवार्ड भी जीते. आखिर में कहानी का पटाक्षेप इस तथ्य के साथ करते हैं कि सोमालिया साल 2023 में भी गृह युद्ध की मार झेल रहा है. जिसमें पिछले 20 सालों में कुल 5 लाख लोग मारे जा चुके हैं. सोमालिया से सटे समंदर में नेचुरल रिसोर्सेस की बहुतायत है. लेकिन उनका दोहन आज भी सिर्फ विदेशी कंपनियां करती हैं. सोमालिया के लोगों के लिए बचता है रास्ता - जुर्म का. कौन कह सकता है कि हम में से कोई ऐसी परिस्थिति में पैदा होता तो क्या करता.
वीडियो: तारीख: सिंगापुर के गरीब से अमीर बनने की कहानी!