The Lallantop

जिस दिन दुनिया अनाज के लिए तरसेगी, सबको यहां जाना पड़ेगा

यहां पर वो चीजें रखी गई हैं, जो भविष्य में सबके काम आएंगी.

post-main-image
फोटो - thelallantop
# अगर न्यूक्लियर वॉर हो गया तो सब कुछ बर्बाद हो जाएगा, ऐसी स्थिति में बचे हुए लोगों को खाना कैसे मिलेगा? # अगर भूकंप, सुनामी, तूफान सब एक साथ आ गए तो क्या होगा? अगर उसी दिन कोई बहुत बड़ा उल्कापिंड गिर जाए तो क्या होगा? कुछ लोग तो बच ही जाएंगे, वो खाएंगे क्या? # एक साधारण बारिश पूरी फसल खराब कर देती है. इन आपदाओं के होने की स्थिति में अनाज पैदा करने की ही गुंजाइश खत्म हो जाएगी.
ऐसा भी नहीं है कि ऐसी घटनाएं हो नहीं सकतीं. इनमें से किसी के होने से इंकार नहीं किया जा सकता. इसके लिए वैज्ञानिकों ने एक इंतजाम किया है. आर्कटिक सर्कल के पास नॉर्वे और नॉर्थ पोल के बीच स्वालबर्ड नाम के आर्किपेल्गो पर बीज भंडार बनाया गया है. पर ये हमारे यहां के बीज भंडार जैसा नहीं है कि चूहों की पार्टी ही चलती रहती है. जब सामान लेन जाएं तो खाली बोरी मिलती है.
स्वालबर्ड, सबसे ऊपर का नीला रंग (क्रॉप ट्रस्ट की वेबसाइट से)
स्वालबर्ड, सबसे ऊपर का नीला रंग (क्रॉप ट्रस्ट की वेबसाइट से)

इसको ग्लोबल सीड वॉल्ट कहा गया है. 10 लाख की वैरायटी के बीज यहां पर इकट्ठा किये गये हैं. अभी फरवरी के महीने में इंडिया और पाकिस्तान से भी बीज गए हैं. बीजों के भंडारण में ये नहीं देखा जाता कि इंडिया और पाकिस्तान के बीज अलग रखने हैं. सब साथ ही रहते हैं. नॉर्थ कोरिया और साउथ कोरिया के बीज भी साथ हैं. जब आपदा आएगी तो निश्चित रूप से आप ये नहीं कहेंगे कि मैं इंडिया का हूं और पाकिस्तान का बीज नहीं खाऊंगा.
svalbard-global-22-1920x1200
ग्लोबल सीड वॉल्ट का एंट्रेंस (क्रॉप ट्रस्ट की वेबसाइट से)

इस वॉल्ट में 13 हजार सालों की सभ्यता के बीज रखे गए हैं. ये बात इसलिए महत्वपूर्ण हो जाती है कि धीरे-धीरे पूरी दुनिया के खाने-पीने का अंदाज एक ही जैसा होते जा रहा है. टाइम मैगजीन के मुताबिक मात्र 30 फसलें दुनिया की 95 प्रतिशत आबादी का पेट भर रही हैं. अमेरिका 1900 के बाद अपनी 90 प्रतिशत फसलें खो चुका है. चीन आज से 70 साल पहले जितने तरह के चावल उगाता था, उसका 10 प्रतिशत अब उगाता है. तो समस्या ये हो गई है कि अगर कोई नया रोग या कीड़ा लग गया इन फसलों को तो युद्ध तो दूर, शांतिकाल में इसके चलते इतनी बर्बादी होगी कि युद्ध हो जाएगा.
Svalbard-TheVault-BRG-254-1918x1280 ग्लोबल सीड वॉल्ट

स्वालबर्ड को इसीलिए चुना गया क्योंकि ये बाकी दुनिया से बहुत दूर है. अगर युद्ध भी हुआ तो ये जगह बची रहेगी. टाइम मैगजीन के मुताबिक इसी जगह से थोड़ी दूरी पर आर्कटिक वर्ल्ड आर्काइव बनाया गया है जहां पर दुनिया की कई सरकारों और प्राइवेट कंपनियों का डाटा सुरक्षित किया गया है. ताकि फ्यूचर में कुछ होने पर ये मदद कर सके.
बीज भंडार कंक्रीट की एक मोटी छत के नीचे बनाया गया है. ये पहाड़ों में 430 फीट नीचे तक गया है. डीप फ्रीजिंग में सारे बीज रखे जाते हैं. क्लाइमेट चेंज की वजह से भी फसलें बर्बाद हो सकती हैं. इस स्थिति में इन बीजों पर प्रयोग कर के इनको फिर से इस्तेमाल किया जा सकता है.
syria vault सीरिया का सीड वॉल्ट

ऐसा नहीं है कि ये अपने आप में अकेला बीज भंडार है. टाइम मैगजीन के मुताबिक दुनिया में 1700 बीज भंडार बनाए गए हैं. इनमें भी इसी तरीके से बीज रखे जाते हैं. स्वालबर्ड बीज भंडार तो 2008 में बनाया गया था. इसकी कल्पना क्रॉप ट्रस्ट के कैरी फॉलवर ने 80 के दशक में ही की थी. पर यूएन के कहने के बाद 2001 में ही इस पर पॉलिसी तय हो पाई.
सीरिया के एलेप्पो शहर में इंटरनेशनल सेंटर फॉर एग्रीकल्चरल रिसर्च इन द ड्राई एरियाज नाम की संस्था यही काम करती थी. लेकिन युद्ध के चलते इनको अपना हेडक्वार्टर वहां से हटाना पड़ा. फिर मोरक्को और लेबनान में बनाया गया. अफगानिस्तान और इराक के जीन बैंक तो युद्ध में बर्बाद हो गए. फिलीपिंस का जीन बैंक बाढ़ में बह गया.
the-svalbard-global-seed-vault-has-been-in-use-since-2008
इससे बहुत पहले जब जर्मनी और रूस में लड़ाई हुई थी, तब लेनिनग्राद में एक वैविलोव रिसर्च इंस्टिट्यूट हुआ करता था. वो भी जीन बैंक ही था. एक दर्जन वैज्ञानिक इसकी रक्षा कर रहे थे. क्योंकि रूस की भूखी जनता और जर्मनी के सैनिक दोनों ही इसको लूटना चाहते थे. वैज्ञानिक अंदर ही फंसे रहे और भूख से मर गए. लेकिन उन्होंने बीज का इस्तेमाल नहीं किया. कहा जाता है कि वैज्ञानिक दिमित्री इवानोव की लाश चावल के बोरों के बीच मिली.
ये भी पढ़ें:

2029 तक पावर में रहना है, इसके लिए प्रेसिडेंट घोंटेंगे सबका गला

आतंकवादियों के खिलाफ़ सबसे कामयाब कार्रवाई, जिसमें एक भी जवान नहीं मरा

तमाम पुरुषों के नाम, जिनको रोने की छूट नहीं है