14 जून को सुशांत ने सुसाइड कर लिया था. (फोटो: एएफपी)
सुशांत सिंह राजपूत केस की जांच सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को सौंप दी है. सीबीआई अब इस बात की जांच करेगी कि सुशांत ने सुसाइड जैसा कदम क्यों उठाया? क्या किसी ने उन्हें इसके लिए उकसाया था? सुशांत की मौत के बाद से ही केस के सीबीआई जांच की मांग उठ रही थी. अब जांच सीबीआई के पास है तो ये जानना भी रोचक होगा कि ऐसे मामलों में उसका सक्सेस रेट क्या है. सभी तरह के मामलों को मिला दें तो सीबीआई का स्ट्राइक रेट 65-70 फीसदी रहा है. मतलब, 100 में से 65-70 मामलों में सीबीआई आरोपी तक पहुंची है, और उसे सज़ा दिलवाई है. ये सक्सेस रेट सीबीआई को दुनिया की टॉप जांच एजेंसियों में रखता है. लेकिन, सुसाइड के मामलों में सीबीआई का सक्सेस रेट ज़ीरो है. सुसाइड केस में आत्महत्या के लिए उकसाने के मामलों में सीबीआई ने अब तक गिने चुने मामलों की ही जांच की है. एक भी मामले में सीबीआई ये साबित नहीं कर पाई कि जिसे आरोपी बताया गया गया है, उसने ही मरने वाले को सुसाइड के लिए उकसाया.
जिया खान के सुसाइड केस में क्या हुआ था? मौजूदा वक्त में CBI ऐक्ट्रेस जिया खान की मौत की जांच कर रही है. जिया ने 2013 में आत्महत्या कर ली थी. इस केस में सूरज पंचोली पर आरोप है कि उन्होंने जिया को सुसाइड के लिए उकसाया. CBI ने इस केस में चार्जशीट भी दायर की लेकिन 2017 से अब तक कुछ ख़ास नहीं पता चल सका है. जिया की मां राबिया का मानना है कि उनकी बेटी की हत्या कर दी गई थी. उन्होंने पुलिस पर आरोप लगाया था कि वो बॉलीवुड के टॉप लोगों के दबाव में काम कर रही है. मामले को लेकर सूरज पंचोली कहते हैं, 'मैं 21 की उम्र से कोर्ट जा रहा है. आज मैं 29 साल हूं. 8 साल से मैं अपनी क़ानूनी लड़ाई कोर्ट में खुद ही लड़ रहा हूं. मैंने राबिया खान के ख़िलाफ़ मानहानि के दो केस जीते हैं लेकिन वह लंदन में बैठकर इंटरव्यू दे रही हैं.'
चार्ट में देखिए 2010-19 के दौरान CBI ने कितने फीसद केस सुलझाए?
CBI का रिकॉर्ड निराशानजक क्यों है? इंडिया टुडे ने एक अधिकारी से बात की है जिन्होंने इस तरह के एक मामले की जांच की है. उन्होंने बताया-
धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाने) के मामले में मरने वाले की सोच, आरोपी की नीयत की तुलना में ज्यादा महत्वपूर्ण होती है. अब जब वह आदमी अपनी बात नहीं रख सकता क्योंकि उसकी मौत हो चुकी है तो इस स्थिति में आरोपी की मंशा को साबित करना मुश्किल हो जाता है
उन्होंने आगे बताया-
इस तरह के मामले में किसी को तभी सजा हो सकती है जब ये साबित हो कि मृतक के सुसाइड के पीछे आरोपी है और जरूरी सबूत मिलें कि आरोपी ने उसे सुसाइड के लिए उकसाया, भड़काया और सुसाइड करने के अलावा कोई और ऑप्शन नहीं छोड़ा.
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक़, मृत आदमी का मानसिक स्वास्थ्य भी जांच में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. अगर सुसाइड के वक्त मृतक का मानसिक स्वास्थ्य अच्छा नहीं था तो यह आरोपी के पक्ष में जाता है.
किस सुसाइड केस को CBI ने लगभग सुलझा लिया था? ऐसा सिर्फ एकमात्र केस है जब CBI सुसाइड के एक केस को सुलझाने के एकदम नज़दीक पहुंच गई थी. रुचिका गिरहोत्रा केस. 12 अगस्त, 1990 को 14 साल की टेनिस खिलाड़ी रुचिका के साथ हरियाणा पुलिस के तत्कालीन इंस्पेक्टर जनरल एसपीएस राठौड़ ने अपने ऑफिस में कथित तौर पर छेड़छाड़ की. रुचिका ने मामले की शिकायत की और बाद में हरियाणा पुलिस ने रुचिका के परिवार को कथित तौर पर परेशान किया. 28 दिसंबर, 1993 को रुचिका ने कथित तौर पर आत्महत्या कर ली. सुसाइड केस को लेकर कोर्ट ने 1998 में CBI जांच के आदेश दिए. CBI ने 2010 में चार्जशीट दायर की और राठौड़ के खिलाफ़ रुचिका को सुसाइड के लिए उकसाने को लेकर नई FIR दर्ज की. कोर्ट ने 2016 में राठौर को इस बात के लिए दोषी माना कि उसने रुचिका के साथ छेड़खानी की थी. हालांकि, यह भी कहा कि लेकिन राठौड़ ने उसे सुसाइड के लिए मजबूर नहीं किया.
विडियो- क्या राजनीति के पार जा पाएगी सुशांत सिंह राजपूत केस की CBI जांच?