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वो बंगाली एक्टर, जिसे हिंदीवाले नाम से नहीं शक्ल से जानते हैं

आपके साथ भी ऐसा ही हो गया न?

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परांब्रता चटर्जी
बॉलीवुड का एक ऐसा चेहरा है जिसे शायद आप नाम से ना जानते हों लेकिन उनकी तस्वीर देखकर ज़रूर पहचान लेंगे. उनकी फोटो दिखा दी जाए तो कहेंगे अरे यार! ये तो ‘कहानी’ और ‘परी’ वाला हीरो है. अगर आप इनके बारे में ज्यादा नहीं जानते तो कोई बात नहीं. हम बताएंगे. इस एक्टर का नाम है परांब्रता चटर्जी. आज इन्हीं के बारे में बात करेंगे. इनकी फिल्में, ज़िंदगी, उठापटक और कुछ छुपी हुई कहानियों के बारे.

कलाकारों के परिवार में जन्मे

परांब्रता के पेरेंट्स फिल्म क्रिटिक थे. घर में पहले से ही फिल्मों का माहौल था. ‘रूदाली’ जैसी नायाब कहानियां लिखने वाली महाश्वेता देवी इनकी बुआ थीं. उन्हें बंगाली साहित्य का मुख्य स्तंभ माना जाता है. परांब्रता ऋत्विक घटक के भतीजे हैं. वो ऋत्विक, जिन्होंने सिनेमा में फिल्मों का कॉन्सेप्ट ही बदल कर रख दिया. इन शॉर्ट परांब्रता को कला विरासत में मिली थी.
महाश्वेता देवी परांब्रता की बुआ थीं.
महाश्वेता देवी परांब्रता की बुआ थीं.

मां ने दिया था नाम

परांब्रता के बाबा और मां अलग हो चुके थे. मां काम भी करतीं और इन्हें भी संभालती. मां उनकी दोस्त की तरह थीं. ये भी अपनी जिम्मेदारियां समझने लगे थे. इसलिए जल्दी ही काम भी करने लग गए. पहली तनख्वाह जो आई, उसे मां के हाथों में नहीं रखा. ये थोड़ा अजीब था. ये उन बच्चों में से नहीं थे जो हर काम से पहले अपनी मां के पैर छूते. ये बस अपनी मां के बेस्ट बडी थे. मां के प्यारे बब्बन.

जब मां ने कहा था कि इस लड़की से दूर रहो

परांब्रता ने मां से कभी कोई बात नहीं छुपाई. यहां तक मां को अपनी पहली किस के बारे में भी बताया था. दूसरी बार रिलेशन में आए बंगाल की अदाकारा स्वास्तिका मुखर्जी के साथ. वो पहले से शादीशुदा थी. मां ने कहा कि ये रिश्ता ज्यादा टिक नहीं पाएगा और तुम्हें बहुत परेशानी होगी. जानते थे कि हर बार की तरह इस बार भी मां सही बोल रही है. मगर प्यार तो प्यार होता है. उनको लगा कि मां गर्लफ्रेंड के परिवार के सामने इमेज खराब कर रहीं हैं. इस दौरान एक बेवकूफी भी कर बैठे. स्वास्तिका की बेटी से मिलने उसके स्कूल चले गए. उसके बाद खुद तो इंग्लैंड चले गए. मगर उन पर स्वास्तिका के ससुराल वालों ने केस कर दिया. पांच महीने बाद जब वापिस आए तो सारा मैटर क्लीयर हुआ. इनकी गैर मौजूदगी में मां ने सारा मैटर संभाला था. मां से माफी मांगी और गलतफहमी दूर की.
स्वास्तिका मुखर्जी.
स्वास्तिका मुखर्जी.

विद्या की डेब्यू फिल्म में उनके साथ काम किया

विद्या बालन की पहली फिल्म थी 'भालो ठेको'. 2003 में बनी ये फिल्म दोनों के करियर में नया मोड़ ले आई. इस फिल्म का क्या मतलब है उसे समझने के लिए इस फिल्म का एक सीन देखिए.
एक सीन में विद्या के बुलाने पर परांब्रत चटर्जी उनके घर पहुंचते है. वो घर के बाहर टेंशन में खड़ी होती हैं. पहुंचने पर पूछते हैं कि क्या हुआ अचानक क्यों बुला लिया? कहती हैं, झुनकी घर से भाग गई है. अब मैं चाचा को क्या जबाव दूंगी? ऐसे में परांब्रत कहते हैं कि कभी तो अपने बारे में सोच लिया करो, चाहे थोड़ा सा ही. विद्या बात को नकारते हुए कहती है कि कभी भी कोई इंसान पूरी तरह अपने बारे में नहीं सोचता. तब कुछ यूं परांब्रत उस सदी का सबसे लोकप्रिय बंगाली डायलॉग बोलते हैं.
"इस पेड़ को देखो. जब भी मैं उदास होता हूं. मैं इस पेड़ के नीचे चला आता हूं. ऐसा लगता है कि ये मेरी सारी उदासी दूर कर रहा हो. इसकी छाल को देखो इस पर कितने निशान है. मगर ये फिर भी खड़ा है. हाथ उठाए बढ़ता जा रहा है आसमान की तरफ. जब बारिश होती है, इसकी पत्तियां बारिश में भीगकर, जब नीचे खड़े मुझ पर बूंदें गिराती हैं. तो ऐसा लगता है कि ये मेरे साथ, मेरे दुख में रो रहा हो. तब ये ‘कृष्णाचुरा’ का पेड़ ‘रघु दा’ की तरह कहता है कि लड़ते रहो लड़ते रहो. जीवन एक ही मिला है तुम्हें. रूको मत बढ़ते रहो."
तब विद्या प्यार से उनके गाल पर हाथ रख देती है और कहती है कि मैं भी तो यही कह रही थी. ये सुनते ही परांब्रत पिघल जाता है और कस कर उसका हाथ पकड़ लेता है. पराब्रंत ने अपनी टेड टॉक में भी इसी डायलॉग का जिक्र किया है. जब भी मन में कोई डाउट हो या कोई परेशानी, वो इसी डायलॉग की आखिरी लाइनें दोहरा देते हैं.
'भालो ठेको' के एक सीन में विद्या बालन और परांब्रता.
'भालो ठेको' के एक सीन में विद्या बालन और परांब्रता.

जब ‘कहानी’ की कहानी मिली

2012 की बात है. सुजॉय घोष ‘कहानी’ को कोलकाता में शूट करने वाले थे. मन में परांब्रता को कास्ट करने का प्लान पहले ही बना चुके थे. फोन मिलाया. उस वक्त बब्बन अपनी गर्लफ्रेंड के साथ एम्स्टर्डम में थे. सुजॉय ने बिना किसी फॉरमैलिटी के बताया कि फिल्म का शूट होने वाला है. उसमें आपका ये रोल है. भारत वापिस आना पड़ेगा. एक तरफ फिल्म थी और दूसरी तरफ पेरिस से रोम गर्लफ्रेंड के साथ घूमने का प्लान. रोम का प्लान अधूरा छोड़ 'कहानी' पूरी की.
कोलकाता में ये अपनी किसी फिल्म की शूटिंग कर रहे थे. तब लोगों की भीड़ ने वहां हमला कर दिया. एक आदमी ने इनसे पूछा कि क्या आप कहानी के हीरो थे. तब ये तपाक से बोले कि ‘गलत इस कहानी में दो हीरो थे एक विद्या और दूसरा कोलकाता. बाकि मैं तो उस फिल्म की हीरोइन थी.’ सब हंसने लग गए. विद्या के साथ इनकी दूसरी फिल्म जरूर थी. मगर साथ में तालमेल पहली फिल्म जैसा था.

'परी' मूवी में जिनके लिए आप हनुमान चालीसा पढ़ेंगे

बॉलीवुड फिल्मों में भूत इतने फेक होते हैं कि इंसान उनके साथ टी पार्टी कर ले. इसके बावजूद ‘राज’ और ‘भूत’ बॉलीवुड में ऐसी दो फिल्में थीं, जो थीं हॉरर मगर उनका इम्पेक्ट किसी दूसरी फिल्म जितना ही था. 2018 में ‘परी’ आने वाली थी. खास बात ये थी कि परांब्रता इस तरह की पहली डरावनी फिल्म कर रहे थे. वो भी अनुष्का के साथ. इस फिल्म में ये ग्रे शेड में थे. मगर चेहरा इतना मासूम कि आप इनकी सारी गलतियां माफ कर देंगे. इन्हें बचाने के लिए आप सारी हनुमान चालीसा पढ़ डालेंगे

गाने भी गाते हैं

आपने शायद बंगाली गानों में रवींद्रनाथ टैगोर का ‘एकला चलो’ ही सुना होगा. अपनी बंगाली प्लेलिस्ट को अब अपडेट कीजिए और परांब्रत की फिल्म 'छाया मनुष' का ये गाना जरूर सुनिए. इस गाने की खास बात ये है कि इस गाने को परांब्रत ने गाया है. जरूर सुनिएगा उनकी आवाज़ में गुनगुनाया हुआ इनका ये गाना ‘अरण्योरात’. जिंदगी में इन्हें शोहरत, पैसा सब मिला. मगर सबसे करीबी दोस्त मां आज उनके साथ नहीं हैं. उनकी जिंदगी में अब उनकी बहुत प्यारी दोस्त और गर्लफ्रेंड इल्क हैं. जो नेदरलैंड से हैं. प्रोफेशन से डॉक्टर इल्क को कोलकाता बहुत पसंद है. इन दोनों के साथ में होने की वजह परांब्रत की मां हैं. जो चाहती थीं कि ये दोनों साथ में रहें. चाहे सब कुछ उथल पुथल हो चुका हो. मगर आज भी लड़ते-भिड़ते बेखौफ जिए जा रहें हैं.


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