ई-कॉमर्स मने इंटरनेट के माध्यम से व्यापार. अगर खुदरा या थोक खरीद-फ़रोख्त, कच्चे-माल की खरीद-फ़रोख्त, बिडिंग की प्रक्रिया जैसे काम ऑनलाइन किए जाएं तो यही ई-कॉमर्स ठहरा. इसलिए ही तो अमेज़न, फ्लिपकार्ट भी ई-कॉमर्स कंपनियां हैं.
अलीबाबा कितनी बड़ी है, इसे ऐसे समझें कि अमेजन और ई-बे जैसी बड़ी ई-कॉमर्स कंपनीज़ की वेबसाइटों पर उपलब्ध मर्चेंडाइज़ (सामान) के ग्रॉस वॉल्यूम को मिला दिया जाए तो भी ‘अलीबाबा’ का आकार बड़ा ही निकलता है.
जैक मा. अलीबाबा के फ़ाउंडर. आज बड्डे है. 10 सितंबर, 2020 को 56 साल के हुए हैं. इसलिए आज इनकी और इनकी बनाई कंपनी की बात, जिसमें 10 सितंबर, 2019 तक ये कार्यकारी अध्यक्ष रहे थे. उसके बाद उनकी जगह ली डेनियल झांग ने. झांग इससे पहले अलीबाबा के अंडर आने वाली ई-कॉमर्स वेबसाइट ताओबाओ के CEO थे.
जहां एक तरफ अमेज़न नो-लॉस, नो-प्रॉफिट वाले खाने में बैठती है, वहीं अलीबाबा प्रॉफ़िट्स के मामले में दिन दूनी रात चौगुनी के हिसाब से तरक्की कर रही है. अलीबाबा अब कोई विशेष तरीके का प्रोडक्ट बनाने वाली या एक ही चीज़ में डील करने वाली कंपनी या एक विशेष वर्ग के ग्राहकों की आवश्यकताओं को पूरा करने वाली कंपनी न रहकर एक कंग्लोमरेट हो गई है.
कंग्लोमरेट मतलब कई कंपनियों का समूह सरीखा, जिसमें हर कंपनी एक अलहदा कंपनी की तरह होती है. जैसे हमारे देश में टाटा है, जो गाड़ियां भी बनाती है और नमक भी. उसके इलेक्ट्रॉनिक्स वाले शोरूम का नाम क्रोमा है तो ज्वैलरी वाली चैन का नाम तनिष्क. यूं टाटा भी कंग्लोमरेट है और अलीबाबा भी. अलीबाबा कैसे, आइए जानते हैं -
'अलीबाबा डॉट कॉम' कंपनी का मूल बिज़नस है. ये वेबसाइट विदेशी ग्राहकों पर फोकस करती है. ये ऑनलाइन थोक विक्रेता कही जा सकती है. इस वेबसाइट में चाइना का सामान थोक में खरीदा जा सकता है, लेकिन ये सुविधा चाइना से बाहर रहने वालों के लिए है. इसका लोकल वर्ज़न, यानी चाइना के दुकानदारों की थोक खरीददारी का ऑनलाइन अड्डा, '1688 डॉट कॉम' है. ये भी 'अलीबाबा डॉट कॉम' का ही एक सब डिविज़न है.
अलीबाबा की दूसरी डोमेन साइट है 'ताओबाओ डॉट कॉम'. ई-बे की तरह ही इसमें चीजों की बोलियां लगती हैं.
तीसरी वेबसाइट है टी 'मॉल डॉट कॉम'. इसमें प्रीमियम ब्रांड्स को जगह दी जाती है, लेकिन ब्रांड्स को इसमें जगह पाने के लिए पैसे देने होते हैं.
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यूट्यूब में अगर आप ज़ल्दी पैसे कैसे कमाएं सर्च करेंगे तो आपको एक विधि ये भी मिलेगी कि अलीबाबा से थोक में सामान मंगवाएं, उसकी मस्त पैकिंग-वैकिंग करें और अमेज़न में बेचने के वास्ते डाल दें. इस विधि की सफलता पर मुझे शक है. शायद ही कोई इस तरह से अमीर बना होगा, लेकिन इन वीडियोज़ से साबित हो जाता है कि अलीबाबा चाइना के सामानों का कितना बड़ा निर्यातक है. इसलिए ही तो जैक-मा को चाइना में ईश्वर की तरह पूजा जाता है. कई घरों में उनकी मूर्ति या फोटो लगाकर सुबह शाम धूप बत्ती की जाती है. वो चाइना के कई घरों में ठीक वैसे ही धन के देवता माने जाते हैं जैसे भारत में कुबेर.

# जैक मा चाइना के सबसे अमीर आदमी रहे हैं. फ़ोर्ब्स, टाइम जैसी विश्वविख्यात मैगज़ीन्स के कई काउंटडाउन्स में उनका नाम गाहे बगाहे आता ही रहता है. कल्याणी मुखर्जी की किताब– ब्रीफ बायोग्राफी ऑफ़ जैक मा के अनुसार उनका नाम ‘मा यून’ था. जैक बचपन में अंग्रेजी सीखने के लिए सौ-सवा सौ किलोमीटर पैदल चलकर टूरिस्टों से मिलने जाते थे. उनसे अंग्रेजी में बातें करते. उनके फ्री में टूर गाइड बनते. ऐसे ही एक ‘अंग्रेजी भाषी’ पर्यटक से जैक की दोस्ती हो गई. दोनों चिट्ठियों में बतियाते. लेकिन उस पर्यटक को ‘मा यून’ बोलने में दिक्कत होती तो वो इन्हें ‘जैक’ नाम से संबोधित करने लगा. और इस तरह मा यून हो गए जैक मा.

# अंग्रेजी से अपने प्रेम के चलते अंग्रेजी में बीए किया. फिर अंग्रेजी पढ़ाने लगे. इस दौरान और उसके बाद भी उन्होंने 40 के लगभग नौकरियों में अपना आवेदन दिया, लेकिन होनी ने उनके लिए कुछ और तय कर रखा था इसलिए उनका इनमें से किसी भी जॉब के लिए सेलेक्शन नहीं हुआ. केएफसी के एक इंटरव्यू में तीस लोगों ने नौकरी के लिए आवेदन किया था. उसमें से 29 लोगों का सिलेक्शन भी हो गया. केवल एक बंदा जॉब पाने से वंचित रहा. इस बंदे का नाम था- जैक मा. जैक मा की असफलता यहीं से शुरू और यहीं पर ख़त्म न हुई. एजुकेशन के लिए चाइना में जो एंट्रेंस एग्ज़ाम होता है, उसमें भी उन्होंने चार साल तक प्रयास किया, तब सफलता मिली.
दूर से देखने पर एक चीज़ दिखती है– असफलताएं. नज़दीक जाओ तो एक और चीज़ दिखती है– जिजीविषा. ‘चाहिए ही चाहिए’ वाला एटीट्यूड.

# खैर फिर जैक अमेरिका गए. वहां पर उन्होंने इंटरनेट को एक्सप्लोर करना शुरू किया. पता चला कि चाइना की ऑनलाइन उपस्थिति ना के बराबर है. इसका फायदा उठाकर उन्होंने पहले एक वेबसाइट और फिर एक वेबसाइट बनाने वाली कंपनी का निर्माण किया. ये सब वो 1995 तक कर चुके थे. यानी चाइना में इंटरनेट लाने और चाइना को इंटरनेट में लाने वाले कुछ प्रथम लोगों में से जैक मा भी थे. इसका फायदा उन्हें मिला, जब चाइना की सरकार ने उन्हें एक सरकारी आईटी कंपनी CIECC का सर्वे-सर्वा बना दिया. लेकिन फिर इसे भी छोड़ा और अपने ड्रीम प्रोजेक्ट, जो उन्हें चाइना का सबसे अमीर इंसान बनाने वाला था, अलीबाबा का श्रीगणेश किया.
# इतनी सीरियस बातों के बाद आइए जैक-मा का डांस परफॉर्मेंस भी देख लिया जाए. ये परफॉर्मेंस उन्होंने आज से तीन साल पहले अलीबाबा की 18वीं वर्षगांठ पर दी थी. इसके अलावा वो चाइना की एक फ़िल्म में भी नज़र आ चुके हैं.