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कौन हैं सीवान के खान ब्रदर्स, जिनसे शहाबुद्दीन की पत्नी को डर लगता है?

रईस खान अपराध की दुनिया से आगे बढ़कर राजनीति में एंट्री मार चुका है. हाल ही में सीवान से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में विधान परिषद का चुनाव लड़ा. लेकिन हार गया.

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रईस खान और मोहम्मद शहाबुद्दीन (फोटो- फेसबुक/फाइल)

फरवरी 2018 में दिल्ली के द्वारका इलाके में फिरोज खान नाम के एक शख्स की दिनदहाड़े हत्या होती है. इस हत्या का कनेक्शन जुड़ता है बिहार के सीवान से. शूटर की गोली का शिकार हुए फिरोज सीवान के रहने वाले थे. पेशे से प्रॉपर्टी डीलर फिरोज खान सीवान के चर्चित बाहुबली और आरजेडी के सांसद रहे शहाबुद्दीन के करीबियों में से एक था. वही शहाबुद्दीन जिसकी आपराधिक कथा का कोई अंत नहीं है. जिसके खिलाफ हत्या, रंगदारी से लेकर अपहरण के अपराधों की एक लंबी सूची रही. कहा जाता है कि शहाबुद्दीन की गिरफ्तारी के बाद फिरोज खान ही सीवान में उसके कामकाज को संभाल रहा था. उसके खिलाफ भी हत्या, रंगदारी और लूट जैसे कई मामले दर्ज थे.

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दिल्ली में फिरोज खान की हत्या करने वाले शूटर भी सीवान के ही थे. सब्बीर हुसैन और अमजद अली नाम के दो शूटर की गिरफ्तारी होती है. पकड़े जाने पर दोनों पुलिस को बताते हैं कि फिरोज की हत्या के लिए उन्हें रईस खान से 1 लाख रुपये की फिरौती मिली थी. जब फिरोज खान की हत्या होती है, उस वक्त रईस खान भी सीवान की जेल में बंद था. रईस खान के खिलाफ बिहार के अलग-अलग थाने में कई आपराधिक मामले दर्ज हैं.

सीवान के खान ब्रदर्स

सीवान में रईस खान एक बार फिर चर्चा में है. दरअसल, चर्चा खान ब्रदर्स की है. रईस और उसके बड़े भाई अयूब खान की. बताया जा रहा है कि पिछले साल शहाबुद्दीन की मौत के बाद खान ब्रदर्स सीवान में उसी की तरह अपना दबदबा बनाना चाहते हैं. अयूब खान ट्रिपल मर्डर के आरोप में जेल में बंद है. नवंबर 2021 में सीवान में तीन युवक लापता होते हैं. विशाल सिंह, अंशु सिंह और परमेंद्र यादव. बाद में इन तीनों शख्स की लाश मिलती है. पुलिस जांच में मामले की तार अयूब खान तक जुड़ती है. जांच में सामने आया कि अयूब खान के निर्देश पर तीनों की लाश को ठिकाने लगाया गया था. जनवरी महीने की शुरुआत में एसटीएफ की मदद से पुलिस ने पूर्णिया जिले से अयूब खान को गिरफ्तार कर लिया.

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अयूब का छोटा भाई रईस खान अपराध की दुनिया से आगे बढ़कर राजनीति में एंट्री मार चुका है. हाल ही में सीवान से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में विधान परिषद का चुनाव लड़ा. लेकिन हार गया. हालांकि दूसरे नंबर पर जगह बना ली. आरजेडी उम्मीदवार विनोद जायसवाल को जीत मिली. बीजेपी तीसरे नंबर पर खिसक गई. विधान परिषद चुनाव के दिन ही, 4 अप्रैल की देर रात रईस खान के काफिले पर महुवल गांव में हमला हुआ. खबरें आईं कि ये हमला एके-47 सहित दूसरे हथियारों से किया गया था. रईस खान बाल-बाल बच गया. लेकिन एक व्यक्ति की मौत हो गई थी.

Raees Khan

रईस खान

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शहाबुद्दीन के बेटे पर केस

रईस खान ने इस हमले का आरोप शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा शहाब पर लगाया. खान ने ओसामा सहित 8 लोगों के खिलाफ केस दर्ज करवा दिया. इस घटना के बाद शहाबुद्दीन के परिवार ने धमकी मिलने का भी आरोप लगाया. शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब ने कहा कि उनके बेटे को फंसाया गया है. उन्होंने यहां तक कह दिया कि अगर सरकार न्याय नहीं करना चाहती है तो वे सीवान छोड़ कर चले जाएंगे.

हिना शहाब ने बेटे ओसामा के खिलाफ FIR दर्ज होने के बाद भावुक होते हुए कहा था,

"मैं बहुत घायल महिला हूं. मैं 18 साल अपने पति से दूर रही. उन्हें किसी तरह साजिश के तहत फंसाया गया था. 18 साल हम लोगों ने इंतजार किया कि अब मेरे साहब आएंगे. लेकिन जब 18 साल बीत गए और परिणाम हुआ कि उनके साथ इतनी बड़ी घटना घट गई. इसलिए मैं बहुत दुखी हूं. ऊपर वाला ना करे, अगर मेरे बेटे के साथ कोई हादसा होता है तो मैं यहां रहकर क्या करूंगी. किसके भरोसे रहूंगी. मांग भी उजड़ जाए, मेरी गोद भी उजड़ जाए तो मैं यहां नहीं रहूंगी."

हिना शहाब के सीवान छोड़ने की बात कहने पर रईस खान ने भी जवाब दिया. उसने कहा,

"सीवान छोड़ने की धमकी देने वाले चाहते हैं कि मैं इस्लाम छोड़ दूं. मैं बेवकूफ नहीं हूं कि किसी को फंसाऊंगा. राजनीति करने का सबको अधिकार है. क्या सीवान में सिर्फ शहाबुद्दीन का परिवार ही राजनीति करेगा."

शहाबुद्दीन कनेक्शन!

अब आते हैं खान ब्रदर्स के शहाबुद्दीन कनेक्शन पर. सीवान में लंबे समय तक शहाबुद्दीन की तूती बोलती थी. उनके खिलाफ चुनाव लड़ने वालों को धमकियां मिलती थीं. रईस खान और अयूब खान भी कभी शहाबुद्दीन के करीबियों में एक थे. हालांकि बाद में खान ब्रदर्स के रास्ते अलग हुए और दोनों भाइयों ने अपना गैंग खड़ा किया. अलग होने के पीछे भी एक कहानी है. साल 2005 का विधानसभा चुनाव था. खान भाइयों के पिता मोहम्मद कमरूल हक रघुनाथपुर सीट से चुनाव लड़ रहे थे. कहते हैं कि सीवान के तत्कालीन सांसद शहाबुद्दीन को ये पसंद नहीं था कि वे चुनाव लड़ें. क्योंकि इस सीट से शहाबुद्दीन के करीबी विक्रम कुंवर भी आरजेडी के टिकट पर मैदान में थे. उसी दौरान कमरूल हक को किडनैप कर लिया गया. इसका आरोप भी शहाबुद्दीन पर लगा. रईस खान आज भी इस घटना को याद करता रहता है.

शहाबुद्दीन से अलग होने के बाद गैंगवार शुरू हो गया. सीवान में दबदबे को कायम करने की लड़ाई. बीते सालों में खान बंधु के खिलाफ मर्डर, लूट, किडनैपिंग, रंगदारी के दर्जनों केस दर्ज हुए. इनमें अधिकतर केस सीवान के सिसवन, हुसैनगंज, पचरुखी, रघुनाथपुर और मांझी पुलिस स्टेशन में दर्ज हैं. सालों पहले दोनों भाइयों का नाम सीवान में दो पुलिस अधिकारी बीके यादव और गणेश प्रसाद यादव की हत्या में भी सामने आया था. इस बार विधान परिषद चुनाव के दौरान हलफनामे में रईस खान ने अपने खिलाफ मर्डर, किडनैपिंग और दूसरे अपराध सहित 12 केस की जानकारी दी थी. भाई अयूब भी कई मामलों में वॉन्टेड है.

लोकसभा चुनाव लड़ने की घोषणा

खान ब्रदर्स सीवान के ग्यासपुर के रहने वाले हैं. ये इलाका सिसवन थाना क्षेत्र के तहत आता है. यहां के थाने में दोनों भाइयों के खिलाफ कई केस दर्ज हैं. यही नहीं, दूसरे राज्यों में भी केस दर्ज हैं. अयूब खान के खिलाफ ओडिशा के राउरकेला पुलिस स्टेशन में भी आर्म्स एक्ट के तहत केस दर्ज हुआ था. मामले में उसे अगस्त 2005 में गिरफ्तार भी किया गया था.

रईस खान विधान परिषद चुनाव के दौरान खुद को पाक-साफ बताता रहा. वो अब खुद को "पहले जैसा" नहीं बताता है. हाल ही में उसने कहा था कि अगर वो पहले वाला रईस खान होता तो अपने ऊपर हुए हमले का हिसाब हो गया होता. विधान परिषद चुनाव में हार के बाद रईस ने कहा है कि वो 2024 का लोकसभा चुनाव भी लड़ेगा. उसका कहना है कि सीवान की जनता के लिए वो हर वक्त खड़ा है. शहाबुद्दीन के जेल जाने के बाद आरजेडी उसकी पत्नी हिना शहाब को लोकसभा चुनाव में उतारने लगी. 2009 से तीनों चुनावों में उन्हें हार मिली. अब रईस खान भी बड़े रेस में शामिल होने की बात कर रहा है. वैसे भी आपराधिक दुनिया से राजनीति की सीढ़ी चढ़ने की परंपरा इस देश में पुरानी है.

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