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कैसे रद्द होता है चुनाव नामांकन? श्याम रंगीला का पर्चा क्यों खारिज हुआ?

श्याम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संसदीय सीट वाराणसी से नामांकन भरा था. शपथ न लेने की वजह से उनका पर्चा रद्द कर दिया गया है. मगर रेस से निकाले गए वो अकेले प्रत्याशी नहीं. उनके अलावा 32 और लोगों का पर्चा रद्द किया गया है, वाराणसी सीट से ही.

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श्याम रंगीला ने चुनाव आयोग पर आरोप लगाए हैं कि उनके साथ 'खेला' हुआ है. (फ़ोटो - PTI/सोशल)

बुधवार, 15 मई को केंद्रीय चुनाव आयोग ने मिमिकरी और कॉमिक आर्टिस्ट श्याम सुंदर 'रंगीला' का पर्चा ख़ारिज (Shyam Rangeela Nomination) कर दिया. श्याम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की संसदीय सीट वाराणसी से नामांकन भरा था. पहले बताया गया कि एक एफ़िडेविट की कमी की वजह से उनका पर्चा रद्द कर दिया गया, फिर ख़बर आई कि शपथ न लेने की वजह से ऐसा हुआ है. मगर रेस से निकाले गए वो अकेले प्रत्याशी नहीं हैं. उनके अलावा 32 और लोगों का पर्चा रद्द किया गया है, वाराणसी सीट से ही.

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वाराणसी में सातवें और आख़िरी चरण में वोट पड़ने हैं, 1 जून को. अंतिम चरण के लिए नामांकन दाख़िल करने की अंतिम तारीख़ 14 मई थी, और नामांकन की जांच 15 मई को की गई. कुल मिलाकर 40 उम्मीदवारों ने नामांकन भरा था, जिनमें 33 की दावेदारी ख़ारिज कर दी गई. यानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने अब कुल 6 उम्मीदवार मैदान में हैं.

नामांकन ख़ारिज होने पर रंगीला ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट किया. इसमें आरोप लगाए कि चुनाव आयोग ने चुनाव को खेल बना दिया है. उनके काग़ज़ पूरे थे, मगर उनके साथ 'खेल' किया गया है. इससे पहले रंगीला ने आरोप लगाया था कि उन्हें नामांकन पत्र दाख़िल करने नहीं दिया जा रहा था.

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नामांकन ख़ारिज करने के क्या आधार?

उम्मीदवार के नामांकन दाख़िल करते ही रिटर्निंग अफ़सर (RO) उनके काग़ज़ात जांचता है. RO जिनके फ़ॉर्म मंज़ूर कर देते हैं, वही चुनाव में खड़े होने के योग्य होते हैं. और, जांच का आधार क्या होता है? लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा-36.

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नामांकन में सबसे पहले पात्रता जांची जाती है. पात्रता के आधार लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम में दिए हुए हैं. जैसे, दावेवार भारत का नागरिक होना चाहिए, 25 बरस से ज़्यादा उम्र का होना चाहिए, वग़ैरह.

पर्चे की नामंज़ूरी के आधार:

- अगर उम्मीदवार या उनके प्रस्तावकों ने रिटर्निंग अफ़सर या सहायक रिटर्निंग अफ़सर के सामने नामांकन प्रस्तुत न किया हो.

- अगर नामांकन पत्र समय सीमा के बाद, किसी सरकारी छुट्टी के दिन या नामांकन भरने की अवधि के दौरान दोपहर 3 बजे के बाद जमा किया गया हो.

- अगर दस्तख़त संबंधित कोई विसंगतियां हों, फ़ॉर्म में कोई जानकारी छूट गई हो या ग़लत भर दी गई हो.

- अगर दावेदार ने नामांकन पत्र की जांच के दिन प्रतिज्ञान की शपथ नहीं ली हो. (श्याम ने आयोग के दफ़्तर के बाहर से जो वीडियो पोस्ट किया, उसमें यही कारण बताया है.)

- अगर रिटर्निंग अफ़सर जो नोटिस छाप रहा है, उसमें बताई गई जगह के अलावा पर्चा कहीं और भर दिया जाए. ये जगह फ़ॉर्म जनप्रतिनिधि अधिनियम, 1951 की धारा-31 के तहत तय की जाती है. 

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