रवीश कुमार. एक शख्स, जो जर्नलिज्म का महेंद्र सिंह धोनी है. वैसे तो दोनों की ही कोई तुलना नहीं है, लेकिन क्या है कि जब हमारे यहां चीजें क्रिकेट से जोड़ दी जाती हैं, तो ज्यादा खूबसूरत लगने लगती हैं. वो शख्स, जिसकी कहानियों में नायिका इश्क में कैद नहीं, बल्कि आजाद हो जाना चाहती है. वो, जिसकी कहानियों में नायक का प्यार दो हजार की नोट सरीखा होता है. वो, जो 2016 में स्क्रीन काली करने का दम रखता है और फिर बड़ी मासूमियत से पूछता है, 'क्यों सर, बागों में बहार है?'. वही रवीश हमारे बीच बैठा हुआ था, साहित्य आज तक में लल्लनटॉप अड्डे पर. रवीश कुछ कह रहे थे, हम सभी कुछ सुन रहे थे.
जब जहाज उतरे तो जय बोलिए, जब जहाज उड़ जाए तो जय बोलिए: रवीश
लल्लनटॉप अड्डे पर आए थे हमारे खास मेहमान रवीश कुमार, देखिए क्या-क्या सुनाया.
Advertisement

फोटो - thelallantop
Advertisement
अब रवीश हों और लप्रेक पाठ न हो, ये कैसे हो सकता है. दो-दो लप्रेक सुनीं हमने लल्लनटॉप अड्डे पर. समर और मानसी की कहानियां थीं. मानसी समर को दिल्ली बुला रही थी, क्योंकि उसे लग रहा था कि कोई उसका पीछा कर रहा है. फिर दोनों प्यार के असली और नकली होने पर बात करने लगते हैं. इसके बाद आया बड़ा वाला बम. रवीश ने मोबाइल निकाला, दो-चार बार उंगलियां घुमाईं और माइक को फोन के स्पीकर के पास लगा दिया.
'रेडियो रवीश' शुरू हो चुका था. रवीश की आवाज में हमें पता चल रहा था कि कब जय बोलना है, कितनी बार जय बोलना है और सबसे जरूरी बात, किसकी जय बोलना है. अब एक बात तो पक्की है कि हम आपको कितना भी कुछ पढ़वा लें, आपको वो मजा तो नहीं ही आएगा, जो लल्लनटॉप अड्डे पर मौजूद लोगों को आ रहा था. तो हमने इसकी व्यवस्था कर दी है. वीडियो है हमारे पास. आपके लिए ले आए हैं. देख लीजिए.
Advertisement
https://www.youtube.com/watch?v=Z95P6Ixh6OM
ये भी पढ़ें: मैंने सब कुछ हिंदी से कमाया है: प्रसून जोशी
ये भी पढ़ें: मैंने सब कुछ हिंदी से कमाया है: प्रसून जोशी
पत्रकार दोस्त को गोवा का सीएम कैंडिडेट बनने के लिए मना रहा हूं: आशुतोष
मैं अपनी बात तो रखूंगी ही, चाहे कुछ भी हो: अंजना ओम कश्यपAdvertisement