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स्पीड ब्रेकर के नियम कायदे जान लेंगे तो जान जोखिम में पड़ने से बच जाएगी

टेस्ला की कार में लगा स्पीड ब्रेकर का अड़ंगा.

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टेस्ला के मॉडल 3 का लॉन्च भारत में इसलिए टल गया क्योंकि उसका ग्राउंड क्लियरेंस भारत के हिसाब से कम पड़ गया. कुछ साल पहले लग्जरी कार बुगाती की एक तस्वीर (लेफ्ट) वायरल हुई थी, जब कम ग्राउंड क्लियरेंस की वजह से ये स्पीड ब्रेकर पर टंग गई थी.
इलेक्ट्रिक कार के दीवाने भारत में इलॉन मस्क की कंपनी टेस्ला (Tesla) की कार आने की बाट जोह रहे हैं. लेकिन हाल ही में आई एक खबर उनका दिल तोड़ने वाली थी. पता चला है कि टेस्ला की कार इतनी नीची है कि भारत में आई तो स्पीड ब्रेकर (Speed Breaker ) पर टंग जाएगी. वैसे भारत में स्पीड ब्रेकरों की अलग ही कहानी है.
इन्हें बनाया तो दुर्घटनाओं को रोकने के लिए जाता है लेकिन कई लोग इन्हीं की वजह से दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं. भारत में 2017 में करीब 10 हजार लोगों की मौत स्पीड ब्रेकरों की वजह से हो गई थी. इन दुर्घटनाओं का कारण हैं बेतरतीब बने स्पीड ब्रेकर. क्या आप जानते हैं कि स्पीड ब्रेकर बनाने के भी नियम कायदे होते हैं. इसकी ऊंचाई और चौड़ाई तय होती है. क्या आपको पता है कि स्पीड ब्रेकर के ऊपर से गाड़ियों के निकलने की एक मानक स्पीड होती है. तो चलिए जानते हैं स्पीड ब्रेकर का गणित. सबसे पहले 'टेस्ला' का दुखड़ा दुनिया की मशहूर ओ मारूफ इलेक्ट्रिक कार मेकर टेस्ला की भारत में एंट्री का सबको इंतजार है. पहले इंपोर्ट टैक्स का मामला उठा. इसे जैसे-तैसे सुलझाया गया. अब गाड़ी के लॉन्च के बीच में भारतीय सड़कों के स्पीडब्रेकर आ गए है. टेस्ला मॉडल 3 कंपनी का पहला ऐसा मॉडल है, जिसे भारत में उतारने की तैयारी हो रही थी. लेकिन अब इसके ग्राउंड क्लीयरेंस को लेकर सवाल उठने लगे हैं. टेस्ला मॉडल 3 के लिए सबसे बड़ी अड़चन फिलहाल स्पीड ब्रेकर्स हैं. भारत की सड़कों के हिसाब से कार का ग्राउंड क्लीयरेंस कम से कम 25 मिलीमीटर और बढ़ाना होगा.
बता दें कि मॉडल 3 के लॉन्च के बाद 2022 में टेस्ला मॉडल Y को भारत में लॉन्च करने का प्लान बना रही है. टेस्ला मॉडल 3 इलेक्ट्रिक सिडान का ग्राउंड क्लीयरेंस 140 मिलीमीटर है. ऐसे में भारतीय सड़कों पर इसको लेकर दिक्कत हो सकती है. असल में टेस्ला के मॉडल 3 में ऐसी तकनीक का इस्तेमाल है कि उसके ग्राउंड क्लियरेंस को एडजस्ट नहीं किया जा सकता.
ये जानकारी कारों की टेस्टिंग करने वाली कंपनी IDIADA ऑटोमोटिव टेक्नोलॉजी नाम की एजेंसी से सूत्रों के हवाले से आई है. असल में यही एजेंसी टेस्ला मॉडल 3 की टेस्टिंग के लिए जिम्मेदार है. एजेंसी के मुताबिक, जब टेस्ला मॉडल 3 को 200 स्पीड ब्रेकर्स से गुजारा गया तो 160 बार वह स्पीड ब्रेकर पर टंग गई. ऐसे में अब गाड़ी में फेरबदल की सलाह दी गई है. कहा गया है कि ग्राउंड क्लियरेंस को कम से 25 मिमी बढ़ाकर 165 मिमी किया जाए.
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यही है टेस्ला की सबसे सफल कार मॉडल जिसे भारत में सबसे पहले लॉन्च करने का प्लान है. जरा देखिए इसका ग्राउंड क्लियरेंस.
स्पीड ब्रेकर बनाने के नियम कायदे कहां लिखे हैं? भारत में सड़कों को लेकर नियम कायदा बनाने की जिम्मेदारी इंडियन रोड कांग्रेस पर है. ये अंग्रेजों के जमाने की संस्था है. साल 1937 में इसे एक सोसाइटी के तौर पर रजिस्टर्ड कराया गया था. उसके बाद से ही ये सड़कों की इंजीनियरिंग पर काम कर रही है. इसका सबसे बड़ा काम है देश भर में बनने वाली सड़कों के लिए गाइडलाइंस जारी करना. इसमें सड़कों की बनावट से मैटेरियल तक के सारे फैसले यही संस्था लेती है. इसकेअलावा स्पीड ब्रेकर को लेकर गाइडलाइंस भी जारी करती है. क्या है स्पीड ब्रेकर का नियम कायदा? स्पीड ब्रेकर का काम है कुछ खास जगहों पर बेकाबू रफ्तार से चलने वाले वाहनों की स्पीड पर लगाम लगाना. इन जगहों में प्रमुख हैं स्कूल, अस्पताल, टोल बूथ और फ्लाइओवर आदि. रफ्तार कम करने के लिए रास्ते में एक छोटा सा अवरोध बनाया जाता है. इसे ही स्पीड ब्रेकर कहते हैं. रोड सेफ्टी गाइडलाइंस के अनुसार-
# स्पीड ब्रेकर सिर्फ रिहाइशी छोटी सड़कों पर ही बनाए जा सकते हैं. कहने का मतलब ये नहीं कि हाईवे और ज्यादा स्पीड लिमिट वाली सड़कों पर स्पीड ब्रेकर नहीं बनाया जा सकता. # स्पीड ब्रेकर को T इंटरसेक्शन वाली ऐसी रिहाइशी इलाके की सड़कों पर बनाया जाए, जहां पर ट्रैफिक ज्यादा है और विजिबिलिटी कम हो. # ऐसी जगहें जहां पर छोटी सड़कें, हाईवे या व्यस्त सड़कों से मिलती हैं. वहां पर ट्रैफिक को धीमा करने के लिए स्पीड ब्रेकर बनाए जा सकते हैं. # स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी, शॉपिंग सेंटर, पुलिस स्टेशन आदि से पहले स्पीड ब्रेकर बनाए जा सकते हैं. # जिन जगहों पर अक्सर एक्सीडेंट होते हैं, वहां पर स्पीड ब्रेकर बनाकर वाहनों की स्पीड कम की जा सकती है. # ऐसी सुनसान सड़कें जहां आसपास विजिबिलिटी कम हो, ऐसी जगहों पर लोग ओवर स्पीडिंग करने लगते हैं. ऐसे में वहां भी स्पीड ब्रेकर बनाए जा सकते हैं. # ऐसी जगहें जहां पर सड़क संकरी हो या ब्रिज कमजोर हो, वहां पर वाहनों और लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कुछ पहले स्पीड ब्रेकर बनाए जाएं. # रेलवे की मानव रहित क्रॉसिंग पर स्पीड ब्रेकर बनाया जाए. # सरकारी कंस्ट्रक्शन साइट जैसे फ्लाई ओवर, अंडरपास या किसी दूसरे निर्माण कार्य से पहले स्पीड ब्रेकर बनाया जा सकता है.
Highway Speed Limit
ओवर स्पीडिंग को रोकने के लिए स्पीड ब्रेकर बनाए जाते हैं लेकिन इसे लेकर फिक्स मानकों का पालन करना जरूरी होता है. (सांकेतिक फोटो- PTI)
स्पीड ब्रेकर की ऊंचाई और चौड़ाई कितनी होनी चाहिए? # भारतीय रोड कांग्रेस के अनुसार एक स्पीड ब्रेकर की चौड़ाई 3.7 मीटर और ऊंचाई 10 सेंटीमीटर से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. # एक स्पीड ब्रेकर से दूसरे स्पीड ब्रेकर के बीच की दूरी कम से कम 100 मीटर से 120 मीटर तक होनी चाहिए. कितनी स्पीड से पार किया जाए स्पीड ब्रेकर? भारतीय रोड कांग्रेस के नियम के अनुसार, स्पीड ब्रेकर को पार करते वक्त वाहन की स्पीड 25 किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. क्या स्पीड ब्रेकर की चेतावनी का कोई प्रावधान है? स्पीड ब्रेकर की वजह से एक्सीडेंट का सबसे बड़ा कारण है उनका अचानक सामने आ जाना. लोग अचानक स्पीड ब्रेकर सामने आने पर या तो तेजी से ब्रेक लगाते हैं या फिर उसके ऊपर से तेजी से गाड़ी निकालने की वजह से अनियंत्रित हो जाते हैं. ऐसे में भारतीय रोड कांग्रेस ने चेतावनी का नियम बना रखा है. इसके अनुसार-
# ड्राइवर को स्पीड ब्रेकर की चेतावनी देने के लिए पहले अवरोध से 40 मिनट पहले साइन बोर्ड लगाना होता है. इस पर बड़े अक्षरों में SPEED BREAKER या 'गति अवरोध' लिखवाया जाए. # वाहन चलाने वाले को स्पीड ब्रेकर साफ नजर आएं, इसके लिए उन्हें सफेद-काली पट्टी के पैटर्न में अच्छी तरह से रंगा जाए. # वक्त-वक्त पर तय मानकों की जांच की जाए. अगर स्पीड ब्रेकर के आसपास पानी भर रहा है या उसका पैटर्न खराब हो रहा है तो उसे रिपेयर किया जाए. स्पीड ब्रेकर नियम-कायदे के खिलाफ है तो शिकायत कहां करें? शहर के भीतर चूंकि सड़कें बनाने का काम ज्यादातर लोकल सिविल अथॉरिटी करती हैं, ऐसे में खराब स्पीड ब्रेकर  की शिकायत उनसे की जा सकती है. स्पीड ब्रेकर में सुधार के लिए भी लोकल सिविक अथॉरिटी में शिकायत दर्ज कराई जा सकती है. इसके अलावा इलाके की ट्रैफिक पुलिस से संपर्क करके भी अनाधिकृत स्पीड ब्रेकर्स की कंप्लेंट की जा सकती है. देश भर के कोर्ट वक्त-वक्त पर अनाधिकृत स्पीड ब्रेकर्स के खिलाफ फैसले देते रहे हैं. ऐसे में ट्रैफिक पुलिस और सिविक अथॉरिटी इन्हें लेकर अलर्ट रहती हैं.