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लगातार मैच जीत रही दुनिया की सबसे काबिल टीम जब प्लेन क्रैश का शिकार बनी

मैनचेस्टर युनाइटेड के घर की घड़ी हर साल कुछ पल के लिए क्यों रुकती है?

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मैनचेस्टर युनाइटेड के बस्बी बेब्स, अपने आखिरी मैच से पहले. (फोटोःविकिमीडिया कॉमन्स)
फुटबॉल में हर टीम का एक होम ग्राउंड होता है. जैसे अपने यहां की मोहन बागान का मोहन बागान ग्राउंड है, वैसे ही मैनचेस्टर यूनाइटेड का होम ग्राउंड है ओल्ड टैफ्रॉर्ड. ये स्टेडियम मैनचेस्टर के खिलाड़ियों और फैन्स का मक्का है. एक वक्त था जब स्टेडियम के अलग-अलग हिस्सों को सेक्टरों में बांटा गया था और हर किसी को अंग्रेज़ी का एक अक्षर दिया गया नाम के तौर पर- 'ए' स्टैंड, 'बी' स्टैंड, वगैरह. इन सब में आज सिर्फ 'के' स्टैंड अपने पुराने नाम से जाना जाता है. यहां कभी मैनचेस्टर के सबसे पक्के सपोर्टर बैठा करते थे. अपनी मशहूर टीम के लिए गाने गाने और नारे लगाने वाले स्पोर्टर्स ने अपने बैठने की जगह को भी मशहूर कर दिया था.
इसी 'के स्टैंड' के एक कोने पर एक घड़ी 1960 से लगी हुई है. और तभी से हर साल 6 फरवरी को इसे दोपहर 3 बजकर 4 मिनट पर कुछ देर के लिए रोक दिया जाता है. और जब ये रुकती है, तब इसमें ऊपर और नीचे लिखी इबारत से वो समय बनता है, जो मैनचेस्टर युनाइटेड के इतिहास का सबसे दुखद पल है.
6 फरवरी, 1958 को दोपहर तीन बजकर चार मिनिट पर एक प्लेन क्रैश में मैनचेस्टर युनाइटेड की ऐतिहासिक 'बस्बी बेब्स' टीम के आठ खिलाड़ियों की जान चली गई थी. साथ में आठ फुटबॉल जर्नलिस्ट भी थे, प्लेन के क्रू से दो लोग, एक फुटबॉल फैन और एक ट्रैवल एजेंट. 23 ज़िंदगियां, एक झटके में खत्म. दुनिया इस हादसे को म्यूनिख प्लेन क्रैश के नाम से जानती है. म्यूनिख ओलंपिक पर हुए आतंकी हमले से पहले तक ये म्यूनिख के खेल इतिहास की सबसे दर्दनाक घटना थी.
मैनचेस्टर युनाइटेड के फैन 60 साल बाद भी बस्बी बेब्स को याद करते हैं. (फोटोःरॉयटर्स)
मैनचेस्टर युनाइटेड के फैन 60 साल बाद भी बस्बी बेब्स को याद करते हैं. (फोटोःरॉयटर्स)

 बस्बी बेब्स - जिनसे दुनिया उम्मीद लगाती थी
दूसरी फुटबॉल टीमों की तरह ही मैनचेस्टर युनाइटेड की टीम में भी ज़्यादातर खिलाड़ी वो होते थे जो दूसरे क्लब्स के लिए खेलते हुए वहां तक पहुंचते थे. लेकिन सर एलैंग्ज़ैंडर मैथ्यू बस्बी के क्लब मैनेजर बनने पर चीज़ें बदलीं. क्लब ने अपनी यूथ टीम (जूनियर टीम) के लिए काबिल युवा खिलाड़ी ढूंढ कर उन्हें अपने यहां ट्रेन करने पर ध्यान देना शुरू किया.
मैथ्यू बस्बी. ओल्ड ट्रैडफोर्ट पर लगी इस मूर्ति में भी फुटबॉल लिए खड़े हैं. (फोटोः विकिपीडिया कॉमन्स)
मैथ्यू बस्बी. ओल्ड ट्रैडफोर्ट पर लगी इस मूर्ति में भी फुटबॉल लिए खड़े हैं. (फोटोः विकिपीडिया कॉमन्स)

इस तरह 21-22 की औसत उम्र वाली एक बेहद प्रतिभाशाली टीम तैयार हुई, जिसे मैनचेस्टर ईवनिंग न्यूज़ के लिए काम करने वाले खेल पत्रकार टॉम जैक्सन ने बस्बी बेब्स कहना शुरू किया. ये टीम मैनेजर बस्बी को सम्मान देने का एक नायाब तरीका था. और अपने नायाब नाम की ही तरह एक प्रयोग के तौर पर तैयार की गई ये टीम इतनी कामयाब रही जितना किसी ने सोचा नहीं था. टीम ने 1955 से 1957 के बीच ज़्यादातर इंग्लिश लीग चैंपियनशिप जीतीं. मैनचेस्टर युनाइटेड का हिस्सा होना आपको खास बनाता था, लेकिन जो प्यार बस्बी बेब्स पाते थे, वो फुटबॉल के इतिहास में कम ही देखा गया है.
और टीम मैनेजर बस्बी इस बात को समझते थे. लेकिन वो टीम को और आगे ले जाना चाहते थे. इसलिए वो इंग्लिश लीग से लड़ झगड़कर टीम को 1957 में यूरोपियन कप खेलने ले गए. क्लब सेमी-फाइनल में अपने जानी दुश्मन रियाल मैड्रिड से हारा, लेकिन मैनचेस्टर यूनाइटेड पहला अंग्रेज़ क्लब बन गया था, जो ब्रिटेन से बाहर जाकर चैंपिचनशिप खेला. लेकिन बस्बी इंग्लिश लीग को ज़्यादा नाराज़ भी नहीं करना चाहते थे. इसलिए उन्होंने तय किया कि टीम घरेलु मैच और यूरोपियन कप के मैच साथ-साथ खेलेगी. तो ये टीम खेलने के साथ-साथ लगातार सफर करती थी.
1958 का यूरोपियन कप ऐसे ही खेला गया. हफ्ते के बीच में यूरोपियन कप के मैच होते, और शनिवार को इंग्लीश लीग के मैच. टीम आसानी से क्वार्टर फाइनल तक पहुंच भी गई. यूगोस्लाविया की राजधानी में खेले गए इस क्वार्टर फाइनल में बस्बी बेब्स का सामना हुआ रेड स्टार बेलग्राड से. दोनों टीमों ने खूब ज़ोर मारा और मैच 3-3 से टाई रहा. लेकिन पिछले मैच के पॉइंट्स मिलाकर मैनचेस्टर युनाइटेड आगे रहा और रेड स्टार बेलग्राड यूरो कप से बाहर हो गया. बावजूद इसके दोनों टीमों ने मिट्ठी कर ली और होटल जाकर जमकर पार्टी की. सुबह होने तक चली पार्टी से जाते-जाते दोनों टीमों के बीच एक अनोखा रिश्ता बन गया था. लेकिन ये रिश्ता ज़्यादा चला नहीं.
सुबह होने के बाद टीम मैनेजमेंट जल्द से जल्द मैनचेस्टर पहुंचना चाहता था. तो सभी अपना सामान लेकर एक चार्टर्ड प्लेन में बैठ गए. साथ में कुछ फुटबॉल पत्रकार और मैनचेस्टर के फैन भी आए. टीम के खिलाड़ी जॉन बेरी का पासपोर्ट एयरपोर्ट पर खो गया, तो प्लेन एक घंटे की देरी से उड़ा.
टीम का चार्टर्ड प्लेन इंधन लेने के लिए म्यूनिख उतरा था. (फोटोःविकिपीडिया कॉमन्स)
टीम का चार्टर्ड प्लेन इंधन लेने के लिए म्यूनिख उतरा था. (फोटोःविकिपीडिया कॉमन्स)

ये प्लेन ब्रिटिश यूरोपियन एयरलाइन्स का एयरस्पीड एमबैसडर 2 था. ये एक नया प्लेन था, लेकिन बेलग्राड से लेकर मैनचेस्टर तक की दूरी एक बार में तय नहीं कर सकता था. इसलिए ये दोपहर सवा बजे म्यूनिख में ईंधन लेने उतरा. म्यूनिख में उन दिनों बर्फ पड़ी थी और मौसम बहुत ठंडा था. ऐसे में एमबैसडर सीरीज़ के हवाइजहाज़ों को टेक ऑफ में दिक्कत आती थी. दो बार प्लेन ने टेक ऑफ की कोशिश की लेकिन असफल रहा. इसके बाद बर्फबारी होने लगी और सभी यात्री प्लेन से उतार दिए गए. टीम के एक खिलाड़ी डंकन एडवर्ड्स ने मैनचेस्टर में अपनी मकान मालकिन को एक तार भी भेज दिया -
'सभी फ्लाइट कैंसल हैं, कल आउंगा. डंकन.'
लेकिन प्लेन के क्रू ने एक बार फिर उड़ान भरने की कोशिश करने का मन बनाया. प्लेन के दोनों पायलट एयरफोर्स से थे. उन्हें अपने अनुभव पर भरोसा था. कहा जाता है कि इस तीसरे टेकऑफ के वक्त टीम के कुछ खिलाड़ी डरे हुए थे सो पीछे की सीट पर जाकर बैठे. दोपहर 3.03 मिनट पर प्लेन ने दोबारा म्यूनिख एयरपोर्ट के बर्फ से ढंके रनवे पर दौड़ना शुरू किया. पायलट प्लेन को धीरे-धीरे तेज़ी देकर उड़ान भरना चाहते थे. लेकिन पूरे एक मिनट तक रनवे पर दौड़ने के बावजूद प्लेन हवा में नहीं उठा और लगभग दो किलोमीटर लंबा रनवे खत्म हो गया. 3.04 मिनट पर प्लेन एयरपोर्ट की फेंस तोड़कर एक घर से टकरा गया और उसमें धमाका हो गया. 20 लोगों की जान तुरंत चली गई. तीन ने अस्पताल में दम तोड़ा.
टीम का प्लेन रनवे के छोर पर जलता हुआ. (फोटोः विकिपीडिया कॉमन्स)
टीम का प्लेन रनवे के छोर पर जलता हुआ. (फोटोः विकिपीडिया कॉमन्स)

हादसे में बस्बी बेब्स का हिस्सा रहे आठ खिलाड़ियों - रॉजर बायर्न, एडी कॉलमैन, मार्क जोन्स, डंकन एडवर्ड्स, बिली व्हीलन, टॉमी टेलर, डेविड पेग और जॉफ बेंट - की मौत हो गई. दो और खिलाड़ी इस कदर ज़ख्मी हुए कि उन्होंने खेलना छोड़ दिया. क्लब के सेक्रेटरी वॉल्टर क्रिकमर, एक ट्रेनर और चीफ कोच की जान भी गई. मरने वाले आठ पत्रकारों में से एक उस मैनचेस्टर ईवनिंग न्यूज़ का भी था, जिसने टीम को बस्बी बेब्स का नाम दिया था. जेम्स बस्बी जो प्लेन में ही बैठे थे, बच गए.
और बच गईं कहानियां, जो उस दिन के बाद से अब तक सुनाई जाती रही हैं. ओल्ड ट्रैफॉर्ड में एक स्टैंड के नीचे बने सबवे को म्यूनिख टनल का नाम दे दिया गया है. यहां बस्बी बेब्स की यादें चस्पा हैं. म्यूनिख के एयरपोर्ट पर भी फुटबॉल फील्ड जैसा एक स्मारक बना है. बेलग्राड के जिस मैजेस्टिक होटल में बस्बी बेब्स ने आखिरी बार खाना खाया था, वहां टीम के 15 खिलाड़ियों का साइन किया हुआ मेन्यु रखा हुआ है. इन्हीं 15 में से आठ की जान गई थी. और एक घड़ी भी है ओल्ड ट्रेफॉर्ड के एक कोने में, जो हर साल कुछ देर के लिए रुक जाती है.
म्यूनिख में मारे गए खिलाड़ियों की याद में लगाई गई घड़ी. (फोटोः मैनचेस्टर यूनाइटेड)
म्यूनिख में मारे गए खिलाड़ियों की याद में लगाई गई घड़ी. (फोटोः मैनचेस्टर यूनाइटेड)



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