एक सप्ताह पहले मैं अपनी बाइक में पेट्रोल भराने दिल्ली गया. उस दिन दिल्ली में पेट्रोल 77.12 रुपए का था. मैं नोएडा में रहता हूं, लेकिन जब टंकी फुल करानी होती है, तो दिल्ली चला जाता हूं. यूपी के मुकाबले दिल्ली में पेट्रोल कुछ पैसे सस्ता मिल जाता है. मेरे जैसे कई लोग हैं, जो इस छोटी सी बचत के लालच में 8-10 किमी गेड़ी मार लेते हैं. मेरी बाइक 38-40 का माइलेज देती है, लेकिन जब पेट्रोल पंप पर 77-78 रुपए लिखे दिखते हैं, तो पेट्रोल और खून में ज़्यादा फर्क नहीं लगता. आखिर में पेट्रोल ही भराते हैं, क्योंकि खून के बूते 50-60 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ना मुमकिन नहीं है.
देशवालों को 80 रुपए, तो विदेशों को 37 रुपए में पेट्रोल-डीजल क्यों बेच रही सरकार?
एक RTI के जवाब में सरकार ने बताया है कि जनवरी 2018 से 15 देशों 34 रुपए में पेट्रोल और 29 देशों को 37 रुपए में डीजल बेचा गया.

पेट्रोल भराने के हफ्तेभर बाद मैंने कांग्रेसी नेता रणदीप सुरजेवाला का एक ट्वीट देखा. 23 अगस्त को सुरजेवाला ने 21 अगस्त को एक हिंदी अखबार में छपी खबर के हवाले से भाजपा सरकार पर बड़ा काव्यात्मक हमला किया. आप भी देखिए:

कांग्रेसी नेता रणदीप सुरजेवाला का ट्वीट, जिसमें उन्होंने पेट्रोल की निर्यात कीमतों के आधार पर सरकार पर हमला बोला.
इस खबर के मुताबिक एक RTI ऐप्लिकेशन के जवाब में सरकारी रिफाइनरी कंपनियों ने बताया कि वो अमेरिका, इंग्लैंड, इराक, इज़रायल, ऑस्ट्रेलिया, हॉन्ग कॉन्ग और UAE जैसे मुल्कों को 34 रुपए में पेट्रोल और 37 रुपए में डीजल बेच रही हैं. वो भी तब, जब भारत के पास पेट्रोल उगलने वाले कुएं नहीं हैं और भारतीय 75 से 82 रुपए तक में पेट्रोल खरीद रहे हैं.

हिंदी अखबार की खबर, जो RTI के आधार पर लिखी गई.
2018 के सोशल मीडिया यूज़र्स से ये सहज ही अपेक्षित है कि वो ऐसे ट्वीट्स देखते ही शेयर करें और भाजपा सरकार पर टूट पड़ें. आखिर कैसे सरकार अपने मुल्क के लोगों की हड्डियां गलाकर विदेशों को इतनी सस्ती कीमत पर पेट्रोल बेच सकती है. कम से कम अमेरिका और इंग्लैंड जैसे देशों से तो अघाकर पैसे वसूलने चाहिए.
मुझे खेद है कि मैं लोगों के भले की बात कर रहे रणदीप सुरजेवाला से प्रभावित या सहमत नहीं हो पाया. मेरे ज़ेहन में पहला ख्याल यही आया कि क्या ये सच है! अच्छी बात ये है कि स्मार्टफोन पर मुझे फेसबुक-ट्विटर के अलावा गूगल चलाना और फोन मिलाना भी आता है. तो पेट्रोल की कम-ज़्यादा कीमतों की पूरी सच्चाई जानने के लिए मैंने सबसे पहले उस शख्स से बात की, जिसकी RTI के आधार पर ये खबर लिखी गई है.

किसने RTI लगाकर पेट्रोल-डीजल की कीमतों की जानकारी मांगी
लुधियाना के रोहित सभरवाल पेशे से बिजनेसमैन हैं और RTI एक्टिविस्ट भी हैं. उन्होंने अपनी रजिस्टर्ड संस्था 'काउंसिल ऑफ RTI एक्टिविस्ट्स' के ज़रिए 14 मई 2018 को केंद्र सरकार के पेट्रोलियम और नेचुरल गैस मंत्रालय से पूछा कि भारत किन देशों को पेट्रोल और डीजल बेचता या निर्यात करता है और किस कीमत पर. ये जानकारी 1 जनवरी 2018 से अब तक के बीच की मांगी गई थी. पेट्रोलियम मंत्रालय ने रोहित की ऐप्लिकेशन पेट्रोलियम प्लानिंग ऐंड एनालिसिस सेल (PPAC) को भेज दी. ये सेल पेट्रोलियम मंत्रालय का ही एक हिस्सा है.

रोहित की भेजी RTI की कॉपी
PPAC से रोहित को क्या जवाब मिला
11 जून को PPAC ने जवाब दिया कि जनवरी से अप्रैल 2018 के बीच भारत ने 15 देशों को पेट्रोल और 29 देशों को डीजल बेचा. कीमत को लेकर PPAC ने कहा कि उनके पास जानकारी नहीं है. जब रोहित ने कीमतों के बारे में दोबारा पूछा, तो PPAC ने बताया कि जनवरी से अप्रैल 2018 के बीच विदेशों को ज़्यादातर तेल निजी कंपनियों ने बेचा, तो कीमतें भी उन्हें ही पता होंगी. चूंकि RTI ऐक्ट में निजी कंपनियां 'पब्लिक अथॉरिटी' के तहत नहीं आती हैं, तो उन्हें रोहित की RTI नहीं भेजी जा सकती. हालांकि, रोहित की RTI 'पब्लिक अथॉरिटी' के तहत आने वाली तेल कंपनियों IOCL, BPCL, MRPL और NRL को भेज दी गई थी.

PPAC के जवाब की कॉपी, जिसमें उसने बताया कि भारत कितने देशों को पेट्रोल और डीजल बेचता है.
फिर 'पब्लिक अथॉरिटी' वाली कंपनियों ने क्या जवाब दिया
8 अगस्त को मंगलूर रिफाइनरी ऐंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड (MRPL) ने बताया कि उसने 1 जनवरी से 30 जून 2018 के बीच हॉन्गकॉन्ग, मलयेशिया, सिंगापुर को डीज़ल और मॉरीशस, UAE को पेट्रोल कितनी कीमत पर बेचा. MRPL 'ऑयल ऐंड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन' (ONGC) की सहायक कंपनी है.

MRPL के जवाब की कॉपी
8 अगस्त को इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (IOCL) ने जवाब दिया कि विदेशों में तेल किस कीमत पर बेचा जाता है, ये विदेशी कंपनियों और सरकारों के साथ कॉन्ट्रैक्ट पर निर्भर करता है. ये कॉन्ट्रैक्ट बोली लगने के बाद तय होता है. IOCL के मुताबिक कीमत संबंधी जानकारी देने से बाज़ार में प्रतियोगिता बढ़ सकती है, इसलिए वो जानकारी नहीं दे सकता.

IOCL के जवाब की कॉपी, जिसमें उसने प्रतियोगिता बढ़ने को वजह बताते हुए कीमत नहीं बताई.
10 अगस्त को भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL) ने जवाब दिया कि जनवरी से जुलाई 2018 के बीच उसने इराक को कितनी कीमत पर पेट्रोल बेचा. इसके अलावा इस कंपनी ने कोई निर्यात नहीं किया.

BPCL के जवाब की कॉपी
तो चार में से दो कंपनियों के जवाब आने के बाद 21 अगस्त को खबर छपी कि भारतीय कंपनियां देश के मुकाबले विदेश में आधी कीमत पर तेल बेच रही हैं.
ये हुआ RTI का हाल, पर भारतीय तेल कंपनियां विदेशों में कितना सस्ता तेल बेच रही हैं और क्यों
ये जानने से पहले दो चीज़ें समझ लीजिए:
पहली, दुनियाभर में पेट्रोल-डीज़ल की सप्लाई को ऑर्गनाइजेशन ऑफ दि पेट्रोलियम एक्सपोर्टिंग कंट्रीज़ (OPEC) कंट्रोल करती हैं. इस समूह में मिडिल ईस्ट के वो देश हैं, जो दुनियाभर में सबसे ज़्यादा कच्चे तेल (क्रूड ऑयल) की सप्लाई करते हैं. ये देश हैं: अल्जीरिया, अंगोला, इक्वाडोर, सउदी अरब, इक्विटोरियल गिनी, नाइजीरिया, कतर, ईरान, कुवैत, इराक, वेनेजुएला, संयुक्त अरब अमीरात, गैबोन और लीबिया. इन्हीं देशों में क्रूड ऑयल का सबसे ज़्यादा भंडार है और चूंकि ये निर्यातक देश हैं, तो यही तय करते हैं कि ये किस देश को कितनी कीमत पर कच्चा तेल बेचेंगे.

OPEC का लोगो और इसके देशों के नाम और लोकेशन
दूसरी, किसी भी देश में कच्चा तेल पहुंचने के बाद उसे रिफाइन किया जाता है. फिर तेल कंपनियां उसे देश के सभी हिस्सों में पहुंचाती हैं. देश की टैक्स व्यवस्था के हिसाब से देश और राज्यों की सरकारें उस पर टैक्स लगाती हैं. फिर पेट्रोल पंप पर तेल बेचने वाले डीलर अपना कमीशन लेते हैं. लागत के बाद टैक्स और कमीशन वगैरह लगने की वजह से तेल की कीमत उसकी शुरुआती कीमत से कहीं ज़्यादा हो जाती है और आम ग्राहकों को उस बढ़ी कीमत पर तेल मिलता है.

भारत में जो भी पार्टी विपक्ष में होती है, पेट्रोल कीमतों का मुद्दा उठाती है. लेकिन सत्ता में रहते हुए सबका एक ही हाल है.
एक बात और, रिफाइनिंग यानी परिष्कृत करना क्या होता है? ज़मीन से निकले कच्चे तेल में कई अशुद्धियां होती हैं. जिस कच्चे तेल में जितनी ज़्यादा अशुद्धियां होती हैं, उसकी कीमत उतनी कम होती है, क्योंकि उसकी रिफाइनिंग में उतनी ज़्यादा लागत आती है. कच्चे तेल को रिफाइन करने पर उसमें से पेट्रोल, डीजल, मिट्टी का तेल, गैस और पेट्रोलियम जेली निकलती है. पेट्रोल और डीजल में फर्क डेन्सिटी का होता है. इसे यूं समझिए कि जैसे आटे से मैदा भी निकलती है और चोकर भी. वैसे ही कच्चे तेल को रिफाइन करने पर पेट्रोल और डीजल मिलता है.

भारत की एक पेट्रोल रिफाइनरी की तस्वीर
भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतें कौन तय करता है
भारत की बात करें, तो 16 जून 2017 में फैसला लिया गया था कि कच्चे तेल की कीमत के आधार पर अब से रोजाना तेल की कीमतें बदला करेंगी. ये प्रस्ताव इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड (IOCL), हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HPCL) और भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL) ने दिया था, जो 16 जून 2017 से लागू हो गया. तब से हर राज्य में तेल की कीमतों में रोजाना मामूली बदलाव होता रहता है, जो मोटे तौर पर 75 से 82 रुपए के बीच है. रिलायंस और एसार भी तेल मार्केट में काम कर रही हैं, लेकिन तेल मार्केट पर 90% नियंत्रण इन्हीं तीन कंपनियों का है.

इंडियन ऑयल, हिंदुस्तान पेट्रोलियम और भारत पेट्रोलियम कंपनियों के लोगो
भारत में पेट्रोल-डीजल कितना महंगा है और क्यों
3 जून 2018 को देश की राजधानी दिल्ली में पेट्रोल 78.11 रुपए और डीजल 69.11 रुपए प्रति लीटर बिक रहा था. इस कीमत में क्या-क्या शामिल है, आइए बताते हैं:
#. पेट्रोल
समुद्री भाड़े के साथ कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमत: 78.3 अमेरिकी डॉलर यानी 5,245 रुपए प्रति बैरल 1 बैरल में कितना तेल होता है: 159 लीटर तो एक लीटर कच्चे तेल की कीमत कितनी हुई: 32.98 रुपए प्रति लीटर
एंट्री टैक्स, रिफाइनरी प्रॉसेसिंग, लैंडिंग कॉस्ट, ऑपरेशनल कॉस्ट और मुनाफा: 2.1 रुपए प्रति लीटर रिफाइनिंग के बाद ऑयल मार्केटिंग कंपनियों का मुनाफा, परिवहन और भाड़ा: 3.31 रुपए प्रति लीटर तो रिफाइनिंग के बाद पेट्रोल की कीमत क्या हो गई: 38.39 रुपए प्रति लीटर
केंद्र सरकार द्वारा लगाई गई एक्साइज़ ड्यूटी और रोड सेस: 19.48 रुपए प्रति लीटर ये लगने के बाद और वैट लगने से पहले डीलर तक पहुंचकर पेट्रोल की कीमत हो गई: 57.87 रुपए प्रति लीटर
पेट्रोल पंप के डीलर्स का कमीशन लगा: 3.63 रुपए प्रति लीटर तो वैट लगने से पहले पेट्रोल की कीमत हो गई: 61.50 रुपए प्रति लीटर
वैट लगा (ये हर राज्य का अलग होता है. दिल्ली में 27% और 25 पैसा प्रदूषण सेस और सरचार्ज): 16.61 रुपए प्रति लीटर
सारी लागत और टैक्स वगैरह लगने के बाद दिल्ली में पेट्रोल की कुल कीमत हो गई: 78.11 रुपए प्रति लीटर

अगस्त 2018 में दिल्ली में पेट्रोल की कीमतें.
#. डीजल
समुद्री भाड़े के साथ कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमत: 78.3 अमेरिकी डॉलर यानी 5,245 रुपए प्रति बैरल 1 बैरल में कितना तेल होता है: 159 लीटर तो एक लीटर कच्चे तेल की कीमत कितनी हुई: 32.98 रुपए प्रति लीटर
एंट्री टैक्स, रिफाइनरी प्रॉसेसिंग, लैंडिंग कॉस्ट, ऑपरेशनल कॉस्ट और मुनाफा: 5.23 रुपए प्रति लीटर रिफाइनिंग के बाद ऑयल मार्केटिंग कंपनियों का मुनाफा, परिवहन और भाड़ा: 2.87 रुपए प्रति लीटर तो रिफाइनिंग के बाद डीजल की कीमत क्या हो गई: 41.08 रुपए प्रति लीटर
केंद्र सरकार द्वारा लगाई गई एक्साइज़ ड्यूटी और रोड सेस: 15.33 रुपए प्रति लीटर ये लगने के बाद और वैट लगने से पहले डीलर तक पहुंचकर डीजल की कीमत हो गई: 56.41 रुपए प्रति लीटर
डीजल पंप के डीलर्स का कमीशन लगा: 2.53 रुपए प्रति लीटर तो वैट लगने से पहले डीजल की कीमत हो गई: 58.94 रुपए प्रति लीटर
वैट लगा (ये हर राज्य का अलग होता है. दिल्ली में 16.75% और 25 पैसा प्रदूषण सेस और सरचार्ज): 10.17 रुपए प्रति लीटर
सारी लागत और टैक्स वगैरह लगने के बाद दिल्ली में डीजल की कुल कीमत हो गई: 69.11 रुपए प्रति लीटर
(ये दोनों आंकड़े 3 जून 2018 के हैं, जो ऑयल मार्केटिंग कंपनियों की कॉस्ट कैल्कुलेशन पर आधारित हैं)

अगस्त 2018 में दिल्ली में डीजल की कीमतें.
तो आपने देखा कि भारत में कच्चे तेल की रिफाइनिंग होने के बाद केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा लगाए जाने वाले भारी टैक्स की वजह से पेट्रोल-डीजल की कीमत इतनी ज़्यादा क्यों हो जाती है.
भारत ने किस देश को कितने में पेट्रोल-डीजल बेचा
रोहित सभरवाल की RTI के जवाब में कंपनियों ने विदेशों में पेट्रोल-डीजल बेचने का जो ब्योरा दिया है, वो इस तरह है:
#. इराक को पेट्रोल बेचा गया: 25.99 हज़ार मीट्रिक टन यानी करीब 3.65 करोड़ लीटर किस कीमत पर बेचा गया: 1.08 अरब रुपए में तो प्रति लीटर कितनी कीमत हुई: करीब 30 रुपए प्रति लीटर
(ये भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने बेचा. गणना thecalculatorsite.com के आधार पर.)

इराक को बेचे गए पेट्रोल और उसकी कीमत के आंकड़े
#. हॉन्गकॉन्ग को डीजल बेचा: 85.7 डॉलर प्रति बैरल यानी करीब 5,999 रुपए प्रति बैरल एक बैरल में डीजल: 159 लीटर तो प्रति लीटर डीजल की कीमत: 37.72 रुपए प्रति लीटर
#. मलयेशिया को डीजल बेचा: 80.8 डॉलर प्रति बैरल यानी करीब 5,656 रुपए प्रति बैरल एक बैरल में डीजल: 159 लीटर तो प्रति लीटर डीजल की कीमत: 35.57 रुपए प्रति लीटर
#. मॉरीशस को डीजल बेचा: 83 डॉलर प्रति बैरल यानी करीब 5,810 रुपए प्रति बैरल एक बैरल में डीजल: 159 लीटर तो प्रति लीटर डीजल की कीमत: 36.54 रुपए प्रति लीटर
#. सिंगापुर को डीजल बेचा: 85.8 डॉलर प्रति बैरल यानी करीब 6,006 रुपए प्रति बैरल एक बैरल में डीजल: 159 लीटर तो प्रति लीटर डीजल की कीमत: 37.77 रुपए प्रति लीटर
#. मॉरीशस को पेट्रोल बेचा: 81.3 डॉलर प्रति बैरल यानी करीब 5,691 रुपए प्रति बैरल एक बैरल में पेट्रोल: 159 लीटर तो प्रति लीटर पेट्रोल की कीमत: 35.79 रुपए प्रति लीटर
#. संयुक्त अरब अमीरात (UAE) को पेट्रोल बेचा: 75.80 डॉलर प्रति बैरल यानी करीब 5,306 रुपए प्रति बैरल एक बैरल में पेट्रोल: 159 लीटर तो प्रति लीटर पेट्रोल की कीमत: 33.37 रुपए प्रति लीटर
(ये MRPL ने बेचा है. आंकड़े MRPL के हवाले से.)

MRPL द्वारा बेचे गए पेट्रोल-डीजल की जानकारी.
भारत में महंगा, तो विदेश जाने वाला तेल सस्ता क्यों?
क्योंकि भारत जो पेट्रोल-डीजल दूसरे देशों को बेच रहा है, उस कीमत में सिर्फ कच्चे तेल की कीमत, रिफाइनरी की लागत और रिफाइनरी कंपनी का मुनाफा शामिल है. केंद्र-राज्य सरकार का टैक्स और पेट्रोल पंप डीलर्स का कमीशन शामिल नहीं है. ये टैक्स और कमीशन हमारे देश में बिकने वाले तेल पर लगेगा, क्योंकि उसे भारत के लोग खरीदेंगे. अगर अमेरिका को तेल बेचा जा रहा है, तो वो सिर्फ रिफाइनिंग प्रॉसेस के बाद बेचा जा रहा है. अब अमेरिका या कोई भी देश उस तेल पर जितना टैक्स लगाएगा, उतनी ज़्यादा कीमत पर वो उनके देश में बिकेगा. उनकी सरकार जितना कम टैक्स लगाएगी, तेल की कीमत उतनी कम रहेगी.

देश पहले कच्चा तेल खरीदते हैं. उसे रिफाइन करते हैं और फिर टैक्स लगाकर जनता को बेचते हैं. ये काम निजी और सरकारी कंपनियों द्वारा कराया जाता है.
पर अमेरिका, इंग्लैंड और UAE जैसे देश भारत से रिफाइन कराके तेल क्यों खरीदते हैं
- इसकी एक निश्चित वजह ये है कि पश्चिमी और यूरोपीय देशों में तेल रिफाइन करने के पैमाने बहुत ऊंचे हैं. इससे रिफाइनिंग की लागत बढ़ जाती है और फिर पेट्रोल पंप पर बिकने वाला तेल भी महंगा हो जाता है.
- दूसरी वजह रिफाइनिंग प्लांट हैं. जो देश भारत से रिफाइन्ड तेल खरीदते हैं, हो सकता है वहां तेल रिफाइन करने प्लांट न हों. हो सकता है कि उनकी तेल रिफाइन करने की क्षमता कम हो या उनकी रिफाइनिंग सिस्टम डेवलप करने की इच्छा ही न हो.
इन दोनों ही वजहों से इस बात पर कोई फर्क नहीं पड़ता कि किसी देश में पेट्रोल-डीजल कितने के बिकेंगे. क्योंकि कच्चे तेल की रिफाइनिंग के बाद उसकी कीमत कमोबेश हर देश में एक जैसी ही है. उसकी कीमत उतनी ही ज़्यादा बढ़ती है, जितना ज़्यादा टैक्स सरकार उस पर लगाती है.

कच्चे तेल के रिफाइनरी प्लांट की एक तस्वीर.
जो देश भारत से रिफाइन्ड तेल खरीद रहे हैं, देखिए उनके यहां पेट्रोल की कीमतें क्या हैं
हॉन्ग कॉन्ग- 15 हॉन्ग कॉन्ग डॉलर प्रति लीटर यानी 134 भारतीय (हॉन्ग कॉन्ग का एक डॉलर = भारत के 8.94 रुपए) मलयेशिया- 2.65 रिंगिट प्रति लीटर यानी 45.17 भारतीय रुपए (मलयेशिया का एक रिंगिट = भारत के 17 रुपए) मॉरीशस- 50 मॉरीशस रुपए प्रति लीटर यानी 101.98 भारतीय रुपए (मलयेशिया का एक रिंगिट = भारत के 2.04 रुपए) सिंगापुर- 2.62 डॉलर प्रति लीटर यानी 133 भारतीय रुपए (सिंगापुर का एक डॉलर = भारत के 51.05 रुपए) UAE- 2.57 दिरहम प्रति लीटर यानी 49.12 भारतीय रुपए (UAE का एक दिरहम = भारत के 19.11 रुपए) अमेरिका- 0.84 डॉलर प्रति लीटर यानी 58.97 भारतीय रुपए (अमेरिका का एक डॉलर = भारत के 70.21 रुपए) इंग्लैंड- 1.27 पाउंड प्रति लीटर यानी 114.29 भारतीय रुपए (इंग्लैंड का एक पाउंड = भारत के 89.99 रुपए)
(सभी आंकड़े 15 अगस्त से 23 अगस्त 2018 के बीच के)
विदेशों को रिफाइन्ड तेल बेचने से भारत का क्या फायदा
भारत में अगर सरकारी तेल कंपनियां कच्चा तेल रिफाइन करके विदेशों को बेच रही हैं, तो उन्हें रिफाइनिंग में मुनाफा मिलता है. भारत की हैसियत आप इस बात से समझिए कि भारत दुनिया में रिफाइन्ड पेट्रोल बेचने के मामले में 10वें नंबर पर है. 2017 में भारत ने 16 खरब रुपए से ज़्यादा का रिफाइन्ड तेल बेचा, जो दुनियाभर का 3.9% है. अब अगर हम कोई सर्विस दे रहे हैं, तो हमारा कुछ तो फायदा होगा ही.

इंडियन ऑयल की रिफाइनरी की एक तस्वीर
तेल की कीमत के मामले में भारत के पड़ोसी मुल्कों का क्या हाल है
मौजूदा वक्त में देश की किसी भी खामी पर बात करने पर सत्ताधारी पार्टी के तमाम नेता पाकिस्तान चले जाने की सलाह देते हैं. तो चलिए सबसे पहले पाकिस्तान की ही बात कर लेते हैं. वैसे भी हमारे देश में वॉट्सऐप पर ऐसे मेसेज खूब शेयर होते हैं कि पाकिस्तान में पेट्रोल-डीज़ल की कीमतें हमारे देश के मुकाबले कहीं कम हैं.
3 जुलाई 2018 की इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट
बताती है कि 1 जुलाई से पाकिस्तान की केयरटेकर सरकार ने वित्त मंत्रालय के सुझाव पर पेट्रोल की कीमत 7.54 रुपए और हाई स्पीड डीजल की कीमत 14 रुपए प्रति लीटर की दर से बढ़ा दी थी. इसके पीछे राजकोषीय तंगी और आगामी चुनाव वजह बताए गए. इससे पेट्रोल 99.50 रुपए और हाई स्पीड डीजल 119.31 रुपए प्रति लीटर हो गया. इससे पहले पाकिस्तान में 11 जून को भी पेट्रोल में 4.26 रुपए और हाई स्पीड डीजल में 6.55 रुपए की बढ़ोतरी की गई थी.

pakbiz वेबसाइट के मुताबिक पाकिस्तान में पेट्रोल और डीजल की कीमतें.
ये खबर लिखते समय भारत का एक रुपया पाकिस्तान के 1.75 रुपए के बराबर है. currencies.zone के मुताबिक 1 जुलाई 2018 को भारत का 1 रुपया पाकिस्तान के 1.77 रुपए के बराबर था. आज पाकिस्तान में पेट्रोल 99.50 रुपए का है. अगर हम इसे इंडियन करंसी में कन्वर्ट करते हैं, तो ये 57.02 रुपए होता है. लेकिन भारत में हम एक लीटर पेट्रोल के बदले 78 से 82 रुपए तक चुका रहे हैं.

भारत के रुपए के मुकाबले पाकिस्तानी रुपया
23 मई 2018 की बिज़नेस टुडे की रिपोर्ट
बताती है कि श्रीलंका में मई में पेट्रोल-डीज़ल कीमतों में बड़ी बढ़ोतरी हुई थी. उस महीने श्रीलंका में पेट्रोल 148 श्रीलंकन रुपए प्रति लीटर था. हमारे देश की करंसी से इसकी तुलना पर ये कीमत 63.90 रुपए बैठती है. डीजल की बात करें, तो भारतीय रुपए के हिसाब से श्रीलंका वाले एक लीटर डीजल के लिए 47.06 रुपए चुकाते हैं.
पाकिस्तान और अफगानिस्तान में सस्ते तेल के पीछे तेल-उत्पादक देशों के साथ उनके नज़दीकी संबंध भी बताए जा सकते हैं. लेकिन यहीं अगर हम नेपाल को फ्रेम में लाएं, तो आंकड़े बताते हैं कि भारतीय रुपए के हिसाब से वहां लोग एक लीटर पेट्रोल के लिए 68.76 रुपए और डीजल के लिए 57.51 रुपए चुकाते हैं.
भारत के आसपास सिर्फ चीन ही है, जहां पेट्रोल-डीजल की कीमत हमारे देश के मुकाबले ज़्यादा हैं. भारतीय रुपए के हिसाब से वहां एक लीटर पेट्रोल के लिए 80.78 रुपए और एक लीटर डीजल के लिए 72.14 रुपए चुकाने पड़ते हैं.

चीन में एक पेट्रोल पंप की तस्वीर
आंकड़े, जो देश के पेट्रोल ग्राहकों को डराने वाले हैं
2013-14 में जब अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की कीमत 107 डॉलर से लुढ़ककर 80 डॉलर प्रति बैरल हो गई थी, तब भी भारत में पेट्रोल-डीजल के दाम कम नहीं किए गए. कर्नाटक चुनाव के बाद तेल कीमतों में खासी बढ़ोतरी हुई. नवंबर 2014 से जनवरी 2016 के बीच भारत में तेल की कीमतें 9 बार बढ़ चुकी है. 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से पेट्रोल पर एक्साइज़ ड्यूटी 11.77 रुपए प्रति लीटर और डीजल पर 13.47 रुपए प्रति लीटर बढ़ चुकी है. केंद्र सरकार की एक्साइज़ ड्यूटी और राज्य सरकार का वैट मिला दें, तो अभी हम पेट्रोल पर 100% टैक्स और डीजल पर करीब 66.48% टैक्स चुका रहे हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जो 2014 चुनाव से पहले पेट्रोल कीमतों के मुद्दे पर कांग्रेस के खिलाफ बहुत मुखर थे.
सितंबर 2013 में पेट्रोल की कीमतें 76.06 रुपए प्रति लीटर हो गई थीं, जो उस समय तक की सबसे ज़्यादा कीमत थी. लेकिन तब से अब तक हम पेट्रोल की कीमत 85 रुपए तक बढ़ते देख चुके हैं. जून 2017 में जब से रोज़ाना कीमतें बदलने का प्रावधान आया, उसके बाद अक्टूबर 2017 में पेट्रोल और डीजल से बेसिक एक्साइज़ ड्यूटी 2 रुपए प्रति लीटर कम कर दी गई थी. वित्त मंत्रालय के राजस्व उगाही के आंकड़े बताते हैं कि इस साल सरकार पेट्रोलियम उत्पादों पर टैक्स से करीब 2.579 लाख करोड़ रुपए तक कमा सकती है, जबकि पिछले साल ये रकम 2.016 लाख करोड़ थी और 2013-14 में सरकार ने इससे 88,600 करोड़ रुपए कमाए थे.

पेट्रोल और डीजल पर अगर 28% की दर से GST लागू हो जाता है, तो कीमतें कुछ इस तरह होतीं.
जनता को राहत कहां से मिल सकती है/थी
भारत का बिखरा हुआ टैक्स सिस्टम 1 जुलाई 2017 से GST में बदल गया, लेकिन केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर GST लागू नहीं किया. ज़ाहिर तौर पर केंद्र और राज्य सरकार को पेट्रोल और डीजल की बिक्री से तगड़ा राजस्व हासिल होता है और यही वजह रही कि इसे GST से बाहर रखा गया. मई 2018 की इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक अगर सरकार ने पेट्रोल-डीजल को 28% टैक्स स्लैब में भी रखा होता, तब भी हमें पेट्रोल 48.59 रुपए और डीजल 50.41 रुपए प्रति लीटर मिल रहा होता.
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