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अमेरिका ने अभी 'गोल्डन डोम' बनाने का एलान भर किया, चीन ने उसकी तोड़ भी खोज निकाली

अमेरिका के 'Golden Dome' मिसाइल डिफेंस सिस्टम की घोषणा के तुरंत बाद, चीन ने एक नई स्टेल्थ सामग्री विकसित करने का दावा किया है जो इस अमेरिकी सिस्टम को सीधी चुनौती देती है. इस लेख में हम 'गोल्डन डोम' की विशेषताओं, चीन की नई तकनीक, और दोनों के बीच संभावित टकराव का पंचनामा करने वाले हैं.

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अमेरिकी गोल्डन डोम बनाम चाइनीज स्टेल्थ मिसाइल.

चीन के अखबार साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की एक खबर ने अमेरिका के सैन्य मुख्यालय पेंटागन और राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप (Donald Trump) की नींद उड़ा दी है. खबर बताती है कि ड्रैगन ने ‘अंकल सैम’ की सुरक्षा छतरी में छेद लगाने की निंजा तकनीक खोज निकाली है.

दरअसल, महज कुछ ही दिन पहले, अमेरिका ने अपने अत्याधुनिक 'गोल्डन डोम' डिफेंस सिस्टम का एलान किया था, जिसकी लागत लगभग 175 अरब डॉलर (लगभग 14.5 लाख करोड़ रुपये) आंकी गई है. अमेरिका का दावा है कि जैसे ही कोई मिसाइल-चाहे बैलिस्टिक, सुपरसोनिक या हाइपरसोनिक-अपनी जगह से उड़ान भरेगी, अंतरिक्ष में फैला अमेरिकी उपग्रहों का जाल उसे ट्रैक कर लेगा. फिर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यह पता लगाएगा कि वह मिसाइल अमेरिका की ओर तो नहीं आ रही. अगर आ रही है, तो उसे ट्रैक करके सरफेस-टू-एयर मिसाइल के जरिए मार गिराया जाएगा.

मगर साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक, अब चीन ने एक ऐसी स्टेल्थ सामग्री खोज ली है जिसे ट्रैक करना किसी रडार के लिए नामुमकिन और किसी सैटेलाइट के लिए बेहद मुश्किल होगा. चीन इसी से अपने मिसाइल बनाएगा.

'गोल्डन डोम' की खूबियां

'गोल्डन डोम' अमेरिका की नई पीढ़ी की मिसाइल डिफेंस प्रणाली है, जिसे राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने 20 मई 2025 को विकसित करने का एलान किया था. इसका उद्देश्य अमेरिका को बैलिस्टिक, हाइपरसोनिक और क्रूज़ मिसाइलों से सुरक्षा प्रदान करना है. अमेरिकी रक्षा सचिव पीट हेगसेथ (Pete Hegseth) के मुताबिक इस अल्ट्रा एडवांस एयर डिफेंस डिस्टम में कई खूबियां शामिल हैं:

  • स्पेस-बेस्ड इंटरसेप्टर: अंतरिक्ष में तैनात सेंसर और इंटरसेप्टर मिसाइलें, जो संभावित हमलों का पता लगाकर उन्हें नष्ट करेंगी.
  • AI-संचालित ट्रैकिंग: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से मिसाइलों की दिशा और लक्ष्य का तेजी से आंकलन.
  • मल्टी-लेयर डिफेंस: भूमि, समुद्र और अंतरिक्ष से हमलों का मुकाबला करने के लिए मल्टी लेयर डिफेंस सिस्टम.

हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रणाली को पूरी तरह से तैयार करने में 7 से 10 साल का समय और अरबों डॉलर की लागत आ सकती है.

चीन की नई स्टेल्थ सामग्री

चीन के वैज्ञानिकों ने एक नई स्टेल्थ सामग्री विकसित की है, जो इन्फ्रारेड और माइक्रोवेव डिटेक्शन दोनों के खिलाफ प्रभावी है. इस सामग्री का उपयोग करके चीन भविष्य में ऐसे विमानों और मिसाइलों का निर्माण कर सकता है, जो अमेरिकी रक्षा प्रणालियों के लिए मुश्किलें पैदा कर सकते हैं. यह सामग्री थर्मल और रडार सिग्नेचर को कम करने में सक्षम है, जिससे मिसाइलों का पता लगाना और उन्हें ट्रैक करना कठिन हो जाएगा.

चीन की मिसाइल क्षमताएं

चीन के पास पहले से ही कई उन्नत मिसाइल प्रणालियां हैं, जैसे कि DF-17 हाइपरसोनिक मिसाइल और HQ-19 इंटरसेप्टर. DF-17 मिसाइल हाइपरसोनिक गति से उड़ान भरती है और इसे ट्रैक करना और इंटरसेप्ट करना कठिन होता है. HQ-19 मिसाइल प्रणाली बैलिस्टिक मिसाइलों को इंटरसेप्ट करने में सक्षम है और इसे अमेरिकी THAAD प्रणाली के समकक्ष माना जाता है.

यदि चीन इन मिसाइलों को नई स्टेल्थ सामग्री से बनाता है, तो उनकी ट्रैकिंग और इंटरसेप्शन और भी कठिन हो जाएगी, जिससे अमेरिकी रक्षा प्रणालियों की प्रभावशीलता पर सवाल उठ सकते हैं.

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Golden Dome vs Stealth
अमेरिका और चीन की फ्यूचर वाली जंग 
'गोल्डन डोम' बनाम चीन की स्टेल्थ मिसाइलें 
विशेषता'गोल्डन डोम'चीन की स्टेल्थ मिसाइलें
डिटेक्शन सिस्टमइन्फ्रारेड और माइक्रोवेव आधारितस्टेल्थ सामग्री से बचाव
प्रतिक्रिया समयAI-संचालित त्वरित प्रतिक्रियाहाइपरसोनिक गति से कम समय में लक्ष्य पर
ट्रैकिंग क्षमताउच्च, लेकिन स्टेल्थ के खिलाफ सीमितस्टेल्थ सामग्री से ट्रैकिंग कठिन
लागत$175 अरब (अनुमानित)स्टेल्थ सामग्री की लागत अज्ञात

अमेरिका की 'गोल्डन डोम' प्रणाली एक महत्वाकांक्षी रक्षा परियोजना है, लेकिन चीन की नई स्टेल्थ सामग्री और उन्नत मिसाइल क्षमताएं इस प्रणाली के लिए गंभीर चुनौती प्रस्तुत करती हैं. यदि चीन अपनी मिसाइलों में इस स्टेल्थ सामग्री का उपयोग करता है, तो 'गोल्डन डोम' की प्रभावशीलता (Effectiveness) पर सवाल उठ सकते हैं. अमेरिका को इन चुनौतियों का सामना करने के लिए अपने रक्षा अनुसंधान और विकास में निरंतर निवेश करना होगा और सहयोगी देशों के साथ मिलकर काम करना होगा.

वीडियो: अमेरिका का गोल्डन डोम बाकी देशों से कितना मजबूत?