हिंदी फिल्मों के बेहतरीन गाने लिखने वाले शायर हसरत जयपुरी के दिल में कौन सा दर्द था?
वो गीतकार जिसने लिखा था, 'तुम मुझे यूं भुला न पाओगे.'

बचपन में खुद को जुकाम होने का इंतजार करता था. बहती नाक से दुश्मन दूर भगाने के लिए नहीं. उसमें नाक बंद हो जाने के बाद जो बड़ी सुरीली आवाज निकलती थी उसके लिए. मुकेश के गानों के फैन हुआ करते थे. जब जुकाम हो जाता तो अपनी आवाज एकदम मुकेश सी महसूस होती थी. फिर साइकिल चलाते हुए गाते जाते थे. "दुनिया बनाने वाले, क्या तेरे मन में समाई, काहे को दुनिया बनाई." ये तो था म्यूजिक और गाने की लत का बेवकूफी भरा प्रयोग. आगे का किस्सा सुनोगे तो हमारी मोटी बुद्धि पर तरस आ जाएगा. https://www.youtube.com/watch?v=V2npO5E7IBM ये गाना बहुत पसंद था मुझे. क्लास में एक लड़का अच्छा गाता था. एक दिन अचानक अकेला बैठा इसके बारे में सोच रहा था. कि कौन होगा वो आदमी जिसने इसे लिखा होगा. पक्का इसे लिखने वाले की कोई दुखभरी कहानी होगी. इंटरनेट हमारे पास था नहीं तब. गूगल पर खोज नहीं सकते थे. एफएम में फर्माइशी शो का लंबा इंतजार किया. एक दिन आरजे ने पूरा बताया कि ये गाना तीसरी कसम फिल्म का है. मुकेश ने गाया है ये तो पता ही था. लेकिन लिखा हसरत जयपुरी ने है, ये भी पता चल गया. फिर हमने खोज खोज के हसरत जयपुरी के गाने वो दो छेद वाली ऑडियो कैसेट में भरवा कर लाए. उनको पौराणिक काल के टेप में डाल कर सुना. तो साहब हसरत जयपुरी वो शायर हैं जो रात को औरत बना देते हैं. और उसको सितारे लपेट देते हैं. जब रात में आसमान पर सितारे बिखरे होते हैं तो उसे देखना कितना सुकून देता है. अगर कोई वैसे ही सितारे लपेट कर हमारे पास बैठा हो तो कितनी खूबसूरत फीलिंग आएगी. तो औरत को रात बताने वाले हसरत जयपुरी फिल्मों के टाइटल सॉन्ग लिखने के मास्टर थे. दिल एक मंदिर, दीवाना, तेरे घर के सामने, ऐन इवनिंग इन पेरिस, रात और दिन, इन सबके टाइटल सॉन्ग लिखे हसरत ने. और सब एक से बढ़ कर एक. ये वाला सुन लो तो आगे बढ़ें. बहारों फूल बरसाओ मेरा महबूब आया है. इस गाने के लिए सन 1966 में हसरत को बेस्ट लिरिक्स का फिल्म फेयर मिला था. वो जमाना तो हमारे पैदा होने से बहुत पहले लद गया. लेकिन हमको याद है. हमारे जमाने में जब किसी लड़के की प्रेमिका(हम तब के हैं जब गर्लफ्रेंड का चलन शुरू होने वाला था) पहली बार मिलने आती थी. तो उसके पास ज्यादा कहने के लिए शब्द नहीं होते थे. कुछ टूटी फूटी तुकांत वाली शायरी लिखे पन्ने. और ये गाना. बहारों फूल बरसाओ, मेरा महबूब आया है. मन्ना डे को सुनना शुरू किया होगा तो इस गाने से सबसे पहले पाला पड़ा होगा. उसके बाद फैन हो गए होगे. आजा सनम मधुर चांदनी में हम तुम मिलें तो वीराने में भी आ जाएगी बहार. झूमने लगेगा ये जहां. झूमने लगोगे तुम भी. जैसे हम झूमे थे. ऐसा लगता है हसरत का रात, चांदनी और सितारों से कोई तगड़ा कनेक्शन था. या कोई याद सी. जो उनके तमाम गानों में झांकते मिल जाते हैं. अब बताएं जो किस्सा पता चला उनके दर्द का. जो हमने महसूस किया था "दुनिया बनाने वाले" गाने में. खोजने पर मिला कि हसरत को बचपन में प्यार हुआ था. राधा नाम की एक लड़की से. लेकिन धर्म का बंधन. उसने मिलने नहीं दिया. लेकिन उसकी कसक कहां जाती है साहब. बचपन का इश्क एक कांच का महीन टुकड़ा होता है. जो मन के किस कोने में धंसा होता है इसका पता नहीं चलता. लेकिन वो हमेशा चुभता रहता है. वो प्रेम पत्र जो वहां लिखने छोड़ दिए थे. वो फिल्मों के लिए लिखे.