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पैसा नहीं है, दुख है, अकेलापन है. ये तस्वीर देख लो. फौरन आराम मिलेगा

मुस्कुराइए, कि आप भी इस तस्वीर में हैं.

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फोटो - thelallantop
मीनाक्षी
मीनाक्षी कंडवाल

नीचे दी हुई तस्वीर को ध्यान से देखिए. 14 फरवरी 1990 को अंतरिक्ष में 600 करोड़ किलोमीटर दूर से ली गई इस तस्वीर में धरती दिख रही है. सफेद गोले के अंदर जो छोटा सा डॉट दिख रहा है, वो धरती है. इस तस्वीर का नाम है 'Pale Blue Dot'.

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इस तस्वीर का वैज्ञानिक पहलू एक तरफ है, लेकिन साइंटिस्ट कार्ल सगन इसका दार्शनिक पहलू दिखाते हैं. इंग्लिश में कार्ल को सुनने के लिए यू-ट्यूब लिंक है, लेकिन हम आपको कार्ल के मैसेज का हिंदी तर्जुमा पढ़वा रहे हैं. ये ट्रांसलेशन आज तक चैनल की एंकर मीनाक्षी कंडवाल ने किया है. इसे पढ़ना आपके आज के दिन का सबसे बेहतरीन लम्हा हो सकता है. पढ़िए और समझिएगा (चिंतन करिएगा), जब आपके पास वक्त हो.




 
small earth
600 करोड़ किमी दूर से ली गई धरती की तस्वीर

''अंतरिक्ष की इस गहनतम दूरी से पृथ्वी शायद कोई खास दिलचस्प चीज न लगे, लेकिन हमारे लिए इसके मायने बिल्कुल अलग हैं. इस तस्वीर में नजर आ रहे इस नीले बिंदु को दोबारा देखिए. ये यहां है. ये हमारा घर है. ये हम हैं. हर वो शख्स, वो इंसान, जिससे हम मुहब्बत करते हैं या हर वो व्यक्ति, जिसे हम जानते हैं, वो हर शख्स जिसके बारे में आपने सुना है, वो हर इंसान जो कभी था, उन सबने इस नीले बिंदु में अपनी उम्र गुजार दी.

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हमारी सारी खुशियां और तमाम दुख, विश्वास से भरे हजारों धर्म, मान्यताएं और आर्थिक नीतियां, हरेक शिकारी और शिकार, हर हीरो और कायर, हर राजा और उनके गुलाम, सभ्यताओं को जन्म देने वाला हरेक निर्माता और उन्हें नेस्तनाबूद कर डालने वाला हर हमलावर, प्रेम में डूबे सभी प्रेमी और प्रेमिकाएं, हरेक मां और पिता, उम्मीदों से भरा हर बच्चा, सभी अविष्कारक और खोजी, नैतिकता का पाठ पढ़ाने वाला हर शिक्षक, भ्रष्टाचार में डूबा हर राजनेता, हर सुपरस्टार, सभी महान नेता, हर साधु और पापी, जिसने मानव सभ्यता के इतिहास के पन्ने भरे हैं, वो सभी सूरज की किरण में तैर रहे एक धूल के कण सरीखे नजर आ रहे हैं. जो इस नीले बिंदु में ही जिए और फना हो गए.

इस अनंत ब्रह्मांड में पृथ्वी की हैसियत नगण्य है. अब उन सभी बर्बर हमलावरों और जनरल्स के बारे में सोचिए, जिन्होंने इस बिंदु के सूक्ष्म से हिस्से पर कब्जे की हवस में इंसानियत को शर्मिंदा किया और खून की नदियां बहा डालीं. उस खौफनाक अत्याचार को याद कीजिए, जो इस बिंदु के एक सिरे के लोगों ने दूसरे सिरे के लोगों पर किए.

वो एक-दूसरे के प्रति किस नासमझी से भरे हुए थे, वो एक दूसरे को मार डालने के लिए कितने उतावले थे. एक दूसरे के प्रति उनकी नफरत कितनी गहरी थी. तमाम तड़क-भड़क और दिखावा, हमारा छिछला अहंकार, ये भ्रम कि ब्रह्मांड में हमें एक विशेष दर्जा हासिल है, इन सब बातों को इस तस्वीर में नजर आ रहा ये नीला बिंदु चुनौती दे रहा है.

वीडियो भी देखिए:
https://www.youtube.com/watch?v=EWPFmdAWRZ0

ब्रह्मांड के इस गहन अंधेरे में हमारा ग्रह एक अकेले भटकते धूलकण जैसा है. इस अनंत विस्तार में ऐसा कोई इशारा तक नहीं मिलता कि हमें खुद से ही बचाने के लिए कहीं से कोई मदद आएगी. अब तक केवल पृथ्वी ही ऐसी जगह है, जहां जिंदगी फल-फूल रही है. कम से कम निकट भविष्य में ऐसी कोई दूसरी जगह नहीं है, जहां हमारी मानव जाति रहने के लिए जा सके. हां, हम धरती के बाहर कुछ जगहों पर गए जरूर हैं, लेकिन अब तक हम कहीं बस नहीं सके हैं.

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अब आप इसे पंसद करें या न करें, लेकिन इस वक्त तो पृथ्वी ही ऐसी जगह है, जहां हम मौजूद हैं. जहां जिंदगी आबाद है. ये कहा जाता है कि एस्ट्रोनॉमी या खगोल विज्ञान विनय देने वाला और चरित्र निर्माण करने वाला एक्सपीरियंस देता है. मानव अहंकार में निहित अज्ञानता को साबित करने के लिए शायद इस तस्वीर से बेहतर कोई दूसरा प्रदर्शन हो ही नहीं सकता.

मेरे विचार से, ये तस्वीर हमारी इस जिम्मेदारी को रेखांकित करती है कि हमें एक दूसरे के प्रति कहीं अधिक नरमी और सहनशीलता से पेश आना चाहिए, ताकि हम इस गहरे नीले बिंदु को, जो कि जिंदगी का एक अकेला घर है, इसे संरक्षित करने के साथ जीने लायक बना सकें."

 

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