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मशहूर लेखक खुशवंत सिंह ने भारत-पाकिस्तान के विभाजन पर अपनी किताब में क्या लिखा?

'मेरे कहने से उन पर क्या असर पड़ना है. वे जानते हैं कि वे क्या करने जा रहे हैं. उन्हें मार-काट करनी है. '

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'पाकिस्तान मेल' को सन् 1956 में अमेरिका के ‘ग्रोव प्रेस एवार्ड’ से पुरस्कृत किया गया था. ये उपन्यास भारत-विभाजन की त्रासदी पर केंद्रित है.
खुशवन्त सिंह. उपन्यासकार, इतिहासकार और राजनीतिक विश्लेषक और ना जाने क्या-क्या! गए तो अपने पीछे किताबों की लम्बी-चौड़ी लिगेसी छोड़ गए. हाज़िरजवाबी ऐसी कि कहा करते - "जिस्म से बूढ़ा हूं. लेकिन दिल जवान है. मेरे अंदर किसी चीज को छुपाने की हिम्मत नहीं है. कहता हूं, मैं पीता हूं. नास्तिक हूं. लेकिन कभी किसी की आस्था को चोट नहीं पहुंचाई." 80 से ज्यादा किताबें लिखने वाले खुशवंत सिंह की सबसे मशहूर किताबों में से एक 'ट्रेन टू पाकिस्तान' के हिन्दी अनुवाद 'पकिस्तान मेल' का एक अंश हम आपके साथ साझा कर रहे हैं. ये उपन्यास भारत-विभाजन की त्रासदी पर केंद्रित है. 'पाकिस्तान मेल' को सन् 1956 में अमेरिका के ‘ग्रोव प्रेस एवार्ड’ से पुरस्कृत किया गया था. 1947 के भयावह पंजाब की तस्वीर दिखाती इस किताब का ये अंश पढ़िए.