32 साल के जमाली कुछ हफ्ते पहले ही इस्लामाबाद से जाफराबाद आए थे. सोचा था यहां बाढ़ राहत में मदद करेंगे. लेकिन हफ्ते भर में पानी इतना चढ़ आया कि उन्हें खुद रेस्क्यू करना पड़ा. जमाली उन चंद लोगों में से हैं, जिनकी किस्मत अच्छी है. जमाली को जब निकाला गया तब पानी 4 फ़ीट पर था और अब आठ फ़ीट पर है. जो लोग निकल नहीं पाए वो फंस चुके हैं. घर, खेत, स्कूल रोड सब बाढ़ में बह चुके हैं. लोकल मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सिर्फ जाफराबाद में ही 83 हजार मवेशी बाढ़ से मारे गए हैं. उनकी लाशें पानी में तैर रही हैं. बीमारी फैलने के पूरे लक्षण हैं. लेकिन दवाई तो दूर लोगों के पास खाने-पीने का इंतज़ाम भी नहीं है.
पाकिस्तान में बाढ़ के हालात इस हद तक कैसे पहुंचे?
इस बाढ़ की वजह क्या है और राहत को लेकर क्या इंतज़ाम किए जा रहे हैं.

जाफराबाद पाकिस्तान के सबसे बड़े प्रांत यानी बलोचिस्तान में पड़ता है. ये पाकिस्तान के सबसे कम विकसित इलाकों में से है. रोड और इंफ्रास्ट्रक्चर की हालत पहले ही खस्ता थी. जो टूटा-फूटा था, अब वो भी नहीं बचा है. साल 2010 में भी यहां ऐसी ही बाढ़ आई थी. एक दशक तक लोगों ने बड़ी मुश्किल से दोबारा घर-बार जोड़ा लेकिन अब सब पानी के नीचे जा चुका है. और ये हाल अकेले बलोचिस्तान का नहीं है. पाकिस्तान के बाकी तीन सूबों, सिंध, पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा में भी हालात ख़राब हैं. अब तक बाढ़ से 1 हजार लोगों की जान जा चुकी है. 3 करोड़ लोग बेघर हो चुके हैं. मुल्क के रहनुमा दुनिया से मदद की गुहार लगा रहे हैं. और ये हालत तब है जब मई महीने में ही मौसम विभाग ने भारी बारिश को लेकर चेतावनी जारी कर दी थी.
आज दुनियादारी में जानेंगे-
पाकिस्तान में बाढ़ के हालात इस हद तक कैसे पहुंचे?
इस बाढ़ की वजह क्या है और राहत को लेकर क्या इंतज़ाम किए जा रहे हैं.
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साल 2010 की बात है. पाकिस्तान में बाढ़ ने भयंकर तबाही मचाई. दो करोड़ लोग बाढ़ से प्रभावित हुए. 2 हजार लोगों की जान चली गई और लाखों बेघर हो गए. दुनियाभर से तब पाकिस्तान की ओर मदद का हाथ बढ़ाया गया था. भारतकी तरफ से भी 1600 करोड़ की मदद दी गई. दिक्क्तें बहुत थीं लेकिन पाकिस्तान की माली हालत आज जैसी नहीं थी. आज जब पाकिस्तान देश चलाने के लिए IMF फंड की राह देख रहा है, प्राकृतिक आपदा ने उसकी कमर तोड़ दी है. कुछ आंकड़े देखिए,
पाकिस्तान में बाढ़ से अब तक 1 हजार से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है.
1,343 लोग घायल हुए हैं.
119 लोगों की जान पिछले 24 घंटों में गई है
बाढ़ से 10 लाख घर तबाह हो चुके हैं
7 लाख, उन मवेशियों की संख्या है जो बाढ़ में बह गए हैं
3 करोड़ से ज्यादा लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं.
सबसे ज्यादा तबाही सिंध और बलोचिस्तान प्रान्त में हुई है
पाकिस्तान के 160 में से 100 से ऊपर जिले बाढ़ग्रस्त हो चुके हैं
18 हजार के आसपास स्कूल बिल्डिंग बर्बाद हुई हैं
और 20 लाख एकड़ फसल की जमीन पानी में डूब चुकी है
लगभग 3 हजार किलोमीटर सड़कें और 170 पुल बाढ़ की भेंट चढ़ चुके हैं.
ये ताजा आंकड़ें हैं. हालांकि बाढ़ की पूरी तबाही का आंकलन अभी तक नहीं हो पाया है. मुमकिन है कि ये आंकड़ा इससे कहीं आगे जा सकता है. पकिस्तान में इस भयंकर तबाही के पीछे कारण क्या है?
इसका कारण है वो दक्षिण पश्चिमी मॉनसून जो भारत में बारिश लाता है. चूंकि मॉनसूनी हवाओं को पाकिस्तान तक जाने में थोड़ा लम्बा वक्त लगता है, इसलिए पाकिस्तान में मॉनसून का सीजन भारत से थोड़ा छोटा होता है. पाकिस्तान में मॉनसून जुलाई के पहले हफ्ते से सितम्बर से पहले हफ्ते तक रहता है. सबसे ज्यादा बारिश जुलाई और अगस्त के महीने में होती है.
आम तौर पर पाकिस्तान में औसतन 113 मिलीमीटर बारिश होती है लेकिन इस बार ये आंकड़ा 354 के पार जा चुका है. आम तौर पर 4 या पांच फेर होने वाली बारिश इस बार आठवें फेर तक पहुंच चुकी है. इसका नतीजा ये हुआ कि सिंधु नदी का पानी खतरनाक स्तर तक पहुंच गया. लगातार हो रही बारिश से मैदानी इलाकों में बाढ़ आई तो पहाड़ी इलाकों में भूस्खलन. बाढ़ के साथ आने वाली गाद ने पाकिस्तान के मुख्य बांधों को जाम कर दिया. जिससे बाढ़ ने और भयानक रूप ले लिया.
सिंधु नदी ने सबसे ज्यादा असर डाला सिंध प्रांत में. ये इलाका चूंकि अरेबियन सागर के नजदीक है, इस कारण से भी यहां बारिश ज्यादा हुई. सिंध प्रान्त में पारम्परिक रूप से मॉनसून के महीनों में 109.5 मिलीमीटर बारिश होती है. इस बार यहां जुलाई से लेकर अब तक 680.5 मिलीमीटर बारिश हो चुकी है.
इसके बाद बाढ़ का सबसे ज्यादा असर हुआ है बलूचिस्तान में. बलूचिस्तान में आमतौर पर 50 मिलीमीटर बारिश होती है. इस बार ये आंकड़ा 280 के पार जा चुका है. बलूचिस्तान की राजधानी क्वेटा बाकी देश से पूरी तरह कट चुकी है. यहां क्वेटा को बाकी देश से जोड़ने वाले हाईवे और पुल पूरी तरह बाढ़ की भेंट चढ़ चुके हैं. इसके अलावा पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा में भी बाढ़ ने भीषण तबाही मचाई है. खैबर पख्तूनख्वा से गुजरने वाली नदियां, काबुल और स्वात का पानी बाढ़ के लेवल से कहीं ऊपर बह रहा है.
मौसम विशेषज्ञों की मानें तो इस बार की भयंकर बारिश का कारण जलवायु परिवर्तन है. डॉक्टर गुलाम रसूल पाकिस्तानी मौसम विभाग के पूर्व डायरेक्टर जनरल हैं. वो बताते हैं,
बाढ़ राहत को लेकर पाकिस्तान में क्या कोशिशें चल रही हैं?“जलवायु परिवर्तन के असर अब दिखने लगे हैं. इसी साल हमने देखा कि यूरोप में सूखा पड़ा. और अब पाकिस्तान में ये बाढ़. हम कई सालों से लगातार जलवायु परिवर्तन के इस असर को महसूस कर रहे हैं. पाकिस्तान में इस साल बसंत का मौसम नहीं आया. जबरदस्त ठण्ड के बाद सीधे भयानक गर्मी पड़ी और उसके बाद इतनी बारिश हुई कि बाढ़ ही आ गई”
शेरी रहमान पाकिस्तान सरकार में जलवायु परिवर्तन मंत्री हैं. रविवार को उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए एक वीडियो शेयर किया. इस वीडियो में खैबर पख्तूनख्वा में स्थित एक पुल का मंजर दिख रहा है. इसी वीडियो के साथ शेरी रहमान लिखती हैं कि 2010 में आई बाढ़ के बाद इस पुल को 5 मीटर ऊंचा कर दिया गया था. लेकिन इस बार आई बाढ़ में पानी उससे भी ऊपर जा चुका है. शेरी कहती हैं कि इस बार जैसी आपदा आई है, उसके लिए हम जितना भी इंतज़ाम करते, कम होता.
याद कीजिए पिछले महीने बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना का एक हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हुआ था. जिसमें 12 कोर कमांडर के लेफ्टिनेंट जनरल सरफ़राज़ अली सहित 6 लोग मारे गए थे. लेफ्टिनेंट जनरल सरफ़राज़ अली पर बलूचिस्तान में बाढ़ राहत का जिम्मा था और वो इसी के चलते हेलीकॉप्टर से जा रहे थे. द डॉन अखबार की एक रिपोर्ट के अनुसार हालात पहले से ही खराब थे और बलूचिस्तान में इसका असर दिखा रहा था. लेकिन जब बाढ़ का असर सिंध और पंजाब तक पहुंचा तब जाकर सरकार हरकत में आई.
फिलहाल पाकिस्तान के वजीर-ए-आजम शाहबाज़ शरीफ ने बाढ़ राहत के लिए 1000 करोड़ के पॅकेज की घोषणा की है. देश में इमरजेंसी की घोषणा हो चुकी है. साथ ही सेना को भी राहत मोर्चे पर लगा दिया गया है. इसके अलावा बाढ़ के बढ़ते असर को देखते हुए शाहबाज़ शरीफ ने आज सोमवार को एक मल्टी पार्टी मीटिंग भी बुलाई. जिसमें सभी सूबों के मुख्यमंत्रियों को शमिल होने के लिए कहा गया. शाहबाज़ शरीफ लगातार इंटरनेशनल कम्युनिटी से मदद की गुहार कर रहे हैं. देश में कई जगह फ्लड रिलीफ के लिए फंड जुटाया जा रहा है. इसी तरह का एक फंड जुटाने की मुहीम में इमरान खान भी लगे हुए हैं.
द डॉन की ही एक और रिपोर्ट बताती है कि सरकार विकास कार्यों के फंड को बाढ़ राहत के लिए यूज़ करने पर मजबूर है. इसका कारण है पाकिस्तान की माली हालत. पाकिस्तान IMF से मिलने वाले बेल आउट पैकेज की राह देख रहा है. इस मामले में आज ही IMF के एग्जीक्यूटिव बोर्ड की एक मीटिंग होने वाली है. जिसमें पाकिस्तान को मिलने वाले बेलआउट पैकेज पर निर्णय लिया जाएगा. पाकिस्तान को आठ लाख करोड़ रूपये के बेलआउट पैकेज़ की दरकार है. अगर ये पैकेज स्वीकृत हो गया तो पाकिस्तान को तत्काल 26 हजार करोड़ की रकम मुहैया हो जाएगी. इसके अलावा बाढ़ राहत के लिए पाकिस्तान ने 11 हजार करोड़ की रकम और मांगी है. पकिस्तान को चीन, सऊदी अरब, क़तर और UAE की तरफ से 2 लाख करोड़ इन्वेस्टमेंट का वायदा भी किया गया है. लेकिन ये सब IMF के बेल आउट पैकेज अप्रूव होने के बाद ही मिल सकेगा.
फिलहाल पाकिस्तान सरकार अंतर्राष्ट्रीय कम्युनिटी से मदद की गुहार लगा रही है. ब्रिटेन अमेरिका सहित कई देशों ने मदद का भरोसा दिया है. साथ ही रेड क्रॉस और UN रिलीफ मिशन के जरिए पाकिस्तान तक राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है.
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