रानी पद्मावती का नख शिख वर्णन

Image: Rajasthani Paintings
अब प्रॉब्लम ये है कि जायसी के पद्मावत का हिस्सा यूपी बोर्ड के हाईस्कूल इंटर में पढ़ाया जाता था. 2013 में एमए के पाठ्यक्रम में शामिल किया गया. जिसमें पद्मावती का नख शिख वर्णन और नागमती का वियोग वर्णन, ये कोर्स के मेन अध्याय थे. और भाईसाब जायसी ने ऐसा खोल के लिखा है कि इंटर में तो गुरू जी वो पाठ स्किप कर जाते थे. एमए में भी गुरू जी पढ़ाते हैं तो लड़के लड़कियां मुंह दबाकर हंसते हैं. काहे हंसते हैं, ये न पूछो. अगर ये आर्टिकल पढ़ रहे हो तो मतलब भर के समझदार हो. खजुराहों मंदिर की सारी आकृतियां घूम जाती थीं दिमाग में. वो कहानी पढ़ सुन के, इमेजिन करके बढ़े लोग पद्मावती को राष्ट्रमाता मानेंगे?
खिलजी को बेवकूफ दिखाया

गर्मी में फर वाला कोट
अब आओ खिलजी पर. वो अच्छा था कि बुरा था ये बात भूल जाओ. 13वीं सदी के हिसाब से देखो. वो घूम घूमकर राज्यों पर कब्जा करने वाला सुलतान था. मतलब पावरफुल आदमी था. संजय लीला भंसाली को पहले ही करणी सेना वाले थप्पड़ मार चुके हैं. शायद उनको अंदाजा था कि बवाल होगा. इसलिए अपनी कहानी में खिलजी को एकदम पिल्लूटूस टाइप दिखाया. ट्रेलर देखकर लगता है कि वो कोई मूर्ख आदमी है. रतन सिंह का भौकाल देखकर लगता है कि ये हारने नहीं, जीतने वाला राजा है. फिल्म देखने के बाद शायद खेला बदल जाए. या हो सकता है विरोध करने वालों ने फिल्म देख ली हो और उसका सस्पेंस जान गए हों. अगर नहीं देखी तो राजपूतों को ग्लोरिफाई करने वाली फिल्म का विरोध करके अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहे हैं.
इतिहास से छेड़छाड़
इतिहास से छेड़छाड़ नहीं बर्दाश्त की जाएगी. मामाजी ने भी यही बात की है. लेकिन कौन सा इतिहास, कहां का इतिहास ये नहीं पता. अगर कवियों की कविता को इतिहास माना जा रहा है तो जय-वीरू-ठाकुर-गब्बर भी एक दिन इतिहास में दर्ज होकर राष्ट्रदोस्त- राष्ट्रदुश्मन की तरह देखे जाएंगे. अभी तक एक भी इतिहासकार ने पद्मावती को इतिहास में मान्यता नहीं दी है. इसलिए इतिहास से छेड़छाड़ का सवाल ही नहीं है. भंसाली की पद्मावती बस भुला देने वाली एक फिल्म है.भंसाली-करणी सेना मिले हुए हैं

एक आर्टिस्ट का काम तो तभी खत्म हो जाता है जब तालियां उसके सिर पर मिलने लगती हैं
ये सबसे दिलचस्प केस है. हर तीसरे आदमी को लगता है कि करणी सेना और संजय लीला भंसाली मिले हुए हैं. ये फिल्म का पब्लिसिटी स्टंट है. ये सच है या झूठ इसका कोई फर्स्ट हैंड अकाउंट दावा नहीं कर सकता. लेकिन अब जब पद्मावती की रिलीज टल गई है, तो ये मान लो कि भंसाली का तगड़ा नुकसान होगा. कोई किसी से मिलकर तो इतना बवाल नहीं कराएगा कि चार स्टेट्स में उसकी फिल्म बैन हो जाए. पिछली बार 2009 में कमल हासन का विश्वरूपम आई थी. जिसके प्रोड्यूसर भी वो खुद थे. फिल्म पर मुसलमानों की छवि खराब करने का आरोप लगा. इत्ता कर्रा बवाल हुआ कि फिल्म की रिलीज लटक गई. जिसकी वजह से कमल हासन को तकरीबन 30 करोड़ का नुकसान हुआ. कमल हासन ने देश छोड़ने की धमकी भी दी थी. तब सोशल मीडिया था लेकिन ट्रोल सेना इतनी एक्टिव नहीं थी. नहीं तो कमल हासन की छिन्न पटक्का हो जाती. तो अगर इतने बवाल के बाद भी पद्मावती रिलीज हो जाती तो भंसाली को या वायकॉम 18 को नुकसान ही होता क्योंकि 4 राज्यों में फिल्म बैन है.
बाकी इतिहास भूगोल कहानी फिल्म सब अपनी जगह है. लेकिन पिच्चर देखने से पहले बवाल नहीं करना चाहिए. ऐसा हम नहीं, नाना पाटेकर ने कहा है.
अब एक वीडियो देखो.
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