करीब दशक भर पहले, अगस्त 2013 में द गार्डियन में एक खबर छपी. खबर कि लैब में एक टेस्ट ट्यूब के भीतर एक ‘दिमाग’ बना, या कहें ग्रो या उगा लिया गया है. विएना के इंस्टीट्यूट ऑफ मॉलिक्यूलर बायोटेक्नोलॉजी नाम के संस्थान में. लैब में ये ‘दिमाग’ Stem cell (स्टेम सेल) की मदद से उगाया गया था. स्टेम सेल, यानी वो बुनियादी कोशिकाएं, जो अलग-अलग अंगों के बनने में मदद करती हैं. यूं स्टेम सेल सभी अंगों का स्टार्टिंग पॉइंट कहा जा सकता है. विएना में बनाया गया ये मिनी ब्रेन एक ‘ऑर्गनाइड’ था. ‘ऑर्गनाइड’ माने लैब में बनाया गया आर्टिफ़िशियल ऑर्गन. ऑर्गनाइड जैसी ही एक और तकनीक है. नाम- ऑर्गन ऑन चिप की तकनीक. 24 अगस्त को प्रधानमंत्री मोदी ने BioE3 पॉलिसी लॉन्च की. ऑर्गन ऑन चिप इस पॉलिसी का एक बेहद जरूरी कंपोनेंट है. इस वीडियो में इसी ऑर्गन ऑन चिप तकनीक पर बात करेंगे और जानेंगे ऑर्गन ऑन चिप टेक्नोलॉजी क्या है? और इसका इस्तेमाल कैसे और कहाँ-कहाँ होता है? पूरी खबर जानने के लिए देखें पूरा वीडियो.
आसान भाषा में: ऑर्गन ऑन चिप टेक्नोलॉजी क्या है? कहाँ-कहाँ होता है इस्तेमाल?
ऑर्गनाइड जैसी ही एक और तकनीक है. नाम- ऑर्गन ऑन चिप की तकनीक. 24 अगस्त को प्रधानमंत्री मोदी ने BioE3 पॉलिसी लॉन्च की. ऑर्गन ऑन चिप इस पॉलिसी का एक बेहद जरूरी कंपोनेंट है.
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