तमिलनाडु में एक रियासत हुआ करती थी - पुदुकोट्टई. 1886 में यहां के महाराजा कॉलेज में एस. नारायणसामी प्रिंसिपल थे. इन्हीं के घर पैदा हुई थीं मुथुलक्ष्मी रेड्डी. एक ऐसी महिला, जिसने कलम उठाने के लिए संधर्ष किया. लेकिन पढ़ाई की, तो अपना नाम सुनहरे अक्षरों में दर्ज कराया. फिर, ब्रिटिश दौर में विधायी राजनीति का हिस्सा बनीं, तो महिलाओं के संघर्ष को सत्ता के सामने रखा. तारीख़ में आज कहानी भारत की पहली महिला सर्जन और पहली लॉ मेकर मुथुलक्ष्मी रेड्डी की.
तारीख: कहानी देश की पहली महिला लॉ मेकर मुथुलक्ष्मी रेड्डी की
मुथुलक्ष्मी की मां देवदासी परिवार से थीं. देवी-देवताओं की सेवा में जिन्दगी समर्पित करने वाली महिलाओं को देवदासी कहा जाता था. जब मुथु 11 साल की हुईं, उन्हें भी देवदासी बनाने का फैसला किया गया.
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