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अपने ही खेमे में क्यों दग रहे हैं नितिन गडकरी?

नितिन गडकरी के वो तीन बयान जो बीजेपी के लिए परेशानी का सबब बने.

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केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि भारत पाकिस्तान में जाने वाला अपने हिस्से का पानी रोक देगा.

केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी आजकल अपने ही खेमे में दग रहे हैं. रविवार के रोज नितिन गडकरी मुंबई में थे. यहां एक कार्यक्रम में दिए गए उनके बयान की वजह से कयासबाजी का बाजार गर्म हो गया है. नितिन गडकरी ने यहां चुटकी लेने के अंदाज में कहा, "सपने दिखाने वाले नेता लोगों को अच्छे लगते हैं, लेकिन दिखाए हुए सपने अगर पूरे नहीं किए तो जनता उनकी पिटाई भी करती है, इसलिए सपने वही दिखाओ जो पूरे हो सकते हैं, मैं सपने दिखाने वालों में से नहीं हूं, जो भी बोलता हूं वह डंके की चोट पर बोलता हूं.''

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गडकरी के इस बयान के बाद सियासत तेज हो गई. विपक्ष गड़करी के बयान के जरिए सरकार को घेरने में लगा हुआ है. ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-ए-मुस्लमीन के नेता असद्दुदीन ओवैसी उनके ब्यान को ट्वीट करते हुए कहा कि नितिन गडकरी ने अपनी ही सरकार को आइना दिखा दिया. कांग्रेस नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने ट्वीट कर कहा, गडकरी जी हम समझ गए हैं कि आपका इशारा किधर है. यह पहली बार नहीं हैं जब नितिन गडकरी के किसी बयान की वजह से सरकार सांसत में आई है. हम आपको उनके पिछले विवादित बयान बताने जा रहे हैं.

1.हम महाराष्ट्र में कभी भी सत्ता में नहीं आएँगे.

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अक्टूबर 2018 में नितिन गडकरी एक मराठी चैनल को इंटरव्यू दे रहे थे. इस इंटरव्यू में उन्होंने मजाकिया अंदाज में कहा,

"हमें पूरा भरोसा था कि हम इस जिंदगी में कभी महाराष्ट्र की सत्ता में नहीं आने वाले हैं. इसलिए आस-पास के लोग कहते थे कि बोलिए ना, आपका क्या बिगड़ता है? कल को आप पर कौनसी जिम्मेदारी आने वाली है? अब सच्चाई यह है कि हमारी राज्य में सरकार आ गई है. अब लोग पूछते हैं कि इस तारीख को गडकरी ने क्या कहा था? इस तारीख को फडनवीस ने क्या कहा था? हम हंसते हुए आगे बढ़ जाते हैं."

नितिन गडकरी ने यह बयान हंसते हुए दिया था. लेकिन उनके विरोधी ने इसे बीजेपी की जुमलेबाजी का पर्दाफाश करने के संदर्भ में पेश करना शुरू किया.

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नितिन गडकरी फिलहाल नरेंद्र मोदी विरोधी खेमे की अगुवाई कर रहे हैं
नितिन गडकरी फिलहाल नरेंद्र मोदी विरोधी खेमे की अगुवाई कर रहे हैं

2.मुझे नेहरु के भाषण बहुत पसंद हैं

24 दिसंबर 2018 को नितिन गडकरी आईबी सेंटनरी एंडाओमेंट लेक्चर दे रहे थे. इस लेक्चर के दौरान उन्होंने भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु की तारीफ कर दी. बीजेपी पिछले चार साल से नेहरु को लेकर कांग्रेस पर काफी हमलावर रहा है. ऐसे में गडकरी नेहरु की तारीफ करके पार्टी को दुविधा की स्थिति में खड़ा कर दिया. गडकरी बोले-

"मुझे याद है जवाहर लाल नेहरु अक्सर कहा करते थे, 'इंडिया इज नोट ए नेशन, इट्स ए पॉपुलेशन.' और दूसरी बात वो कहा करते थे कि इस देश का हर व्यक्ति इस देश के लिए एक प्रश्न है, एक समस्या है. मुझे उनके भाषण बहुत पसंद हैं. मैं कम से कम इतना तो कर सकते हैं कि इस देश के सामने समस्या ना बनूं."

3.आलाकमान ले हार की जिम्मेदारी

दिसंबर 2018. हिंदी पट्टी के तीन राज्यों में बीजेपी की हार के बाद बीजेपी बैकफुट पर थी. पुणे में एक कार्यक्रम के दौरान नितिन गडकरी के बयान ने सियासी कयासबाजी की शुरुआत कर दी. गडकरी ने कहा-

"सफलता के कई दावेदार होते हैं लेकिन विफलता में कोई साथ नहीं होता. सफलता का श्रेय लेने के लिए लोगों में होड़ रहती है लेकिन नाकामी को कोई स्वीकार नहीं करना चाहता, सब दूसरे की तरफ उंगली दिखाने लगते हैं."

गडकरी के इस बयान को लेकर बीजेपी सफाई दे ही रही थी कि 24 दिसंबर के रोज उनका नया बयान आ गया. तीन राज्यों में हार के संदर्भ में उन्होंने कहा, 'अगर मैं पार्टी का अध्यक्ष हूं और मेरे सांसद-विधायक अच्छा काम नहीं कर रहे हैं तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? जाहिर है मैं.'

नितिन गड़करी के इस बयान के बाद बीजेपी में मोदी विरोधी खेमे की बात होने लगी. नितिन गडकरी संघ के चहेते मंत्री हैं. 1957 में नागपुर के महल इलाके में पैदा हुए नितिन गडकरी का बचपन नागपुर की तुलसीबाग शाखा में लाठी भांजते हुए बीता है. यह संघ की सबसे पुरानी शाखा है. यहां संघ के बड़े-बड़े पदाधिकारी लगातार आते रहे हैं. संघ के करीबी के चलते ही नितिन गडकरी को 2009 में उन्हें बीजेपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया था.यही वजह है कि नरेंद्र मोदी का उन पर वैसा नियंत्रण नहीं है, जैसा दूसरे मंत्रियों पर है. नितिन गडकरी को सियासी हलको में नरेंद्र मोदी के विकल्प के तौर पर देखा जाता है. ऐसे में गडकरी के हर बयान को नरेंद्र मोदी के विरोध के संदर्भ में देखा जाता है.




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