आज यानी 16 अक्टूबर को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने निठारी हत्याकांड के मुख्य आरोपी सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर की फांसी की सजा रद्द कर दी. बता दें कि रेप और मर्डर के इन आरोपियों को फांसी की सजा गाज़ियाबाद की स्पेशल CBI कोर्ट ने साल 2017 में सुनाई थी. फिर इस मामले को हाईकोर्ट में चैलेंज किया गया. कोर्ट में सुनवाई पूरी हुई सितंबर 2023 में और फैसला सुरक्षित कर लिया गया. जस्टिस अश्वनी कुमार मिश्रा और जस्टिस सय्यद आफताब हुसैन रिजवी की बेंच ने बरी करते हुए कहा कि दोनों के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं हैं, लिहाजा उन्हें बरी किया जाता है. बता दें कि इस बुलेटिन की तैयारी करते हुए कोर्ट का पूरा जजमेंट सामने नहीं आ सका है.
निठारी हत्याकांड के दोनों दोषी बरी, गुस्साए परिजनों ने कर दिया पथराव
आज की तारीख के पहले तक इनके बच्चों के हत्यारे कोली-पंढेर थे, अब वो नहीं हैं. तो इनके लिए हत्यारे कौन हैं? उनकी शिनाख्त कौन करेगा? कौन पकड़ेगा? इन पीड़ितों को न्याय कौन दिलाएगा? ये एक बड़ा सवाल है.

कोली अभी गाज़ियाबाद की डासना जेल में बंद है, और पंढेर बंद है नोएडा सेंट्रल जेल में. और वकील ने कह ही दिया कि आरोपी जल्द बाहर आएगा. ऐसे में दो सवाल उठते हैं -
1 - अगर मोनिन्दर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली दोषी हैं तो दोनों बरी कैसे हो गए?
2 - अगर दोनों निर्दोष हैं तो लगभग तीन दर्जन बच्चों और बड़ों की हत्या किसने की? उनका रेप किसने किया? उनकी लाशों के टुकड़े किसने किए?
इन सवालों के जवाब जानने के लिए ये पूरा केस जानना होगा. और केस की कहानी हम उन खबरों, उन विशेषज्ञों और उन पत्रकारों के माध्यम से सुना रहे हैं, जिन्होंने इस केस की परतें खोल दी थीं. चूंकि अब आरोपी दोषमुक्त हैं, तो बहुत कुछ दावे की शक्ल में देखा जाएगा.
और अब चलते हैं साल 2005 में. गौतम बुद्ध नगर उर्फ नोएडा के सेक्टर 31 में एक गांव है - निठारी. इस साल इस गांव में बच्चे गायब होने लगे. खबरों में बच्चों की संख्या 2 से 3 दर्जन आई. सबसे पहले लोगों में अफवाह उड़ी... गांव में पड़ने वाली पानी की टंकी पर भूत रहता है, वही बच्चों को उठा रहा है. मां-बाप ने बच्चों को पानी की टंकी के पास भेजना बंद कर दिया.
लेकिन बच्चों को उठाने वाला ये भूत पानी की टंकी पर नहीं रहता था. उसका पता एक कोठी के आसपास कहीं था. कोठी का पता - D5. कोठी के मालिक का नाम मोनिन्दर सिंह पंढेर. JCB मशीनों की खरीदफरोख्त करने वाला व्यापारी. उसने साल 2000 में ये कोठी खरीदी थी. लेकिन निठारी के लोगों को इस कोठी के बारे में खास नहीं पता था. उन्हें तो बस ये पता था कि यहां मालिक पंढेर अपने नौकर सुरेन्द्र कोली के साथ रहता है. अपना जीवन जीता है.
बात तब खुली जब इस कोठी में एक दिन एक लड़की आई. लड़की का नाम पायल. उम्र 26 साल. वो 7 मई 2006 के दिन अपने पापा नंदलाल को बताकर निकली कि वो पंढेर की कोठी पर जा रही है. वो रिक्शे से आई. रिक्शा D5 के सामने रुका. पायल ने रिक्शेवाले से कहा कि वो वेट करे, वो अभी अंदर से आकर पैसा देगी. पायल अंदर चली गई. लंबा समय बीत गया, लड़की बाहर नहीं आई. भाड़े का वेट कर रहे रिक्शेवाले ने कोठी के बाहर लगा लोहे का बड़ा-सा गेट खटखटाया. अंदर से नौकर सुरेन्द्र कोली निकला. पायल के बारे में पूछने पर सुरेन्द्र कोली ने कहा कि वो तो बहुत देर पहले चली गई. रिक्शेवाले को शक हुआ. क्योंकि वो तो लगातार कोठी के गेट पर ही खड़ा था. उसने कोली से ये बात बताई तो वो नहीं माना. रिक्शेवाले को झिड़क दिया. रिक्शेवाला भाड़ा लेने पायल के घर पहुंचा. वहां पर भी वो नहीं थी. लेकिन पापा नंदलाल थे, रिक्शेवाले ने उन्हें सबकुछ बता दिया.
नंदलाल ने पायल की खोज शुरू की. वो नहीं मिली. उन्होंने पास के थाने में रपट लिखाने की सोची. पुलिस ने झिड़ककर भगा दिया. आखिर में वो जून 2006 में नोएडा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पीयूष मोरडिया के ऑफिस गए. गुहार लगाई कि उनकी बेटी की रिपोर्ट लिखी जाए. पायल के नाम की मिसिंग पर्सन रिपोर्ट लिख ली गई. पायल की खोज शुरू हुई.
कुछ महीनों तक बात नहीं खुली. बात तब सामने आई, जब दिसंबर 2006 में पायल का खोया हुआ नोकिया 1100 हैंडसेट एक्टिव हुआ. सिम बदल दिया गया था, लेकिन फोन कंपनियों ने इस हैंडसेट से जुड़ा 15 अंकों वाला IMEI नंबर ट्रेस कर लिया. फोन महाराष्ट्र में एक्टिव हुआ था. फोन कंपनियों ने तुरंत नोएडा पुलिस को सूचित किया. पुलिस ने फोन रखने वाले से बात की. उसने पुलिस को बताया कि उसे किसी ने ये फोन बेच दिया था. फोन बेचने वाले का नाम पता चला - सुरेन्द्र कोली. कोली को खोजा गया तो वो नोएडा में नहीं मिला. उत्तराखंड के अल्मोड़ा में मौजूद अपने घर में था. पुलिस ने उसे पूछताछ के लिए बुलाया. कोली ने पहले कोई भी जानकारी होने से इनकार कर दिया. फिर दबाव देने पर उसने बताया कि उसने पायल की हत्या कर दी, और हत्या के बाद उसकी लाश के टुकड़े कर दिए. लाश के टुकड़ों को पंढेर की कोठी d5 से सटकर बहने वाले नाले में फेंक दिया.
पुलिस को लगा कि उन्होंने पायल का केस सुलझा लिया. लेकिन अभी उनके होश उड़ने बाकी थे. पुलिस ने नाले में खोजबीन शुरू की. नाले में से कुछ कपड़े और जूते बरामद हुए. इंसानों की लाशों के सड़े-गले हिस्से, कंकाल और खोपड़ियां बरामद होने लगीं. लाशों के कुछ हिस्से अधजले थे, कुछ बोरों में रखकर फेंके गए थे. पुलिस की टीम ने नाले से निकलकर पंढेर की कोठी के अंदर जांच शुरू कर दी. कोठी के अंदर से भी बच्चों के कपड़े, स्कूलबैग और जूते बरामद हुए.
सुरेंद्र से एक बार और पूछताछ की गई. सुरेंद्र कोली ने कहा कि उसने और उसके मालिक पंढेर ने मिलकर इनमें से बहुत सारे बच्चों का रेप किया है. उसने कहा कि वो दिन भर कोठी के गेट पर टॉफी और चॉकलेट लेकर खड़ा रहता था. स्कूल से आने-जाने वाले बच्चों को लालच देकर कोठी के अंदर बुलाया जाता. या आसपास काम करने वाली महिलाओं को काम देने के बहाने अंदर बुलाता. जब ये लोग कोठी के अंदर आ जाते, तो कोली उन्हें ओवरपॉवर करके पंढेर को सौंप देता था. पंढेर इनका बलात्कार करता. फिर उन्हें सुरेंद्र कोली को सौंप देता. कोली भी इनका रेप करता. फिर गला दबाकर मार डालता. लाशों को कोठी की पहली मंजिल के बाथरूम में लेकर जाता. बाथरूम का नल खोलकर लाशों के टुकड़े करता. पानी अपने साथ खून को नाली में बहा ले जाता. और लाशों के टुकड़े नाले में फेंक दिए जाते.
कोली का ये बयान पुलिस का होश उड़ाने के लिए काफी था. 29 दिसंबर 2006. नोएडा पुलिस ने कोली और पंढेर को अरेस्ट कर लिया.
लेकिन इस मामले को सम्हाल रही यूपी पुलिस पर सवाल उठने लगे थे. मामला खुलते ही निठारी के बहुत सारे बाशिंदों ने कहना शुरू किया कि वो समय-समय पर अपने बच्चों के खोने की रपट लेकर पुलिस के पास गए थे, लेकिन पुलिस ने उनकी बात नहीं सुनी थी. बहुत सारी लापरवाही की खबरें सामने आई थीं. जैसे, साल 2005 में जब डॉली हालदार पुलिस के पास अपनी 14 साल की बेटी रिमपा हाल्दार की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखाने गई थीं, तो पुलिस ने कहा था कि वो किसी के साथ भाग गई है, रिपोर्ट लिखाने की कोई जरूरत नहीं है. बाद में केस की जांच के दौरान पता चला था कि रिमपा हालदार इस केस की एक विक्टिम थीं और उन्हें भी मारकर काट दिया गया था. परिजन पुलिस से गुस्सा थे. उन्होंने पुलिस पर पत्थर चलाए. क्राइम सीन पर भी पथराव किया और तोड़फोड़ की.
अब बारी थी CBI की. मुलायम सिंह यादव की सरकार पर प्रेशर था कि वो जांच को सीबीआई को सौंपें. उन्होंने ssp समेत 6 पुलिस अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया था, लेकिन जनता मान नहीं रही थी. लिहाजा 11 जनवरी 2007 को इस मामले को सीबीआई ने टेकओवर कर लिया. CBI ने जांच शुरू की.
क्राइम सीन से बच्चों की नंगी तस्वीरें मिलीं. लैपटॉप से कई pornographic सामग्रियां बरामद हुईं. लेकिन इनसे ये साबित नहीं हो रहा था कि इन दोनों ने कोई कुकर्म किये हैं. सबूत का जुटाना जारी रहा और दूसरे छोर पर कोली-पंढेर से पूछताछ. सीबीआई से पूछताछ में पंढेर ने कहा -
"मैंने बच्चों के साथ सेक्स नहीं किया"
पंढेर के बारे में ये भी खबरें चलीं कि वो बच्चों के साथ ओरल सेक्स करता था फिर उन्हें कोली को सौंप देता था. लेकिन इसकी कोई पुष्टि नहीं हुई. बता दें कि पंढेर अपनी कोठी में कोली के साथ रहता था. उसकी पत्नी और उसका बेटा चंडीगढ़ में रहते थे. उसने पूछताछ में बताया था कि वो सेक्स एडिक्ट था, लेकिन पत्नी साथ में नहीं रहती थी तो वो अपनी कोठी पर सेक्स वर्कर को बुलाया करता था. पैसे देकर सेक्स किया करता था. उसने इस केस की एक विक्टिम पायल के बारे में भी यही कहा था कि वो सेक्स वर्कर थी.
यानी पंढेर ये कह रहा था कि वो सेक्स एडिक्ट है, वो वेश्यावृत्ति में शामिल है, लेकिन वो ये नहीं कह रहा था कि वो रेप करता था. उसने कोली के उन आरोपों को झुठला दिया था, जिसमें उसने कहा था कि पंढेर रेप के बाद औरतों को कोली को सौंप देता था.
अब सवाल उठता है कि कोली ने अपने सीबीआई की पूछताछ में क्या कहा? कोली ने चौंकाने वाले दावे किये. कहा कि उसने जिंदा लोगों का ही नहीं, लाशों का भी रेप किया, लाशों के टुकड़े किये, लाशों के हिस्सों को पकाकर खा गया. एक वीडियो भी सामने आया, जिसमें कोली ये दावा करते सुना जा सकता था कि उसने लाश के कौन-कौन से हिस्से खाए? कोली ने ऐसा क्यों किया? क्योंकि किसी तांत्रिक ने कहा था कि इससे सेक्स पॉवर बढ़ती है. कोली का बयान मीडिया में भी घूमा. अखबारों की हेडलाइन लिखी गई. एक हिन्दी अखबार में हेडलाइन छापी गई - सीबीआई हिरासत में भी इंसान का मांस खाना चाहता है सुरेंद्र कोली.
चूंकि हड्डियां और अंग अलग-अलग मिले थे, इसलिए लाशों का इग्ज़ैक्ट काउंट सामने नहीं आ रहा था . लेकिन फोरेंसिक टीम की एक फाइंडिंग आई - लगभग 19 लाशें. बच्चों बड़ों की लगभग 19 लाशें बरामद हुई थीं. इसके साथ ही सीबीआई की जांच में कुछ और एंगल लिए जाने थे. जैसे मानव अंगों का व्यापार, बच्चों के पॉर्न प्रोड्यूस करना, बच्चों की सप्लाइ करना. और ये एंगल आए महिला एंव बाल विकास मंत्रालय की एक जांच में. इस मंत्रालय ने एक एक्सपर्ट कमिटी बनाकर जांच की. जांच के बाद कमिटी ने अनुशंसा की -
1 - सीबीआई को मानव अंगों की कालाबाजारी, चाइल्ड ट्रैफिकिंग जैसे क्राइम्स को देखना चाहिए
2 - नोएडा के सारे अस्पतालों में ऑर्गन ट्रांसप्लांट के रिकार्ड को जांचना चाहिए
3 - इतनी ज्यादा लाशें मिल चुकी हैं कि इसमें और भी लोग शामिल हो सकते हैं. चूंकि हत्या का जरिया और हत्या के कारण स्पष्ट नहीं हैं, इसलिए जांच का दायरा बढ़ाना चाहिए.
जांच का दायरा बढ़ाया गया. लेकिन सीबीआई को इन आरोपों को साबित करने के लिए एविडेंस नहीं मिले. जो भी बयान दिए गए थे वो सीबीआई अधिकारियों, पुलिस अधिकारियों और मजिस्ट्रेट के सामने दिए गए थे. इन बयानों को सबूतों से ट्रीट किया जाना था. लेकिन एकदम पक्के सबूत जो आरोपों को साबित कर दें, वो सामने नहीं आ पा रहे थे. मान लीजिए कि मैं कहूँ कि मैंने कोई कत्ल किया है, या कोई और कहे कि मैंने कोई कत्ल किया है, तो उसको साबित करना होगा कोर्ट में. और उसके लिए पक्के सबूत चाहिए. तो ऐसा नहीं हो रहा था, लिहाजा पंढेर के खिलाफ केस कमजोर पड़ता जा रहा था, जबकि कोली केस में फंस चुका था.
सीबीआई ने इस मामले में कुल 19 FIR दर्ज की थी. और दो चार्जशीट दायर की. एक मार्च 2007 में और एक अप्रैल 2007 में. दोनों चार्जशीट में सीबीआई ने कोली पर आरोप लगाए थे, पंढेर पर चार्ज नहीं लगाए गए थे. तत्कालीन सीबीआई प्रमुख अरुण कुमार ने कहा भी था कि पंढेर के खिलाफ कोई मजबूत केस नहीं बनता था. फिर भी कोर्ट नहीं मानी. दोनों पर केस चला. फैसले आने शुरू हुए
- फरवरी 2009 - स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने रिमपा हालदार की हत्या के लिए कोली को फांसी की सजा सुनाई.
- सितंबर 2009 - पंढेर को भी फांसी की सजा सुनाई गई
- लेकिन इसी साल इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पंढेर की सजा पर रोक लगा दी.
इसके बाद कोली और पंढेर को स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने एक के बाद एक केस में सजा सुनाई. कुछ केसों में सीबीआई कोर्ट से मौत का परवाना भी जारी हुआ, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आखिरी मौके पर ऑर्डर पर स्टे लगा दिया. इस केस में आखिरी सजा सुनाई गई साल 2017 में, जब एक और केस में सीबीआई कोर्ट ने दोनों आरोपियों को मौत की सजा सुना दी.
और अब आया है आज का ये जजमेंट. इस जजमेंट के सामने आने के बाद निठारी से विसुअल आए, कुछ पीड़ितों ने पंढेर की कोठी पर पत्थर चलाने शुरू कर दिए. फिर कुछ पीड़ित कैमरे पर आए, उन्होंने अपील की. पंढेर-कोली को जेल के अंदर ही रखा जाए.
आज की तारीख के पहले तक इनके बच्चों के हत्यारे कोली-पंढेर थे, अब वो नहीं हैं. तो इनके लिए हत्यारे कौन हैं? उनकी शिनाख्त कौन करेगा? कौन पकड़ेगा? इन पीड़ितों को न्याय कौन दिलाएगा? ये एक बड़ा सवाल है.