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कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर के साथ निहंग प्रमुख की तस्वीर का लखबीर सिंह हत्या से क्या कनेक्शन है?

आरोप है कि ये शख्स किसान आंदोलन को खत्म करने के सरकार के प्रयासों में शामिल है.

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निहंग संप्रदायों में से एक और कनाडा के ओंटारियो में स्थित एक सिख समूह के प्रमुख अमन सिंह का कहना है कि धरना खत्म करने के लिए उन्हें बीजेपी के एक नेता ने 10 लाख का ऑफर दिया था. (फोटो-ट्विटर)
बाबा अमन सिंह. एक निहंग संप्रदाय और कनाडा के ओंटारियो स्थित एक सिख समूह के प्रमुख. एक मीडिया रिपोर्ट में आशंका जताई गई है कि बाबा अमन सिंह किसान आंदोलन को खत्म करने के सरकार के प्रयासों का हिस्सा हो सकते हैं. इस आशंका की वजह बाबा अमन सिंह की कुछ तस्वीरें हैं, जिनमें वो केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, किसान कल्याण राज्यमंत्री कैलाश चौधरी और दूसरे BJP नेताओं के साथ नजर आ रहे हैं.
ये बातें ऐसे समय में निकल कर आई हैं जब हाल ही में सिंघु बॉर्डर पर किसान मोर्चा के मंच के पास लखबीर सिंह नाम के दलित व्यक्ति का शव पुलिस बैरिकेड से लटका मिला था. लखबीर सिंह की हत्या का आरोप कुछ निहंगों पर लगा है. और ऐसा दावा है कि ये निहंग बाबा अमन सिंह के समूह के हैं. केंद्रीय मंत्री के साथ उनकी तस्वीरें लखबीर सिंह हत्याकांड से काफी समय पहले की बताई जा रही हैं. अब इनके सामने के बाद काफी कुछ कहा जा रहा है. बात करेंगे कि इन तस्वीरों में कौन-कौन है और इन्हें लेकर कौन क्या कह रहा है. कब की है तस्वीर? The Tribune. पंजाब का चर्चित अंग्रेजी अखबार है. 19 अक्टूबर को दि ट्रिब्यून एक रिपोर्ट
पब्लिश की. इसमें लिखा कि बाबा अमन सिंह निहंग संप्रदायों में से एक और कनाडा के ओंटारियो में स्थित एक सिख समूह के प्रमुख हैं. अखबार के मुताबिक, किसान आंदोलन को समाप्त करने के लिए सरकार पर्दे के पीछे से जो प्रयास कर रही है, उनमें बाबा अमन सिंह की भूमिका हो सकती है. अखबार ने लिखा है कि इसी साल जुलाई के अंत में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर, कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी, भाजपा किसान सेल के राष्ट्रीय सचिव सुखमिंदरपाल सिंह ग्रेवाल, पंजाब पुलिस से बर्खास्त विवादित इंस्पेक्टर गुरमीत सिंह ‘पिंकी’ और कुछ अन्य लोगों ने दिल्ली में कैलाश चौधरी के बंगले पर मुलाकात की थी. बाबा का दावा- 10 लाख कैश का ऑफर मिला था अखबार में खबर छपने के बाद बाबा अमन सिंह ने अलग-अलग मीडिया हाउस को दिए इंटरव्यू में माना कि उन्होंने केंद्रीय कृषि मंत्री और अन्य नेताओं से मुलाकात की थी. उन्होंने ये दावा किया कि बीजेपी के एक नेता ने उन्हें सिंघु बॉर्डर पर धरना स्थल को खाली करने के लिए कुछ घोड़े और 10 लाख रुपये कैश देने की पेशकश की थी, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया. बाबा अमन सिंह ने ये भी कहा कि हालांकि उन्होंने पैसे नहीं लिए, लेकिन एक गुरुद्वारे में लगभग 1 लाख रुपये दिए गए थे. इसके अलावा निहंग प्रमुख का ये भी दावा है कि वो 'काले' कृषि कानूनों को वापस लेने के बाद ही धरना खत्म करेंगे. वायरल तस्वीर में कौन-कौन है? अब बात वायरल तस्वीर की. इसमें बाबा अमन सिंह के साथ केंद्रीय कृषि मंत्री मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी दिख रहे हैं. उनके अलावा लुधियाना के भाजपा किसान सेल के राष्ट्रीय सचिव सुखमिंदरपाल सिंह ग्रेवाल, पंजाब पुलिस से बर्खास्त किए जा चुके विवादित इंस्पेक्टर गुरमीत सिंह ‘पिंकी’ और कुछ अन्य लोग दिखाई दे रहे हैं. एक फोटो में नरेंद्र सिंह तोमर बाबा अमन सिंह को सिरोपा पहना रहे हैं. दूसरी फोटो में बाबा अमन सिंह डाइनिंग टेबल पर बैठकर केंद्रीय मंत्रियों और भाजपा नेताओं के साथ खाना खा रहे हैं. तीसरी फोटो में सोफे पर बैठे हैं.
Aman Singh Baba सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीर
किसने क्या कहा? अखबार के मुताबिक, सुखमिंदरपाल सिंह ग्रेवाल ने बताया,
पंजाब में सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने वाले कृषि आंदोलन का सौहार्दपूर्ण समाधान खोजने के लिए हमने बैठकें की हैं. ऐसी ही एक बैठक में बाबा अमन सिंह शामिल हुए थे. वो भी चाहते थे कि इस मुद्दे को सुलझाया जाए. ओंटारियो सिख और गुरुद्वारा परिषद इस प्रयास में हमारी मदद कर रहा है.
बैठक में अपनी मौजूदगी की पुष्टि करते हुए गुरमीत सिंह ‘पिंकी’ ने कहा,
ये सच है कि मैं बाबा अमन को जानता हूं. हम अगस्त में मंत्री के घर गए थे, लेकिन इसका उद्देश्य अलग था. मैं किसी निजी काम से गया था. निहंग संप्रदाय के मुखिया कृषि विधेयकों की बात कर रहे थे, लेकिन मेरे सामने उन्हें पैसे का कोई प्रस्ताव नहीं दिया गया था. मुझे नहीं पता कि उनके और तोमर के बीच क्या बातचीत हुई?
दी लल्लनटॉप ने गुरमीत सिंह से बात करने के लिए कई बार फोन लगाया लेकिन उनका फोन नहीं उठा.
उधर, बाबा अमन सिंह को लेकर हो रही चर्चा के बीच संयुक्त किसान मोर्चा ने ये ट्वीट किया,
निहंग प्रमुख बाबा अमन सिंह, जिनके समूह के सदस्यों को सिंघु बॉर्डर पर एक व्यक्ति की बर्बर हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, को भाजपा मंत्रियों के साथ बैठक में देखा गया.
एक और ट्वीट में संयुक्त किसान मोर्चा ने लिखा,
सिंघु बॉर्डर केस में नए तथ्यों के सामने आने से ये लग रहा है कि सरकार की बड़ी साजिश थी. साजिश इसलिए कि हमारा तीन कानून और MSP से ध्यान हटाया जाए. पर हम अपनी मांगों पर कायम हैं. कृषि कानून रद्द हों, MSP कानून बने.
वहीं 20 अक्टूबर को संयुक्त किसान मोर्चा ने बयान जारी कर कहा कि निहंग सिखों के एक समूह की केंद्रीय कृषि मंत्रियों से संदिग्ध तरीके से अन्य लोगों की उपस्थिति में मिलने और यहां तक ​​कि मोर्चा स्थलों को छोड़ने के लिए पैसे की पेशकश के बारे में और खबरें सामने आती जा रही हैं, ऐसी परिस्थिति में 15 अक्टूबर को सिंघू बॉर्डर पर हुई नृशंस हत्या की साजिश की व्यापक जांच की अपनी मांग दोहराना आवश्यक हो गया है. संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि हालांकि किसान आंदोलन की छवि खराब करने की कोशिश सफल नहीं हुई है, लेकिन भाजपा की करतूत उजागर करने के लिए इस पूरे प्रकरण के पीछे की सच्ची कहानी दुनिया के सामने लाना आवश्यक है.
वहीं, पंजाब के उप मुख्यमंत्री सुखजिंदर रंधावा ने कहा है कि निहंग नेता के साथ तोमर की तस्वीर ने लोगों के मन में संदेह पैदा किया है. उन्होंने बिना किसी का नाम लिए कहा कि वही निहंग नेता हत्या के मुख्य आरोपी का बचाव कर रहे थे. उन्होंने एक बयान में कहा,
निहंग नेताओं में से एक के भारत सरकार, खासकर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के संपर्क में होने के हालिया खुलासे के मद्देनजर, लिंचिंग की घटना ने अब पूरी तरह से अलग मोड़ ले लिया है. ऐसा प्रतीत होता है कि किसानों के आंदोलन को बदनाम करने की गहरी साजिश है.
उन्होंने कहा कि तरनतारन जिले के चीमा कलां गांव के रहने वाले दलित पीड़ित लखबीर सिंह बेहद गरीब थे. हमें ये पता लगाने की जरूरत है कि किसने उन्हें सिंघु बॉर्डर पर फुसलाया और उनकी यात्रा के लिए पैसे दिए, क्योंकि वो अपना भोजन भी नहीं खरीद सकते थे. डिप्टी सीएम ने कहा कि उन्होंने स्थानीय प्रशासन को ये पता लगाने का निर्देश दिया है कि किस परिस्थिति में पीड़ित लखबीर को उसके घर से सिंघु बॉर्डर पर ले जाया गया. पंजाब के उप मुख्यमंत्री ने वायरल तस्वीर पर भी बयान दिया. कहा,
उपलब्ध फोटोग्राफिक सबूतों के मद्देनज़र निहंग नेता को ये भी बताना होगा कि वो किस अथॉरिटी से केंद्रीय कृषि मंत्री एनएस तोमर से मिले थे और क्या तीनों काले क़ानूनों के ख़िलाफ़ अभियान की अगुवाई करने वाले किसान संगठनों ने उन्हें ऐसा करने के लिए कहा था.
पंजाब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुनील जाखड़ ने भी सवाल उठाए. उन्होंने ट्वीट किया,
किसान आंदोलन के मुद्दे को हल करने के लिए कुछ 'भयावह योजना' तैयार करने के बजाय एक आसान तरीक़ा है. भारत सरकार को मेरी सलाह, अगर मैं दे सकूं तो, 'ब्लैक फार्म लॉ' को वापस ले ले.
इस मामले में अब तक ना तो केंद्रीय मंत्रियों, सरकार और ना ही बीजेपी की ओर सो कोई बयान आया है. दी लल्लनटॉप ने अमन सिंह से बात करने की कोशिश की. फोन पर हमने जब इस बारे में पूछना चाहा तो उन्होंने फोन काट दिया.
शिरोमणि अकाली दल और आम आदमी पार्टी ने भी सिंघु बॉर्डर पर हुई हत्या की जांच की मांग की है. ताकि सच सामने आए. वहीं पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने साफ किया है कि इस घटना के पीछे कोई साजिश नहीं बल्कि निहंग सिखों के बीच देखी गई नशे की आदत जिम्मेदार है. कैप्टन अमरिंदर सिंह के मुताबिक इस हत्या को नशे में धुत होकर अंजाम दिया गया है.
सिंघु बॉर्डर पर 15 अक्टूबर को लखबीर सिंह की हत्या कर दी गई थी. तरनतारन जिले के चीमा गांव के रहने वाले लखबीर का पहले एक हाथ और पांव तलवार से काटा गया और मरने के बाद उसकी बॉडी संयुक्त किसान मोर्चा के मुख्य मंच से कुछ दूरी पर सड़क किनारे बैरिकेड से टांग दी गई. मौके पर मौजूद निहंगों ने दावा किया था कि लखबीर ने धार्मिक ग्रंथ की बेअदबी की थी, जिसकी सजा उसे दी गई. इस मामले में अब तक चार निहंग सरबजीत सिंह, नारायण सिंह, भगवंत सिंह और गोविंदप्रीत सिंह को गिरफ्तार किया जा चुका है.

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