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इटावा का सीन है ये. दोपहर में जो दौड़ लगा रहे हैं इनमें एक सबइंस्पेक्टर है. बाकी पांच कॉन्सटेबल. ये शहर की QRT टीम है. माने क्विक रिएक्शन. अफसर पहुंचीं तो टीम के दो जन गायब थे. बाकी गाड़ी में बैठे आराम कर रहे थे. अफसर बिगड़ गईं. सजा का ऐलान कर दिया.
ये हैं लखनऊ की नई SSP मंजिल सैनी. अभी दो दिन पहले ज्वाइनिंग हुई है. थोड़ी उठापटक भी हो गई थी. इनकी पोस्टिंग इससे पहले इटावा में थी. लखनऊ CM ऑफिस से ट्वीट आया कि इनकी लखनऊ बदली हो गई. फिर ट्वीट डिलीट हो गया. फिर आधी रात में क्लियर हुआ कि खबर सच्ची है. अब देखो कि अफसरों के ट्रांसफर, बहाली के मामले कितने ऊंचे दर्जे पर डिस्कस होते हैं.
किसी फिल्म का डायलॉग था न. हम जहां आते हैं गर्मी बढ़ जाती है. फिल्म का तो पता नहीं. लेकिन मंजिल जहां पहुंचती हैं वहां गर्मी बरसात सब बढ़ जाती है. गर्मी इतनी कि पसीना बरसने लगता है क्रिमिनल्स का. लेकिन छोड़ो. ऐसी तुलनाओं में वजन तब आता है जब थोड़ा फिल्मी हो. तो सुनो. लेडी सिंघम, लेडी दबंग और जय गंगाजल वाली प्रियंका चोपड़ा कहते हैं लोग इनको.
पारिवारिक और सर्विस बैकग्राउंड
19 सितंबर सन 1975 को दिल्ली में जन्मी मंजिल. पापा पुलिस में थे. दिल्ली कॉलेज ऑफ इकॉनमिक्स से पढ़ाई की. 2005 में IPS बन गईं. पहली पोस्टिंग महोबा में हुई. हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले में इनकी ससुराल है. पति का नाम जसपाल देहल. वो बिजनेसमैन हैं.
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मुख्यमंत्री अखिलेश यादव इनके काम से काफी खुश हैं. इसीलिए इनकी पोस्टिंग लखनऊ कराई. इसके पहले यहां चार साल में सात IPS बदले जा चुके हैं. क्रिमिनल्स का खौफ इतना है. कि ज्यादा दिन कोई टिक नहीं पाता. या तो खुद बदल जाता है. या उसकी बदली हो जाती है. इनकी पोस्टिंग के टाइम भी नेताओं में दो फाड़ हो गया था. इटावा से सपा का क्या रिश्ता है वो जानते ही हो. किसी नेता का कनेक्शन किसी गुंडे से रहा होगा तो इनसे पक्का दुश्मनी हो गई होगी.
इटावा में जैसे सर्विस की वो तो पता चल ही गया होगा. बहुत सख्त मिजाज हैं. मुजरिमों से ज्यादा थानेदार डरे रहते हैं. जहां कुछ गड़बड़ी मिली वहां खटिया खड़ी कर देती हैं. लखनऊ आते ही अफसरों और मातहतों की पिड़ी बुला रखी है. साफ कह दिया है कि अब कायदे से होगी ड्यूटी. पुलिस की इमेज जिम्मेदारी वाली बननी चाहिए. रोज गश्त होगी. रात हो या दिन. महिला सिपाही भी बाइक पर गश्त करेंगी.
मुजफ्फरनगर दंगा इनके हटाए जाने की वजह से हुआ था
2013 में यूपी का बुरा वक्त आ गया था. जब मुजफ्फरनगर में हिंदू मुस्लिम दंगे भड़क गए थे. लोग कहते हैं इसकी एक वजह मंजिल सैनी का ट्रांसफर था. वो फैसला गलत और जल्दी में लिया गया था.कवाल गांव. जहां से दंगा शुरू हुआ था. उस दौरान मंजिल वहां की SSP थीं. दंगे भड़कते ही उनको वहां से हटा दिया गया. फिर किसके बस का था कि गुंडों को ठिकाने लगाए. सब अपनी अपनी ढपली पर अपना राग रेंके थे.

साउथ फिल्म इंडस्ट्री वाले इस दंगे पर एक फिल्म बना रहे हैं. टाइटल है मुजफ्फरनगर 2013. उस फिल्म में साउथ की स्टार ऐश्वर्या देवन ने मंजिल सैनी का किरदार निभाया है.