The Lallantop

सूरज के डरेवर का विष्णु के वाहन से क्या था कनेक्शन?

विनता ने मारे हड़बड़ी के एक अण्डा हाथ से फोड़ दिया. उसमें से जो बच्चा निकला वो आधा ही रह गया.ऊपर का हिस्सा तो ठीक था लेकिन आधा शरीर किसी काम का नहीं.

Advertisement
post-main-image
Source - Youtube Screengrab
सूर्य के सारथि का नाम अरुण है.ज्यादा समझना चाहें तो अरुण कश्यप ऋषि का बेटा और दक्ष प्रजापति का नाती है. अरुण के नाना दक्ष की दो बेटियां थी. कद्रू और विनता. दोनों बहनों की शादी हुई कश्यप ऋषि से. एक दिन कश्यप ऋषि ने अपनी दोनों बीवियों से खुश होकर एक-एक वरदान मांग लेने को कहा. कद्रू ने मांगा कि उसके एक हजार हृष्ट-पुष्ट नाग बेटे हों. कद्रू की बहन विनता से भी वरदान मांगने को कहा. कद्रू और विनता भले सगी बहनें थीं. शादी के बाद तो सौत हो गईं. और सौत हुईं तो सौतिया डाह भी होगा. विनता ने कहा मुझे दो ही बेटे दीजिए, लेकिन उनके आगे कद्रू के हजार बेटे उन्नीस ही पडें. कश्यप ने तथास्तु कहा और खुद वन निकल गए. कद्रू और विनता ने सही वक़्त पर हजार और दो अण्डे दिए. पांच सौ साल बाद कद्रू के अण्डों से हजार नाग निकल आए पर विनता के अण्डे वैसे ही रह गए. विनता ने मारे हड़बड़ी के एक अण्डा हाथ से फोड़ दिया. उसमें से जो बच्चा निकला वो आधा ही रह गया. ऊपर का हिस्सा तो ठीक था लेकिन आधा शरीर किसी काम का नहीं. बच्चे ने अण्डे से निकल कर अपनी ये हालत देखी. अम्मा को खूब कोसा और कहा. जिस बहन से इतनी जलन रखती है उसी की नौकरानी बनकर रह जाएगी. और दूसरा अण्डा भी किसी खुन्नस में आकर न फोड़ दिया तो उससे जो मेरा भाई निकलेगा वही पांच सौ साल बाद तेरा कल्याण करेगा. ऐसा कहकर वो बच्चा उड़ गया आसमान में. बन गया सूर्य का सारथि. बाद में दूसरे अण्डे से जो बच्चा निकला वो गरुड़ हुआ और आगे जाकर भगवान विष्णु का वाहन हुआ.

Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement