
दिव्य प्रकाश दुबे
फेसबुक पर आप होंगे. तो आए दिन किसी साथी सखी की किसी पोस्ट के कमेंट बॉक्स में गालियां लिखी जरूर देखी होंगी. कुछ लोग होते हैं न. जिनके पास जब शब्द नहीं बचते तो वो गाली दे देते हैं. ऐसे ही लोगों के नाम, इस बार की संडे वाली चिट्ठी है. दिव्य प्रकाश दुबे ने गाली देने वालों के नाम चिट्ठी लिख डाली है. आदित्य धीमन ने हाल ही में एक लड़की को फेसबुक पर गाली दी थी. उस लड़की ने दिव्य को स्क्रीनशॉट भेजकर आदित्य को समझाने के लिए कहा. तो बस दिव्य ने आदित्य और उस जैसे तमाम लोगों को समझाने के लिए ये चिट्ठी लिखी है. आप भी पढ़िए. सोचिए समझिए और इस चिट्ठी की बातों से इत्तेफाक रखते हों, तो शेयर कीजिए.
डियर आदित्य धीमन,
और उन तमाम लोगों के नाम जो सोशल नेटवर्क पर लड़कियों को ‘पब्लिकली’ मां, बहन की गाली देते हैं. आपको ये पढ़ने से पहले मैं अपने बारे में ईमानदारी से बता दूं. ऐसा नहीं है कि मैंने कभी ऐसा किसी लड़की के बारे में अपने कॉलेज या ऑफिस में बुरा भला नहीं सोचा या गाली नहीं दी. ये लड़ाई मेरी ‘खुद’ से भी है, हां लेकिन मैंने आज तक किसी को पब्लिकली गाली नहीं दी. कोई कितना भी खराब हो इतनी डिगनिटी हर किसी का बेसिक हक़ है और वो मेनटेन होनी ही चाहिए.
आदित्य धीमन तुमको कुछ दिन पहले अपनी एक फेसबुक फ्रेंड की टाइमलाइन पर गाली देते हुए देखा. तुम्हारे प्रोफ़ाइल से पता चल रहा था कि तुम UPSC की तैयारी कर रहे हो. मैंने बड़ा सोचा कि आखिरी तुमसे बोलूं क्या? क्या तुमको समझाया जा सकता है. तुम्हें जवाब क्या दूं. वहां बाकी लोगों के कमेंट देखे, जिन्होंने तुम्हारे हाथ पैर तोड़ने की बात लिख रखी थी. कुछ एक लोग तुमको दुबारा गाली भी दे रहे थे.
कभी कभी मैं समझ नहीं पाता, आज तक लड़कियों ने बाप, भाई और बेटे की बेशर्म बेहूदा गालियां ईज़ाद क्यों नहीं की हैं. जब भी कोई उनको गाली दे वो पलट के जवाब दे दें और बात बराबर हो जाए.पहले मैंने सोचा था कि तुमको और तुम्हारी मां बहन को याद करते हुए गाली लिख दूं. फिर लगा कि तुम अभी बंदर से इंसान बनने वाली सड़क में बहुत पीछे चल रहे हो, अभी तुम इस लायक हुए ही नहीं कि तुमको कभी कोई मां, बहन या बाप, भाई की कोई भी गाली दे तो तुमको उसके मतलब भी समझ सको.
उम्मीद करता हूं तुम जीवन में अच्छा करोगे. अच्छा कमाओगे, घर बनाओगे, घर बसाओगे, बच्चे पैदा करोगे. मैं इतना अच्छा तो हूं नहीं कि सब अच्छा अच्छा ही चाहूं. बस मैं इतना चाहता हूं कि जब भी तुम्हारा बच्चा हो तो वो तुमसे पहला शब्द ‘मां’ बोले और दूसरा शब्द कोई सस्ती सी ‘मां की गाली’ बोले. उस दिन तुम थोड़े से इंसान बन पाओ शायद.
दिव्य प्रकाश दुबे
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