
पाकिस्तान में कई बार नए कानून बनाकर और सुधार करके महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों को कम करने की बात होती है. मगर असल में ज्यादा बदलाव नहीं होता. एक तरह से देखा जाए, तो कानून खुद भी महिलाओं के प्रति असंवेदनशील है.
ये बेहूदा फैसला पंचायत ने दिया और ये वाहियात, वहशी फैसला दिया किसने? गांव की पंचायत ने. वहां इसे जिरगा भी कहते हैं. वहां बड़े-बूढ़े धूप में बाल सफेद करके बैठते हैं और बेहूदे फैसले देते हैं. एक अच्छी बात ये हुई कि पुलिस ने कार्रवाई की. आठ लोगों को गिरफ्तार किया. हालांकि ज्यादातर ऐसे मामलों में तो लोग बड़ी आसानी से छूट जाते हैं. क्या करें? औरतों के साथ हुआ गलत किसी को गलत ही नहीं लगता.
लड़की के भाई का अफेयर था, इसी का बदला लिया गया हुआ कुछ यूं था कि एक लड़का था. शादीशुदा. उसे किसी औरत से इश्क था. इस बात की खबर औरों को भी लग गई. उस औरत के परिवार को भी मालूम चला. दो लोगों के बीच का मसला दो परिवारों के बीच का मसला बन गया. औरत का परिवार शिकायत लेकर पंचायत के पास पहुंचा. पंचायत ने फैसला सुनाया. बात इस पर ठहरी कि उस लड़के ने उस औरत के साथ प्यार-मुहब्बत करके औरत के परिवार का नाम खराब किया. सो इसका बदला लड़के की बहन से लिया जाए.

अंतरराष्ट्रीय न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने एक सर्वे कराया था. उसमें अफगानिस्तान को महिलाओं के लिए सबसे खतरनाक देश बताया गया था. इसके बाद नंबर था कॉन्गो, पाकिस्तान, भारत और सोमालिया.
लड़की को नंगा करके पूरे गांव में उसकी नुमाइश की ये घटना खैबर पख्तूख्वा की है. वहीं पर है ये गांव. डेरा इस्लामी खाम. पंचायत ने तो खुला हाथ दे ही दिया था. अब बदला लेने वालों को बदला लेने का मिशन पूरा करना था. सुबह-सबेरे की बात है. वो बेचारी लड़की पानी भरने गई थी. तभी कुछ लोग आए. उस परिवार के, जिसको बदला लेने के लिए पंचायत ने खुला हाथ दिया था. उन्होंने लड़की के कपड़े उतारे. उसे नंगा किया. घसीटा. फिर जबरन उसे अपने पांवों पर खड़ा होने के लिए मजबूर किया. इसके बाद करीब एक घंटे तक यूं ही उसे पूरे गांव में घुमाते रहे.
अपनी तरह का इकलौता मामला नहीं है ये पाकिस्तान में ऐसा खूब होता है. लोग देश के कानून को ठेंगा दिखा देते हैं. इस तरह की बर्बर और आदिम पंचायतों पर ज्यादा आस्था है उन्हें. हर साल सैकड़ों महिलाएं बलि का बकरा बनती हैं. बहुत बुरा हश्र होता है उनका. परिवार की, समाज की, देश की इज्जत का गट्ठर बेचारियों के सिर जबरन लाद दिया जाता है. सैकड़ों औरतें और लड़कियां ऑनर किलिंग के हत्थे चढ़ जाती हैं. कबाइली इलाकों का हाल और बुरा है. वहां और ज्यादा 'अंधेर नगरी' है.

ये कैसी सोच है कि अगर एक आदमी और औरत का अफेयर है, तो दोषी औरत को माना जाएगा. आदमी साफ बरी हो जाएगा. पाकिस्तान की जो कबीलाई पंचायत है, उसकी सोच ऐसी ही है.
भाई के किए की सजा मिली बहन को, पंचायत ने उसका गैंगरेप करवाया ये जो पंचायतें (जिरगा) हैं, वो गैरकानूनी हैं. कहने को बस. बाकी उनका पूरा राज चलता है. गांवों में तो खूब चलन है इनका. लोग पुलिस के पास कम जाते हैं. इन पर ज्यादा भरोसा करते हैं. इन इलाकों में ज्यादातर लोगों को पुलिस और कानून पर रत्तीभर भी भरोसा नहीं. वैसे, कानून ने कभी उनका भरोसा जीतने की कोई खास कोशिश भी नहीं की. अभी कुछ महीने पहले पाकिस्तान में एक और मामला खूब उछला था. वहां एक जगह है. मुल्तान. जहां वीरेंद्र सहवाग ने तिहरा शतक बनाया था. वहीं की बात है. एक लड़का था. शायद उसने किसी लड़की का बलात्कार किया. पंचायत बैठी. तय किया गया कि लड़के को गुनाह की सजा दी जाए. सजा क्या थी? कि लड़के की 17 साल की बहन से बदला लिया जाए. उसका बलात्कार कराया जाए.

अगर एक आदमी और औरत का अफेयर है और उनकी आपस में शादी नहीं हुई, तो जिरगा औरत को दोषी मानेगा. उसे गोली से मार देने की सजा भी सुनाई जा सकती है.
लड़कियों को इंसान भी समझते हैं या नहीं मुझे शुबहा है. ये लोग लड़कियों को इंसान भी समझते हैं या नहीं. किसी से झगड़ा हुआ, तो मुआवजे में घर की औरत दे दो. कभी बेच दो. कभी सरे बाजार उसकी बेज्जती करो. मार डालो. बलात्कार करो. बलात्कार कराओ. जिंदा रहने दिया, तो जमकर चूसो उसको. जितना हो सके, उतना काम निकालो. उसका शोषण करो. औरतों के साथ क्या सलूक होता है, ये जानने के लिए कुछ घटनाओं पर सरसरी नजर फेर लीजिए. आइडिया मिल जाएगा. और हां, ये तो बहुत कम हैं गिनती में. असल आंकड़े तो बहुत ज्यादा हैं. ज्यादातर तो रिपोर्ट भी नहीं होते. चुपचाप सह लिए जाते हैं.

मुजफ्फराबाद के इसी घर में भाई के किए का बदला लेने के लिए उसकी बहन के साथ गैंगरेप किया गया. सबसे ताज्जुब की बात ये है कि पाकिस्तान में इस तरह के एक-दो मामले नहीं होते, बल्कि आए दिन ऐसी वारदातें होती हैं.
ये घटनाएं 'समंदर की कुछ बूंदें' हैं. इन्हें सैंपल समझ लीजिए.
- मुल्तान. साल 2002. मुख्तारन माई वाला केस. शायद आप जानते हों. जिरगा ने फैसला सुनाया. एक मुआमला था. उसको सुलझाने के लिए तय किया गया कि मुख्तारन का सामूहिक बलात्कार किया जाए. फिर मुख्तारन को नंगा करके पूरे गांव में घुमाया जाए. उसकी नुमाइश लगाई जाए. मुख्तारन ने सब झेला. फिर बड़ी हिम्मत की और केस कर दिया. 14 लोगों के खिलाफ. एक अदालत ने छह को दोषी पाया. उन्हें सजा-ए-मौत दी. फिर लाहौर हाई कोर्ट ने पांच को रिहा कर दिया और एक को उम्रकैद दी. मुख्तारन का मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा. मगर देश की सबसे बड़ी अस्पताल ने हाई कोर्ट के फैसले को ही बरकरार रखा.
- दक्षिणी पाकिस्तान. साल 2011. कोहर जुनोबी गांव. 28 साल की असमा फिरदौस का गांव. कुछ लोग रात के वक्त असमा के घर में घुसे. उनकी छह उंगलियां काट डालीं. हाथ काट दिया. होठ काट दिए. नाक काट दी. फिर असमा को उसी हालत में घर के अंदर बंद करके चले गए. असमा का गुनाह? उनके पति का अपने रिश्तेदारों से झगड़ा चल रहा था. रिश्तेदार बदला लेना चाहते थे. पति का बदला पत्नी से लिया गया.
- जनवरी 2014. एक आदमी का अपने ही गांव की एक औरत के साथ अफेयर था. जब बात खुली, तो दोनों परिवारों के बीच गर्मागर्मी हुई. मामला पंचायत के पास पहुंचा. पंचायत ने फैसला सुनाया. कि आदमी ने गलत किया. गलत किया, तो सजा बनती है. उस आदमी की एक बहन थी. 45 बरस की. विधवा. पंचायत ने फैसला सुनाया. बदला उस बेचारी से लिया जाए. पंचायत के फरमान पर उस निर्दोष का गैंगरेप किया गया. तीन लोगों ने बारी-बारी से कई बार उसका बलात्कार किया.
- मई 2017. पाकिस्तान का पंजाब प्रांत. यहां एक गांव है. राजनपुर. एक 19 साल की लड़की न्याय मांगने पंचायत पहुंची. उसने बताया कि किस तरह उसके रिश्ते के एक भाई ने बंदूक के जोर पर उसका बलात्कार किया. पंचायत ने उल्टे लड़की को ही लानत दी. कहा, तूने ही उसको रिझाया होगा. पंचायत ने लड़की के लिए सजा मुकर्रर कर दी. पत्थर मार-मारकर उसकी जान ले ली गई. जिस शख्स ने लड़की का रेप किया, उसका बाप भी इस पंचायत में शामिल था.
- अगस्त 2017. पाकिस्तान का मुजफ्फराबाद शहर. एक आदमी ने एक लड़की का रेप किया. पंचायत में उस आदमी के गुनाह की सजा तय हुई. उसकी 17 साल की बहन का बलात्कार. अच्छा, इस केस की और डिटेल सुनिए. जो दोषी था, उसकी तीन बहनें थीं. दो बड़ी, एक छोटी. तो पंचायत ने पहले उसकी बड़ी बहनों को बुलाया. सजा के तौर पर उनका बलात्कार करवाने के लिए. मगर फिर तय किया गया कि सबसे छोटी बहन का बलात्कार किया जाए.
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