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कोठे वाली 'मैडम': मैंने 5 हजार शादियां टूटने से बचाई हैं, अपने वेश्या होने पर गर्व है

एक वेश्या के जीवन का वो पहलू, जो दिखाई नहीं पड़ता.

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फोटो - thelallantop
वेश्यावृत्ति को हमारे देश और समाज में पैसे कमाने का सबसे बुरा तरीका माना जाता है. किसी लड़की के 'चरित्र' पर सवाल उठाना हो तो उसे वेश्या कह देते हैं. जैसे वेश्या नैतिकता की सबसे आखिरी सीढ़ी हो. इंसान उससे नीचे नहीं गिर सकता. वजह जाहिर है, वो पैसे लेकर सेक्स करती हैं. और सेक्स हमारे लिए सबसे बुरी चीज है.
वेश्यावृत्ति के इसी नैतिक स्तर की वजह से हम उसे लीगल नहीं कर पाते. कई बड़े-बड़े, तथाकथित प्रोग्रेसिव देश भी वेश्यावृत्ति को लीगल नहीं कर पाए हैं. क्योंकि ये बहस बहुत लंबी है. जहां एक ओर वेश्यावृत्ति को लीगल करने से वेश्याओं के अधिकारों का हनन रुकने की बात होती है, दूसरी ओर ये भी डर है कि इसके लीगल होने पर औरतों और बच्चियों को लोग जबरन वेश्यावृत्ति में धकेलने लगेंगे.
इंडिया में हम किसी वेश्या के बारे में सुनते हैं तो उनके काम की दो ही वजहें निकालते हैं. पहली ये कि उन्हें ऐयाशी की इतनी लत है कि वो जल्दी पैसे कमाना चाहती हैं. दूसरी ये कि उनका अपहरण कर उन्हें बेच दिया गया होगा. कोई विकल्प नहीं होने के कारण वो ये काम करती हैं.
मगर हर बार ये सच नहीं होता. वेश्यावृत्ति किसी भी औरत की चॉइस हो सकती है. सेक्स की सेवा देना हर वेश्या की मजबूरी हो, ये जरूरी नहीं. हर वेश्या पीड़ित और प्रताड़ित हो, ये भी सच नहीं. मसलन, 68 साल की 'मैडम' विवियन वॉल्डेन. जिन्होंने सेक्स इंडस्ट्री में अपनी पूरी उम्र बिता दी. 17 की उम्र में विवियन ने अपनी अच्छी-खासी नौकरी छोड़कर स्ट्रिप-क्लब ज्वाइन किया. पहले स्ट्रिपर (कपड़े उतारते हुए नाचने वाली) बनीं, फिर फुल टाइम वेश्या बन गईं.
विवियन के पास कोई बुरी यादें नहीं हैं. बल्कि उन्हें अपने काम पर गर्व है.
यहूदी परिवार में पैदा हुईं विवियन की मां चाहती थीं की उनकी बेटी एक एक्ट्रेस बने. मगर विवियन 9-5 बजे की नौकरी कर रही थीं. एक दिन ऑफिस में लंच ब्रेक के दौरान वो दोस्तों के साथ स्ट्रिप क्लब में गईं स्ट्रिपर्स को देखकर उन्हें लगा कि वो ये काम करना चाहती हैं. उनको लगा इस तरह नाचना ग्लैमरस काम है. वो तुरंत मैनेजर के पास गईं और कहा कि उन्हें ये नौकरी चाहिए. मैनेजर झट से मान गया और विवियन की नौकरी पक्की हो गई. कुछ साल बाद उन्होंने वेश्यावृत्ति को साइड बिजनेस के तौर पर शुरू कर दिया.
विवियन ने डेली मेल से बात करते हुए कहा:
'जो मौका मुझे वेश्यावृत्ति ने दिया, वो कोई और काम दे ही नहीं सकता था. इन क्लब्स में वेश्यावृत्ति करने के लिए अलग तरह का टैलेंट होना चाहिए. आपको तबतक इंतजार करना पड़ता है जबतक अगला शराब के नशे में धुत न हो जाए. एक बार वो नशे में हों, आप उनके पास जाकर अपनी सेटिंग कर सकते हैं. ये आपका प्राइवेट बिजनेस होता है.' 
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विवियन इस बात की मिसाल हैं कि जिस तरह हम अपने ऑफिस या बिजनेस को कर्मभूमि मानकर पूरी ईमानदारी से काम करते हैं, वैसे ही वेश्यावृत्ति भी की जा सकती है. इतना ही नहीं, अपने काम में मजे भी लिए जा सकते हैं:
'वेश्या की तरह काम करना मुझे एक तरह की ताकत से भर देता था. क्योंकि ये काम ऐसा है कि आप क्लाइंट को संतुष्ट कर देते हैं. संतुष्टि पाकर क्लाइंट आपकी इज्जत करता है. पूजता है आपको. और पैसे देकर वो निकल सकता है. उसे वापस नहीं आना पड़ता. कोई जिम्मेदारी नहीं निभानी पड़ती.'

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जब विवियन स्ट्रिप क्लब में काम करती थीं, उनकी मुलाकात बिली से हुई. बिली प्रोफेशनल फुटबॉलर थे. वो विवियन से बेहद प्रेम करते थे. उन्होंने खुद क्लब खोले और विवियन को उन्हें चलाने का जिम्मा दिया. वो उस वक़्त विवियन से ये भी कहते थे कि अगर वो वेश्या होतीं, तो दुनिया की सबसे अच्छी वेश्या बन सकती हैं.
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'हर तरह के मर्द आते थे, वर्जिन और शादीशुदा, दोनों. बहुत से जाने माने, फेमस लोग भी आते थे. मगर उन्हें कभी असुरक्षित महसूस नहीं हुआ. उन्हें मालूम था कि उनका राज़ यहां सुरक्षित है. कि मैं उनकी कहानी अखबारों को नहीं बेचूंगी.'

वेश्यावृत्ति और कोठा

फिर 1995 में, यानी 22 साल पहले उन्होंने अपना कोठा खोला. ये कोठा दो वजहों से नायाब था. अव्वल, उस वक़्त कोई भी कोठा मैच्योर, यानी बड़ी उम्र की वेश्याओं को नौकरी नहीं दे रहा था. विवियन ने 18 साल से लेकर 40 साल तक की औरतों को नौकरी दी. यहां हर तरह और कई देशों से आई लड़कियां मौजूद थीं.
दूसरा, यहां कस्टमर 'मैडम' यानी कोठे की मालकिन को पैसे नहीं देते थे. बल्कि सीधे वेश्याओं को पेमेंट करते थे. इससे वेश्याओं की मेहनत कि कमाई उनकी अपनी होती थी. एक तय किराया था, जो हर वेश्या को 'मैडम' यानी विवियन को हर महीने देना पड़ता था. जबतक वो किराया देती रहें, विवियन को इस बात से मतलब नहीं होता था कि वे कितना कमा रही हैं.
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विवियन हर दिन एक वेश्या से 50 से 100 पाउंड, यानी 4 से 8 हजार रुपये किराया ले लेती थीं. विवियन के मुताबिक़ एक दिन में लगभग 100 पुरुष उनके पास सेक्स की तलब से आते थे.

छापा और कोठाबंदी

तकरीबन 8 साल पहले विवियन का सफल करियर खत्म हो गया. क्योंकि उनके कोठे पर छापा पड़ा और उन्हें जेल भेज दिया गया. कोर्ट में विवियन ने अपना 'गुनाह' कबूला और उन्हें 6 महीने की कैद हुई. साल भर खाली बैठना पड़ा और के घंटों की सोशल सर्विस करनी पड़ी. जिसके बाद विवियन ने तय किया कि वो अब कोठा नहीं चलाएंगी.
'वेश्यावृत्ति जरूरी है. मैंने कई संस्कारी परिवार बचाए हैं. 5000 शादियां टूटने से रोकी हैं. क्योंकि हमारे कोठे पर वो लोग भी आते थे जो शारीरिक रूप से पोटेंट नहीं होते थे. उनकी पत्नियां उनकी सेवा तो कर लेती थीं. पर सेक्स नहीं दे पाती थीं. हम उन्हें भी भरपूर सुख देते थे.'
और इसलिए फिलहाल विवियन वेश्यावृत्ति को लीगल करने की लड़ाई कर रही हैं. क्योंकि उनके मुताबिक़ वेश्यावृत्ति एक सुंदर पेशा है. जिसे बढ़ावा मिलना चाहिए.

(सभी तस्वीरें डेली मेल के सौजन्य से.)

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