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एक्टर शरत सक्सेना की कहानी, जिन्होंने 71 साल की उम्र में ज़बरदस्त बॉडी बनाकर सबको चौंका दिया

हीरो बनने आए शरत सक्सेना कैसे गुंडे का चमचा बनने पर मजबूर हुए?

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पहली तस्वीर में युवा दिनों में शरत सक्सेना. दूसरी तस्वीर में अधेड़ उम्र में पहलवानी अखाड़े में बैठे शरत जी. तीसरी तस्वीर हाल ही के दिनों में ली गई है.
ये तस्वीर देखिए.
71 वर्षीय शरत सक्सेना.
71 वर्षीय शरत सक्सेना.


अगर आप सोशलमीडिया पर एक्टिव हैं तो ये तस्वीर ज़रूर आपकी आंखों के आगे से अब तक गुज़र चुकी होगी. आपमें से बहुतों को इनका नाम पता ही होगा. शरत सक्सेना है. 'मिस्टर इंडिया', 'बजरंगी भाईजान' जैसी बहुत सी फ़िल्मों में आपने इन्हें देखा है. इनकी उम्र 71 साल है. कुछ दिनों से इंटरनेट पर 71 साल की उम्र में भयंकर फिटनेस का नमूना दे रहे शरत सक्सेना जी की ये तस्वीर वायरल है. उम्र के सातवें दशक में ऐसी फिज़ीक देख लोग हैरान हैं. फ़िटनेस एक्सपर्टस ने तो 'शरत जी की  बॉडी का क्या है राज़' टाइप शो भी बना लिए हैं.
सिर्फ ये तस्वीर ही नहीं, कुछ वक़्त से मीडिया में शरत जी के बयान भी सुर्खियां बना रहे हैं. रीसेंटली शरत जी ने कहा था कि आजकल बड़े उम्र के करैक्टर भी अमिताभ बच्चन को ध्यान में रख कर लिखे जाते हैं. हमारे जैसों के लिए काम नहीं बचता. हाल ही में 'शेरनी' फ़िल्म में भी शरत जी द्वारा निभाए पिंटू भैया के करैक्टर को काफ़ी पसंद किया गया था.
तकरीबन 300 से ज्यादा फिल्मों में काम कर चुके शरत सक्सेना का जन्म मध्यप्रदेश के सतना में हुआ था. बढ़िया शिक्षा हो पाए इसलिए कम उम्र में ही परिवार भोपाल आ कर बस गया. शुरूआती स्कूलिंग वहीं हुई. टेंथ के बाद शरत जी ने आगे की पढ़ाई जबलपुर में की. जबलपुर से 25 साल की उम्र में हीरो बनने का ख्वाब लिए मुंबई आने वाले शरत सक्सेना को क्यों विलन के चमचे के किरदार में सीमित कर दिया गया? क्या है शरत सक्सेना की पूरी कहानी, आइये जानते हैं. #हीरो मटेरियल टीन एज में शरत जब शीशे में अपने आप को देखते थे, तो उन्हें  'हीरो मटेरियल' दिखता था. दुनिया के हर एक्टर की तरह वो भी हीरो ही बनना चाहते थे. इसलिए फ़िल्म इंस्टिट्यूट में दाखिला लेने का तय किया. अब फैज़ल खान हो चाहे, शरत सक्सेना 'परमिशन' तो लेनी पड़ती है. पिताजी से फ़िल्म स्कूल जाने की परमीशन मांगी. एज़ एक्सपेक्टेड उन्होंने फटकारते हुए कहा कि चुपचाप इंजीनियरिंग करो. बेचारे क्या करते. इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला ले लिया. डिग्री पूरी कर ली. लेकिन एक्टिंग का कीड़ा ना सिर्फ अब तक ज़िंदा था बल्कि कुलबुलाकर और बड़ा हो गया था. तो एक बार शरत जी फ़िर पहुंच गए पिताजी के पास. इस बार पिताजी बरसे नहीं. उन्होंने सोचा डिग्री तो हो ही गई है. वहां कुछ नहीं भी हुआ तो इंजीनियरिंग की नौकरी तो मिल ही जाएगी. ये सोच कर परमिशन दे दी. जैसे ही पिता जी की हरी झंडी मिली, फ़ौरन बोरिया-बिस्तर समेट बंबई की गाड़ी में बैठ गए. दिमाग में चल रहा था अब तो सीधा हीरो बन कर लौटेंगे.
मुंह में स्टाइल में सिगार दबाए शरत सक्सेना.
मुंह में स्टाइल में सिगार दबाए शरत सक्सेना.

#हार्ड रिएलिटी लेकिन बाबू बंबई नगरिया की कठिन डगरिया ने तो बड़ों-बड़ों के बड़े-बड़े ख्वाबों को 'सेटल' कर दिया है. शरत जी भी बहुत जल्दी बंबई की कड़वी हकीकत से रूबरू हुए. कई दिन इधर-उधर धक्के खाए. लेकिन कहीं बात नहीं बनी. जब कई महीने बीत गए तो पिता जी ने चिट्ठी भेजी. जिसमें लिखा था कि ये वक़्त बर्बाद करना छोड़ो और कोई नौकरी ढूँढो. शरत जी ने भी कहीं बात ना बनती देख नौकरी कर ली. लेकिन शरत किसी ना किसी रूप में फ़िल्म सेट पर रहना चाहते थे. इसलिए साथ ही साथ फोटोग्राफर बनने की कोशिश भी कर रहे थे. जिसके लिए एक कैमरा भी खरीद लिया था. दिन में नौकरी करते. रात में फोटोग्राफी सीखते. लेकिन एक महीने में ही नौकरी से तंग आ गए. नौकरी छोड़ दी. और पूरा ध्यान फोटोग्राफी में ही लगाने लगे. #धर्मेन्द्र के भाई ने दिलवाया मौक़ा शरत जी के स्कूल बडी थे चंदन घोष. प्रोफेशनल फोटोग्राफर. एक दिन वो धर्मेन्द्र के भाई वीरेंद्र की फ़ोटो खींच रहे थे. शरत भी चंदन के साथ में थे. दोस्त की मदद कर रहे थे. रिफ्लेक्टर पकड़कर. काम खत्म हुआ तो वीरेंद्र जी ने कहा 'कि आओ लड़कों खाना खिलाते हैं तुम दोनों को. स्ट्रगल के दौर में होटल का खाना कौन मना करता. फ़ौरन रेस्तरां की ओर बढ़ लिए. लंच करते वक़्त वीरेंद्र जी ने शरत की तरफ़ देखते हुए पूछा

तुम भी क्या एक्टर बनना चाहते हो ?

शरत जी ने हां में सिर हिलाया तो वीरेंद्र जी ने उनसे उनकी फ़ोटो मांगीं. शरत भागकर अपने कमरे पर गए और फ़ोटो लाकर वीरेंद्र जी को दे दीं. वीरेंद्र जी ने फ़ोटोज़ रख लीं. और अगले दिन अपने प्रड्यूसर को दिखाईं. प्रड्यूसर को एक किरदार के लिए शरत जी फिट लगे. और इस तरह 'बेनाम' फ़िल्म से उनके करियर की शुरुआत हुई.
सीन के दौरान विनोद खन्ना से मार खाते शरत सक्सेना.
सीन के दौरान विनोद खन्ना से मार खाते शरत सक्सेना.
#एक्शन करते हुए आठ बार चोटिल होकर हॉस्पिटल गए आजकल फ़िल्म सेट्स पर एक्शन सीन्स फिल्माने के लिए सेफ्टी का बहुत ख्याल रखा जाता है. कई सेफ्टी मेज़र्स को ध्यान में रखते हुए काम होता है. लेकिन उस वक़्त फ़िल्म सेट्स पर 'सवारी सामान की खुद ज़िम्मेदार है' टाइप की व्यवस्था रहती थी. ख़ासकर शरत सक्सेना जी जैसे आर्टिस्टों को तो खुद ही अपनी दवाई मलहम-पट्टी साथ लेकर चलनी पड़ती थी. अपने करियर में शरत जी को आठ बार से ज्यादा हॉस्पिटल जाना पड़ा है. कभी उनका हाथ टूटा तो कभी पाँव. कभी-कभी तो मांसपेशियां तक फट कर बाहर आ जाती थीं. #सलीम-जावेद ने की मदद शरत सलीम खान को पहले से जानते थे. लिहाज़ा अक्सर उनसे मुलाकात होती रहती थी. एक दिन जब शरत सलीम साब के यहां गए तो वहां जावेद अख्तर भी बैठे थे. 'काला पत्थर' लिखी जा रही थी. शरत को देखते हुए सलीम साब ने जावेद से कहा कि शरत को 'धन्ना' का रोल दे दें . जावेद साब को भी शरत जी इस रोल के लिए सही चुनाव लगे. सलीम साब ने शरत जी से कहा कि वो यश चोपड़ा जी के पास जाएं और उनसे कह दें कि मुझे सलीम-जावेद ने भेजा है. शरत जी सलीम साब के घर से निकल सीधा यश चोपड़ा के ऑफिस गए और सलीम खान का रेफरेंस दिया. यश जी ने शरत को फाइनल कर दिया. शरत जी कहते हैं उनके शुरुआती दौर में सलीम-जावेद ने उन्हें बहुत सी फ़िल्मों में रोल दिलवाए.
'काला पत्थर' में शरत सक्सेना.
'काला पत्थर' में शरत सक्सेना.

#फाइटर से एक्टर बनने में लगे तीस साल शरत सक्सेना लेट सिक्स्टीज़ में बंबई गए थे. इस दौर में 'हीरो' का एक अलग पैमाना था. जिसमें शरत जी कहीं से भी फिट नहीं बैठते थे. आजकल तो सिक्स पैक बॉडी ट्रेंड में है. लेकिन उस ववत कसरती शरीर वाले व्यक्ति को लेबर क्लास समझा जाता था. चूंकि शरत जी के पिताजी एथलीट थे, उन्हें देख-देख शरत को भी बचपन से ही कसरत में रुचि हो गई थी. लिहाज़ा जब बंबई पहुंचे तो अच्छे-खासे हट्टे-कट्टे थे. लेकिन डायरेक्टर्स और प्रोड्यूसर ऐसे डील-डौल वाले व्यक्ति को देख पहले ही दिमाग में गढ़ लेते थे कि ऐसा व्यक्ति अभिनय या कला से जुड़ा कोई भी काम कर ही नहीं सकता है. ऐसे लोग तो विलन के चमचे, गुंडे के लिए ही ठीक हैं. लिहाज़ा शरत जी को ऐसे ही रोल मिले. एक लंबे अरसे तक एक जैसे ही किरदार किए. जहां मोस्टली फिल्मों में उनके डायलॉग कुछ ऐसे थे,

'यस बॉस. ओके बॉस. ठीक है बॉस. सॉरी बॉस. माफ़ कर दीजिए बॉस'.

#एक्टर्स इनिंग साल 2000. तकरीबन 30 साल तक हीरो की मार खाने के बाद शरत सक्सेना ज़िंदगी के दूसरे पड़ाव पर खड़े थे. सुनील शेटटी के साथ फ़िल्म कर रहे थे 'आग़ाज़'. जिसके किरदार के लिए शरत को गंजा होना था. फ़िल्म पूरी हुई. रिलीज़ हुई. और फ्लॉप गई. इधर शरत जी के बाल धीरे-धीरे उगने लगे. लेकिन इस बार बाल सफ़ेद उगे. जब बढ़ गए तो फ़िल्मों में गुंडे की जगह हीरो-हिरोइन के बाप के रोल मिलने लगे. शुरुआत हुई 'तुमको ना भूल पाएंगे' में सलमान खान के बाप बनने से. इस फ़िल्म में शरत जी का काम देख डायरेक्टर शाद अली ने अपनी फ़िल्म 'साथिया' में शरत जी को रानी मुखर्जी का बाप बना दिया. इसमें उनका रोल छोटा था. लेकिन क्रिटिक्स ने शरत जी के अभिनय की खूब सराहना की. 'साथिया' के बाद से शरत जी की गिनती 'फाइटर' की बजाय 'एक्टर्स ' में होने लगी.
हीरो बनने आए शरत हीरो क्यों नहीं बन पाए,  हिंदी सिनेमा उस वक़्त किन पाबंदियों के बीच में था, इसका अंदाज़ा उनकी इस बात से लगाया जा सकता है.वो  कहते हैं,

"देखिए साब ये रामभक्तों का देश है. यहां जो हीरो होता है उसकी शक्ल में राम दिखना चाहिए. और जो विलन होता है, उसकी शक्ल में रावण दिखना चाहिए. तो हमारे नॉर्थ इंडिया का कांसेप्ट ये है कि राम गोरे थे. उनके सीधे बाल थे. और वो हैंडसम थे. अब हम बेचारे मध्यप्रदेश के प्राणी. वहां तो ऐसे लोग नहीं मिलते. वहां हमारे जैसे लोग मिलते हैं. इसलिए हमारे लिए हीरो बनने का चांस ही नहीं था. हमने जबलपुर में सोचा था के हम हीरो बनेंगे. लेकिन वो हमारी ग़लतफ़हमी थी."


बाइसेप्स का साइज़ दिखाते शरत सक्सेना.(जब ये तस्वीर खींची गई तब 60 साल उम्र थी).
बाइसेप्स का साइज़ दिखाते शरत सक्सेना.(जब ये तस्वीर खींची गई तब 60 साल उम्र थी).

#कौन प्राण? शरत सक्सेना अभिनेता प्राण के घनघोर मुरीद थे. सोचते थे एक बार प्राण से मिल लें तो जीवन सफ़ल हो जाए. एक शाम शरत के घर का टेलीफ़ोन बजा. उठाने पर सामने से आवाज़ आई,

'मैं प्राण बोल रहा हूं'

अब चूंकि छुट्टी की शाम थी, तो माहौल बना हुआ था. लिहाज़ा शरत आवाज़ समझ नहीं पाए.
पूछा. 'कौन प्राण?'.
'अरे भाई एक्टर प्राण'.
ये सुन शरत जी का खून जम गया. कानों पर यकीन नहीं हुआ. कुर्सी छोड़ खड़े हो गए. और होश संभालते हुए फ़ोन को ध्यान से सुनने लगे. प्राण साब ने शरत से कहा कि उन्हें उनका  'गुंडाराज' फ़िल्म का काम बहुत पसंद आया. ऐसे ही अच्छा काम करते रहें. इतना कह वो फ़ोन रखने ही वाले थे कि शरत जी ने मौके का पूरा फ़ायदा उठाते हुए अपनी दिली तमन्ना पूरी कर ली. प्राण साब से पूछा 'सर मैं आप से एक बार मिलना चाहता हूं'. प्राण साब बोले 'अरे बच्चे कभी भी आ जाओ'. अगले दिन शरत जी फूल लेकर प्राण साब के यहां गए और उनका आशीर्वाद लिया. #सलीम साब से लेकर सलमान तक ने की मदद शरत जी के शुरुआती दौर में सलीम साब ने बहुत मदद की थी और सालों बाद सलमान खान ने शरत जी की बेटी की मदद की. शरत सलमान के साथ किसी फ़िल्म की शूटिंग कर रहे थे विदेश में. काम से फुरसत मिली तो दोनों बैठ कर बातें करने लगे. सलमान प्यार से शरत जी को सेक्सी सर बुलाते हैं. सलमान ने पूछा,

"और सेक्सी सर आजकल बच्चे क्या कर रहे हैं?"

शरत जी ने बताया कि उनका बेटा तो कैनडा में सेटल हो गया है. लेकिन बेटी सिंगिंग और एक्टिंग फील्ड में स्ट्रगल कर रही है. सलमान ने पूछा अच्छा आपकी बेटी गाना गा लेती हैं, चलिए आपकी बेटी को एक गाना देते हैं. सब इंडिया लौटे. कुछ दिन बाद सलमान का शरत के पास फ़ोन आया. सलमान ने शरत को म्यूजिक डायरेक्टर का नाम-पता-नंबर दिया और बात करने को कहा. शरत की बेटी वीरा गईं और गाना रिकॉर्ड कर आईं. ये गाना था 'आय फाउंड लव' इस गाने को बाद में 'रेस 3' में इस्तेमाल किया गया था. वीरा सक्सेना एक्ट्रेस भी हैं. इन्हें आपने गुलशन देवैया की फ़िल्म 'हंटर' में देखा होगा.
लेफ्ट में शरत जी की पत्नीं. बीच में शरत जी. राइट में वीरा.
लेफ्ट में शरत की पत्नीं. बीच में शरत जी. राइट में वीरा.

#'खुदा गवाह' के सेट पर समुद्र में फंस गए. 'खुदा गवाह' की शूटिंग चल रही थी. शरत एक स्मगलर के रोल में थे. एक सीन था जिसमें शरत सक्सेना ड्रग्स के नशे में ट्रक समेत समुद्र में गिर जाते हैं. सीन मुकुल आंनद डायरेक्ट कर रहे थे. शूटिंग शुरू हुई. शरत जी पानी में गए. शर्ट के नीच लाइफ जैकेट पहने हुए थे. और किसी चीज़ से बंधे हुए थे. आधे एक घंटे में सीन शूट हो गया. सीन परफेक्ट था तो मुकुल आनंद ने पैकअप कर दिया. ये शब्द सुनते ही फ़िल्म सेट से लोग जल्दी जल्दी अपना-अपना सामान लत्ता उठाकर भग लेते हैं.
अब हुआ ये कि सब भाग गए. लेकिन शरत जी अब भी पानी मे ही थे. ज़ोर से चिल्लाएं. लेकिन आवाज़ ना पहुंचे. बहुत देर बाद फ़िल्म के प्रोड्यूसर एक आदमी के साथ ऊपर से नीचे नज़ारे लेते दिखे. शरत ज़ोर से चीखे तो उनका ध्यान गया. निर्माता ने जब देखा कि अरे शरत तो पानी में ही रह गए हैं, तो उन्होंने एक बोट को हायर किया और उनको वहां से निकलवाया. समुद्र से बाहर आ जब शरत ऊपर पहुंचे, तो देखा बाकी सब खाना खा रहे थे. और एक साब ने तो पूछ भी लिया 'के अरे भई शरत कहां थे यार'. अब शरत क्या जवाब देते! उनकी तऱफ पथरीली निगाहों से देखा और चुपचाप खाना खाने बैठ गए.
अमिताभ बच्चन और शरत सक्सेना.
अमिताभ बच्चन और शरत सक्सेना.

#जब यूथ कांग्रेस के लोगों ने शरत जी की खोपड़ी फोड़ दी शरत जबलपुर कॉलेज में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे. इनका एक खास दोस्त था, जिसकी रुचि पढ़ाई से ज़्यादा नेतानगरी में रहती थी. पॉलिटिकल पार्टी के लिए खूब रैली वगैरह निकालते रहते थे. इन भाई का कुछ पंगा चल रहा था वहां के यूथ कांग्रेस के लड़कों के साथ. इसी पंगेबाजी में एक दिन 10-12 लड़कों ने इन भाई को घेर लिया. साथ में शरत भी घेरे में आ गए. लड़कों ने बहुत मारा दोनों को. शरत के सिर पर तो रॉड मार कर खोपड़ी फोड़ दी. और बेहोश कर के भाग गए. #डॉक्टर सूद से आया तोतला तिवारी 'फिर हेरा फेरी' में शरत सक्सेना का तोतला तिवारी का किरदार मिलेनियल्स के बीच खासा लोकप्रिय है. दबा के मीम बनते हैं. असल में इस किरदार का आईडिया शरत जी को एक डॉक्टर सूद नाम के व्यक्ति से आया था. इन डॉक साब का वर्सोवा में एक बंगला हुआ करता था. जिसे वो अक्सर भाड़े पर चढ़ाया करते थे. एक बार फ़िल्म शूटिंग के लिए डॉक साब ने अपना बंगला एक महीने के लिए किराए पर दिया. एक महीने बाद जब वापस आकर बंगले को देखा तो पाया कि कमबख्त प्रोड्यूसर ने पूरा बंगला हरा करवा दिया था. उस वक़्त उन्होंने प्रोड्यूसर और बाकी लोगों की जिस अंदाज़ में हड़काया था, उसी अंदाज़ को शरत जी ने 'फ़िर हेरा फेरी' में इस्तेमाल किया था.
#अमरीश पुरी को थप्पड़ मारने से मना किया शरत सक्सेना ने बहुत फ़िल्मों में अमरीश पुरी के साथ काम किया. ज्यादातर में अमरीश जी मेन विलन होते थे. और शरत जी उनके चमचे. 90s में धीरे-धीरे अमरीश जी पॉज़िटिव रोल करने लगे थे. लेकिन शरत को अभी भी विलन बनना पड़ता था.एक फ़िल्म में सीन ऐसा बना कि शरत को अमरीश पुरी को थप्पड़ मारना था. लेकिन शरत ने डायरेक्टर को साफ़ मना कर दिया. बोले देख भई हम तो हर फ़िल्म में अमरीश जी के चमचे बनते आए हैं. हम अपने बॉस पर हाथ नहीं उठा सकते. ये बात अमरीश ने सुन ली वो शरत जी के पास आए और बोले, 'अरे बेटा ये तो पिक्चर है. यू कैन हिट मी'. शरत जी फ़िर भी नहीं माने, बोले अरे साब हम कैसे आप पर हाथ उठा सकते हैं. बहुत देर अमरीश जी के कन्विंस करने के बाद कहीं शरत माने.