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जब श्रीदेवी के सुपरहिट गाने में एक ब्लंडर हुआ और उसे वैसे ही रहने दिया गया

क्या आपने पकड़ी थी ये ग़लती?

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फोटो - thelallantop

वो पत्रकार जो खूबसूरत थी, जिसको डांस आता था और जिसके एक्सप्रेशन भी दिलफ़रेब थे. वो जिसका बॉयफ्रेंड एक सुपर शक्ति का मालिक था और जिसने गुंडों द्वारा पकड़ लिए जाने से पहले इतिहास रच दिया. पत्रकार का नाम था सीमा साहनी, फिल्म थी मिस्टर इण्डिया और इतिहास था - हवा हवाई.


हवा हवाई - ये एक गीत जिसमें लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल, शेखर कपूर, सरोज खान, कविता कृष्णमूर्ति से लेकर जावेद अख़्तर तक सब कमाल हैं. लेकिन जो बज़्म लूट के ले जाती हैं, जो शो स्टॉपर बनती हैं, जो आज भी भुलाये नहीं भूली जातीं, वो निर्विवाद रूप से श्रीदेवी हैं.

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इस गीत को केवल श्रीदेवी के लिए लाखों बार लूप में चलाकर एकटक देखा जा सकता है. सबसे मज़े की बात ये कि, यदि आपने इसका वीडियो नहीं देखा है और केवल गीत सुना है तो ये एक सामान्य मगर बहुत मेलॉडियस गीत लगता है. लेकिन श्रीदेवी के फ्रेम में आते ही गीत का मिजाज़ उसका पूरा ऑरा बदल जाता है. वो जीनियस हैं. एक कॉम्पलिमेंट किसी और सन्दर्भ में सुना था मगर यहां पर श्रीदेवी के लिए लागू होता है - बच्चों सी कमीनी.

‘सूरत ही मैंने ऐसी पायी’, ’दीपक से ज्योति छिनूं’, ’हां चुरा लूं, हां हां चुरा लूं’, जैसे स्टेप्स खिलंदड लड़की या गर्ल्स नेक्स्ट डोर की इमेज बनाते हैं. यदि आप सोलह-सत्रह वर्ष के लड़के हैं तो ये गीत आपकी सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है. और आपको आपके उद्देश्यों से भटका सकता है... ...आज भी.

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इंटरल्यूड में श्रीदेवी का सालसा और फ़िर नाराज़ होकर नृत्य करना बंद कर देना, और इन सब के बीच में सरोज खान की कोरियोग्राफी कहीं नहीं छूटती.

सिम्पल चीज़ें बनाना कितना मुश्किल है, एफर्ट-लेस डांस करने में कितने एफर्ट लगते हैं, ज़रा इस गीत को देखकर बताइयेगा. ऐसे कितने गीत है, गोविंदा के गानों को छोड़कर, कि आप उन्हें देखते हुए इस तरह लोटपोट होकर ROFL करें गोया कोई पेट में गुदगुदी कर रहा हो. वो गीत जिसके नाम से एक फ़िल्म बन चुकी और दो फ़िल्मों और कई प्राइवेट एल्बम के लिए के लिए रीमिक्स और सैकड़ों कवर बन चुके हैं. तुम्हारी सुलू और शैतान में इसका रिमिक्स यूज़ किया जा चुका है. पर फिर भी इसकी लीगेसी है कि खत्म नहीं होने वाली.

हवा हवाई:-

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शेखर कपूर मधुबाला से काफ़ी प्रभावित थे. मधुबाला की मूवी हावड़ा ब्रिज गीत,'आइये मेहरबां' देखने के बाद से ही ऐसी हिरोइन की दरकार थी जो केवल नृत्य ही न करे पर जिसके एक्सप्रेशन भी कमाल के हों. वैसे एक्सप्रेशन के मामले में मधुबाला मुझे सबसे अच्छी ‘अच्छा जी मैं हारी’ में लगीं. गोया कोई लड़की कत्ल करने के बाद भी अगर ऐसे मनाये तो, आदमी तो वैसे ही कमज़ोर होता है, अबला होता है.

तो शेखर को मधुबाला चाहिए थी, मगर मिली श्रीदेवी और ये श्रीदेवी का गीत बन गया. कुछ लोग तो पूरी मूवी श्रीदेवी की कहते हैं, खासतौर पर कुछ पत्रकार कहतें हैं कि इसका नाम ‘मिस इंडिया’ होना था. पत्रकार थीं श्रीदेवी इसमें, शायद इसलिए.

[एक अच्छी डांसर, पत्रकार. मजे की बात है न कि आज भी पत्रकार, पत्रकारिता के अलावा सब कुछ करते हैं. और जो केवल पत्रकारिता करते हैं वे...]

बहरहाल, सरोज खान का माधुरी के साथ काफ़ी लम्बा और काफ़ी उतार चढ़ाव भरा रिलेशन रहा है, जो सब जानते हैं लेकिन उनका जो रिलेशन श्रीदेवी के लिए था उसमें उन्होंने हमेशा ये सुनिश्चित किया कि श्रीदेवी की ऑन स्क्रीन प्रेजेंस एक ‘लड़की’ वाली एक ‘इनोसेंट, गर्ल नेक्स्ट डोर’ लड़की वाली की हो, जबकि माधुरी का एक प्रेमिका वाला.

माधुरी दीक्षित फ़िल्म इंडस्ट्री की सबसे रोमेंटिक स्त्री लगती हैं. न हॉट न ही क्यूट, न ही उसके बीच का कुछ. मेरे कहने का अभिप्राय आप उनके गीत ‘हमको आजकल है इंतज़ार’ को देखकर समझ जायेंगे.

मुझे अभी तक नहीं पता कि शुरुआत की लिरिक्स किसने लिखी हैं? "मोम्बासा, असी तुसी लस्सी पीसी." बाकी गीत, सभी लोग जानते हैं कि जावेद अख़्तर ने लिखा है और कविता कृष्णमूर्ति ने गाया है. लेकिन कविता कृष्णमूर्ति पहली चॉइस नहीं थी लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल जी की. दरअसल उन्होंने शूटिंग भर करने के लिए कविता से गाना गवाया था बस.

मतलब कि जैसे होता है न रफ़ कॉपी. इसे मूवी रिलीज़ होने पर किसी और गायिका की आवाज़ से 'फ़ेयर' करना था. लेकिन फ़िर एक दिन लक्ष्मीकांत ने कविता को कॉल किया और कहा कि हमने जो शूटिंग के लिए तुमसे गीत गवाया था वही फाइनल मूवी और ऑडियो एल्बम में भी रख रहे हैं. कविता उत्साहित थीं और इसका एक और रिटेक लेना चाहती थीं. उन्होंने लक्ष्मी जी से कहा कि मैंने गाते हुए एक ब्लंडर किया है, इसलिए मुझे ये गीत दोबारा गाना होगा. लक्ष्मी जी बोले-

मैं सैकड़ों बार गीत सुन चुका हूँ और मुझे कहीं गड़बड़ नहीं लगी. बल्कि ऐसा मैजिक दोबारा क्रियेट नहीं हो सकता, कोई और तो क्या अब शायद तुम भी वैसा न गा पाओ.

तो इसी का परिणाम है कि वो ब्लंडर आज भी गीत में रह गया. यानी जहां पर 'जानूं जो तुमने बात छुपाई' गाया जाना चाहिए था, वहां पर 'जीनूं जो तुमने बात छुपाई' गाया गया है. ये ‘जीनूं’ इस खूबसूरत गीत पर काला टीका है. नज़रबट्टू है. उसे हर नज़र से बचाने के लिए. उसे ‘टाइम-लेस’ बनाने के लिए.


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