हिंदू समाज पार्टी के मुखिया कमलेश तिवारी की हत्या के मामले में यूपी पुलिस हर रोज नए खुलासे कर रही है. यूपी पुलिस और गुजरात एटीएस ने मिलकर गुजरात से तीन लोगों को गिरफ्तार भी किया है. बिजनौर के जिन दो मौलानाओं ने कमलेश तिवारी की हत्या करने पर इनाम देने की घोषणा की थी, उन्हें भी गिरफ्तार किया गया है. महाराष्ट्र के नागपुर से भी एक गिरफ्तारी हुई है. इसके अलावा दो और लोगों की धरपकड़ की कोशिश की जा रही है. लेकिन इन सबके बीच एक और नाम है, जो बेहद अहम है. ये नाम है शिव कुमार गुप्ता का. और इस नाम को सामने लेकर आईं हैं कमलेश तिवारी की मां कुसुम तिवारी.
18 अक्टूबर को लखनऊ में कमलेश तिवारी की हत्या के बाद मां कुसुम तिवारी ने आरोप लगाया था कि बीजेपी के नेता शिव कुमार गुप्ता से कमलेश तिवारी का विवाद चल रहा था और इसी वजह से कमलेश तिवारी की हत्या हुई है. अब सवाल ये है कि आखिर कौन हैं ये शिव कुमार गुप्ता, जिनपर कमलेश तिवारी की मां ने हत्या का आरोप लगाया है.

बीजेपी से बीएसपी, फिर सपा और फिर बीजेपी में आए हैं शिव कुमार गुप्ता.
नवभारत टाइम्स लखनऊ के पत्रकार आनंद तिवारी के मुताबिक सीतापुर के महमूदाबाद के रहने वाले शिव कुमार गुप्ता ने अपना सियासी करियर बीजेपी के साथ शुरू किया था. लेकिन साल 2007 में जब मायावती उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं, तो शिव कुमार गुप्ता ने बीएसपी का दामन थाम लिया. लखनऊ में मेयर का चुनाव भी लड़ा, लेकिन हार गए. और फिर मायावती ने उन्हें निगम का अध्यक्ष बनाकर राज्यमंत्री का दर्जा दे दिया. लेकिन शिव कुमार गुप्ता ज्यादा दिनों तक बीएसपी में टिक नहीं पाए. वजह ये थी कि शिव कुमार गुप्ता का सीतापुर जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए हो रहे चुनाव में बीएसपी सरकार में कैबिनेट मंत्री रामहेत भारती का विवाद हो गया. विवाद की वजह ये थी कि रामहेत भारती अपनी पत्नी ऊषा भारती को सीतापुर जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर बिठाना चाहते थे. वहीं शिव कुमार गुप्ता अपने भाई की पत्नी मधु गुप्ता को इस सीट पर काबिज करवाना चाहते थे. लेकिन रामहेत भारती कैबिनेट मंत्री थे, तो उनके आगे शिव कुमार गुप्ता की नहीं चली और उन्हें पीछे हटना पड़ा.
शिव कुमार गुप्ता के दिल में ये टीस बनी रही. जब 2012 में अखिलेश यादव सत्ता में आए, तो शिव कुमार गुप्ता ने समाजवादी पार्टी से नज़दीकियां बढ़ानी शुरू कर दीं. और नज़दीकियों का नतीज़ा ये रहा कि शिव कुमार गुप्ता रामहेत भारती की पत्नी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आ गए. प्रस्ताव पास भी हो गया और फिर मामला कोर्ट चला गया. फैसला आया सुप्रीम कोर्ट से. सुप्रीम कोर्ट ने शिव कुमार गुप्ता के छोटे भाई हरिओम की पत्नी मधु गुप्ता को जिला पंचायत अध्यक्ष बना दिया. 2015 में जब फिर से जिला पंचायत के चुनाव हुए तो शिव कुमार गुप्ता ने फिर से मधु गुप्ता को उम्मीदवार बना दिया. लेकिन इस बार उनके सामने थे सपा से बीएसपी में शामिल हुए रामपाल यादव के बेटे जितेंद्र यादव. मधु गुप्ता हार गईं. जीत मिली जितेंद्र को. लेकिन जब यूपी में सपा की सरकार चली गई और बीजेपी सत्ता में आ गई, तो उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया. सत्ता से नज़दीकियां और दूरियां घटती-बढ़ती रहीं और शिव कुमार गुप्ता पर लखनऊ के अलग-अलग थानों में कई मुकदमे दर्ज हो गए. अकेले लखनऊ के ही अलग-अलग थानों में जालसाजी, धोखाधड़ी और ज़मीनों पर अवैध कब्जे 49 मामले शिव कुमार गुप्ता के खिलाफ दर्ज हैं. इसके अलावा शिव कुमार गुप्ता रियल स्टेट के कारोबार में भी हैं और उनका कारोबार बाराबंकी, लखनऊ और महमूदाबाद तक फैला हुआ है.
शिव का कमलेश तिवारी से क्या विवाद था?
कमलेश तिवारी मूलत: रहने वाले थे संदना इलाके के पारा कोठवा गांव के. कमलेश तिवारी के चाचा महंत रामदास महमूदाबाद स्थित रामजानकी मंदिर के पुजारी थे. इसलिए साल 1981 में कमलेश तिवारी का परिवार गांव छोड़कर महमूदाबाद स्थित मंदिर परिसर में आकर रहने लगा. इस बीच शिव कुमार गुप्ता रामजानकी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष बन गए. इसके बाद से ही कमलेश तिवारी और शिव कुमार गुप्ता के बीच मंदिर के ट्रस्ट की ज़मीन को लेकर विवाद चलने लगा. कई बार कमलेश तिवारी को जान से मारने की धमकी भी मिली, लेकिन कमलेश तिवारी शिव कुमार गुप्ता का विरोध करते रहे. मंदिर की ज़मीन को लेकर शिव कुमार गुप्ता और कमलेश तिवारी के बीच महमूदाबाद कोर्ट में केस भी चल रहा है.
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